कोरोना में लगातार बढ़ते मरीजों को देखते हुए देश में पूर्ण लॉकडाउन के लिए आवाज उठानी शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन पर गंभीरता से विचार करे
हालांकि पिछली बार जब केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाया था तो विपक्षी दलों ने इसको सही कदम नहीं बताया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर गंभीरता से विचार करने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि हम गंभीर रूप से केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक समारोहों और सुपर स्प्रेडर घटनाओं पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करेंगे। जन कल्याण के हित में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन भी लगाने पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से गरीबों पर लॉकडाउन का असर पड़ सकता है, उनके लिए खास इंतज़ाम किया जाना चाहिए। इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यवस्था होनी चाहिए।
दिल्ली में आज रात तक ऑक्सीजन की व्यवस्था करें
कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई 3 मई आधी रात या उससे पहले ठीक होनी जानी चाहिए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार करें। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा है कि जिस तरह केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई के लिए रियल टाइम रूम बनाया है। वैसा ही दिल्ली भी अस्पतालों के लिए बनाएं। ताकि पता रहे कि किस अस्पताल में कितनी ऑक्सीजन जा रही है और किस में दोबारा जरूरत होने वाली है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह मे एक राष्ट्रीय नीति तैयार करें। सभी राज्य सरकारें उस नीति का पालन करेंगी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार ये राष्ट्रीय नीति बनाएगी तब तक कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किसी दूसरे राज्य के मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से मना नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार किए गए उपायों और प्रोटोकाल की समीक्षा करे। इसमें आक्सीजन की उपलब्धता, वैक्सीन की उपलब्धता और कीमत, जरूरी दवाओं कीमत को भी शामिल करे।
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