कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने में आ रही है. इसके लक्षण दिखते ही तत्काल उचित चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहतर है.लापरवाही भारी पड़ सकती है
कोरोना संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद कुछ लोगों में ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं. इस मामले को यूपी सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्लैक फंगस से बचाव एवं उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सभी जनपदों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. मुख्य सचिव, इस सम्बन्ध में भारत सरकार एवं चिकित्सा संस्थानों से आवश्यक कोआर्डिनेशन बनाएं. ब्लैक फंगस के कारणों, बचाव के उपायों तथा उपचार के सम्बन्ध में एडवाइजरी जारी कर व्यापक प्रचार-प्रसार कराएं.
योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसजीपीजीआई, लखनऊ में ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार की दिशा तय करने के लिए 12 सदस्यीय वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है. इस टीम से अन्य चिकित्सक मार्गदर्शन भी ले सकेंगे. एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आर.के. धीमान की अध्यक्षता में विशेष टीम ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों के डॉक्टरों को इलाज के बारे में प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है.
कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने में आई है. प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुबोध कुमार सिंह बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस अथवा ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. इसके लक्षण दिखते ही तत्काल उचित चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहतर है.लापरवाही भारी पड़ सकती है.
इन मरीजों को बरतनी होगी खास सावधानी:–
1- कोविड इलाज के दौरान जिन मरीजों को स्टेरॉयड दवा जैसे, डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि दी गई हो.
2- कोविड मरीज को इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो.
3. डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो.
4. कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो.
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ये लक्षण दिखें तो तुरंत लें डॉक्टर से सलाह:—
1. बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो.
2. नाक बंद हो. नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो.
3.आंख में दर्द हो. आंख फूल जाए, एक वस्तु दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए.
4. चेहरे में एक तरफ दर्द हो , सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)
5. दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो.
6. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए.
क्या करें —
कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर से तत्काल परामर्श करें. नाक, कान, गले, आँख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से संपर्क कर तुरंत इलाज शुरू करें.
बरतें ये सावधानियां :-
1. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार की सलाह पर स्टेरॉयड कतई शुरू न करें.
2. लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं. बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें.
इससे बीमारी बढ़ जाती है.
3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5-10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को. इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है.
4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है. अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं?
5. स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें.
6. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें. बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों.
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