कोरोना महामारी के दौर में साहिबाबाद के करहैड़ा गांव के किसान ने श्मशान घाट पर लोगों की भीड़ ने इतना व्यथित दुखी किया कि उन्होंने अपनी करोड़ों रुपए कीमत की जमीन श्मशान बनाने के लिए दान कर दी।
खबरों की अनुसार किसान ने अपनी जमीन नगर निगम को दे दी है। वहां पर अंतिम संस्कार के लिए वहां पर 10 प्लेटफार्म बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। कोरोना के चलते दम तोड़ने वाले लोगों को यहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पेश की मिसाल
करहैड़ा निवासी एक किसान ने श्मशान घाट के लिए अपनी 1500 गज जमीन नगर निगम को दान देकर मिसाल पेश की है। इस जमीन पर नगर निगम ने 10 प्लेटफार्म बनाने के साथ लकड़ी की व्यवस्था कर कोरोना संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार सुशील कुमार गाजियाबाद के करहैड़ा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने देखा कि कोरोना संक्रमण से रोजाना मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के लिए हिंडन श्मशान घाट पर लोगों 10-10 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहां पर भीड़ के चलते बहुत से लोगों को वापस लौटाया जा रहा है। ऐसे में जब लोग अपनों को खोने के बाद संकट की इस घड़ी में अपनों का सही से अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं तो यह देखकर वह बहुत दुखी हुए। उन्होंने अपने परिवार से बात की और नूरनगर स्थित अपनी 1500 गज जमीन को श्मशान घाट बनाने के लिए नगर निगम को देने का फैसला लिया। घरवालों की सहमति मिलते ही उन्होंने नगर निगम को पत्र लिखकर अपनी जमीन दान दे दी। उनका कहना है कि मुश्किल घड़ी में जो जिस लायक है उसे उस तरह से समाज की मदद करनी चाहिए। कोराना काल में इस तरह की पहल एक सकारात्मक कदम है।
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