दुनिया के अनेक देशों में कोरोना के कारण लगे प्रतिबंधों को तोड़ते हुए भी मजहबी कट्टरवादी इजराइल के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। इधर भारत में बंगाल में मासूमों की जिहादी तत्वों द्वारा हत्या पर चुप्पी साधे रखने वाले सेकुलरों को सताया ‘फिलिस्तीन का दर्द’
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। संघर्ष की शुरुआत अल अक्सा मस्जिद से रमजान की आखिरी नमाज के बाद, मजहबी उन्मादियों द्वारा इजराइली पुलिस पर किए गए हिंसक हमले से हुई थी, जिसमें कई पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए थे। बताते हैं, उन उपद्रवियों में फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास के आतंकी शामिल थे। ईद पर यूं भी हर बार हमास के उपद्रवी मस्जिद को ढाल बनाकर इजराइली पुलिस पर हिंसक हमले करते रहे हैं, जबकि पुलिसकर्मी पूरा धैर्य बनाए रखते हैं। इस घटना के बाद गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी उपद्रवियों ने पुलिस से मुठभेड़ कीं तो हमास ने इजराइली शहरों पर राकेट दागे जिसमें एक भारतीय मूल की केरल की नर्स सहित अनेक मासूम लोगों की जानें गईं। इजराइल की तभी से जवाबी कार्रवाई चल रही है और उसने बार—बार कहा है कि हमास को सबक सिखाए बिना वह संघर्ष जारी रखेगा।
लेकिन इधर दुनिया भर के 56 इस्लामी देशों के फिलिस्तीन के पाले में गोलबंद होने के बाद, मजहबी कट्टर तत्व और उनके उकसावे पर मुस्लिमों के झुंड के झुंड यूरोप सहित दुनिया के अनेक देशों में रोजाना प्रदर्शन कर हिंसा का माहौल बनाने पर तुले हैं। गत दिनों ये प्रदर्शन हुए अमेरिका, फ्रांस, लंदन, सीरिया और बांग्लादेश में, जहां लोग सड़कों निकल आए और इजराइल विरोधी नारेबाजी की। दिलचस्प बात है कि फ्रांस सरकार ने पिछले अनुभवों को देखते हुए, मुस्लिमों को पेरिस में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी थी। लेकिन इसके बावजूद कुछ सौ उन्मादी सड़कों पर उतर आए थे। उधर लंदन में इजराइल विरोधी प्रदर्शन में भी ‘फिलिस्तीन की आजादी’ के नारे लगे और तीखे तेवर दिखाए गए।
लंदन में फिलिस्तीनी नारे
15 मई को मध्य लंदन में फिलिस्तीन के समर्थन में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटेन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग भी की। उन्होंने इजराइल के दूतावास के सामने फिलिस्तीन की आजादी के नारे लगाए। ब्रिटेन में फिलिस्तीन की दूत हुसम जुमलोत ने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वालों को ‘मानवता का सच्चा हितैषी’ बताया। उधर अमेरिका में वॉशिंगटन डीसी पर भी लोगों ने प्रदर्शन किया।
पेरिस में पास जमा हुई उपद्रवी भीड़
पेरिस में 14 मई को सैकड़ों प्रदर्शनकारी विदेश मंत्रालय के पास इकट्ठे हुए। उन्होंने वहां इजराइल विरोधी नारे लगाए। फ्रांस ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी इसलिए पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों को तितर—बितर किया तो कुछ पर आर्थिक दंड भी लगाया।
ढाका में प्रदर्शन
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी मजहबी उन्मादियों ने इजराइल विरोधी प्रदर्शन किया। जुमे की नमाज के बाद मस्जिद पर सैकड़ों लोगों ने इजराइल के बहिष्कार की मांग की। की राजधानी ढाका में नमाज के बाद इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारी।
भारत में मुखर सेकुलर
लेकिन भारत में बंगाल की हिंसा पर चुप रहने वाला सेकुलर मीडिया इस पर भी मुंह सिले रहा, उसने केरल के मुख्यमंत्री से सवाल नहीं पूछा कि केरल की उस नर्स की मृत्यु पर दुख तक नहीं क्यों नहीं जताया। वह सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन में हो रही मौतों पर सवाल उठाने वाले इजराइल में हमास के राकेटों के शिकार हुए लोगों पर कोई दुख नहीं जता रहा है। क्यों? इनमें सबसे आगे है बॉलीवुड अभिनेत्री और नामी सेकुलर स्वरा भास्कर। उसने एक नहीं अनेक ट्वीट किए हैं फिलिस्तीन के समर्थन में लेकिन स्वरा ने एक भी ट्वीट नहीं किया बंगाल हिंसा के विरुद्ध। स्वरा ने ट्वीट में लिखा—”इजराइल रंगभेदी देश है। इजराइल एक आतंकी देश है।” इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर स्वरा का बहुत विरोध हुआ।
इसी तरह पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान में फिलिस्तीन के बचाव में उतर आए। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा—”अगर आपमें जरा भी इंसानियत है तो आप फिलिस्तीन में जो चल रहा है, उसका समर्थन नहीं करेंगे।”
इसका ट्वीट का विरोध करते हुए लोगों ने उनसे सवाल किया है कि जब बंगाल में हिन्दू मारे जा रहे थे तब उनकी इंसानियत कहां गई थी। लेकिन इस्लामी उम्मा के हमेशा साथ खड़े होने वाली सेकुलर जमात खुलकर फिलिस्तीन के पक्ष में उतरी है और इजराइल में मारे जा रहे मासूम उन्हें दिखाई नहीं दे रहे हैं।
आलोक गोस्वामी
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