दिल्ली में पिछले 24 घंटों के कोरोना के चलते 448 मौतें हुईं। यह सिर्फ अधिकारिक आंकड़ा है सूत्रों की मानें तो संख्या इससे कहीं ज्यादा है। ऐसे में एक नया खुलासा हुआ है। हर समय केंद्र को कोसने वाली केजरीवाल सरकार ने पिछले 10 महीनों में एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा गया।
कोरोना के चलते दिल्ली बेहाल है। अस्पतालों में आक्सीजन नहीं हैं। लोग अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल रहा है। इस बीच एक आरटीआई के जवाब में पता चला है कि पिछले 10 महीनों के दौरान पिछले 10 माह में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के सेंट्रल प्रोक्यूरमेंट एजेंसी (सीपीए) ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा है।
पिछले साल जब कोरोना की लहर आई थी जब कुछ आक्सीजन सिलेंडर खरीदे गए थे इसके बाद जुलाई से एक भी सिलेंडर नहीं खरीदा गया।
इसका सीधा सा अर्थ हुआ केजरीवाल सरकार दिल्ली को लेकर गंभीर नहीं थी। कोरोना की लहर आने को लेकर दिल्ली की कोई तैयारी नहीं थी। सब राम भरोसे चल रहा था। दिल्ली सरकार की इसी उदासीनता का खामियाजा आज दिल्ली सरकार को भुगतना पड़ रहा है।
बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 18 अप्रैल को आरटीआई लगाई थी। इस आरटीआई में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से पूछा था कि दिल्ली
सरकार ने जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कितने वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर व टैंक की खरीदारी की। आरटीआई के जवाब में कहा गया कि जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा गया। आक्सीजन सिलेंडरों की बात करें तो जुलाई 2020 में 4500 आक्सीजन सिलेंडर खरीदे गए थे। इनकी खरीद पर चार करोड़ 15 लाख 79 हजार 908 रुपए खर्च किए गए थे, इसके बाद से एक भी सिलेंडर नहीं खरीदा गया।
अब आप समझ सकते हैं कि दिल्ली सरकार के पिछले साल कोरोना आने के बाद इस बार को लेकर कोई तैयारी नहीं थी। दिल्ली की आबादी लगभग दो करोड़ है। ऐसे में पिछले साल महज 4500 सिलेंडर खरीदे गए। यानी दिल्ली सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं थी।
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