पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने के लिए केंद्रीय कानून (RERA)-2016 की जगह हाउसिंग इंडस्ट्री नियमन अधिनियम- 2017 (WBHIRA) पारित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को उसे असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की पीठ ने कहा कि एक बार संसद ने जब कानून बना दिया है तो राज्य विधानमंडल के लिए इस बात की गुंजाइश नहीं रहती कि वह समान कानून बनाए और इसे शब्दों से अलग कर सके। यह स्पष्ट रूप से केंद्रीय कानून का उल्लंघन है और यह मतभेद को दर्शाता है। केंद्रीय कानून केा निरस्त करने वाले राज्य के कानून को बरकरार नहीं रखा जा सकता। अत: राज्य सरकार के कानून को खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (FPCE) नामक एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई के बाद आया है। इस एनजीओ ने राज्य द्वारा लागू कानून को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। संस्था का तर्क था कि राज्य द्वारा थोपे गए WBHIRA से घर खरीदारों को काफी नुकसान हुआ है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा लागू रेरा (RERA) कानून को लागू करने से इनकार किया और 2017 में अपना एक अलग कानून बनाया। लेकिन राज्य सरकार ने इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं की। उसने यह नहीं बताया कि उसके द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून से किस प्रकार भिन्न है। दोनों कानूनों में कोई अंतर नहीं पाया गया, इसलिए इसे रद्द करने का फैसला लिया गया है।
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