दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के हालात को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार की जमकर फटकार लगाई. न्यायालय ने साफ कहा कि यदि आपसे दिल्ली की स्थिति नहीं संभल रही तो कहिए। हम केन्द्र सरकार को संभालने के लिए कहेंगे। उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को कहा कि आपके ऊपर से हमारा विश्वास हिल गया है।
दिल्ली में पिछले पन्द्रह दिनों से मौत का जो तांडव चल रहा है, धीरे-धीरे उसके अपराधी का चेहरा राजधानी वालों के सामने साफ होता जा रहा है। पूरी दिल्ली ने उस पर विश्वास किया और उसने विज्ञापनों का पर्दा डालकर पूरी दिल्ली को पूरे साल धोखे में रखा। दिल्ली में ऑक्सीजन की व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा की जय-जयकार पूरे साल अखबारों में और आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल की शोभा बढ़ाता रहा। यह सब देखकर दिल्ली ने भी विश्वास किया कि वह एक सुरक्षित हाथों में है। आज जब दिल्ली की सरकार उच्च न्यायालय में हाजिर हुई तो एक के बाद एक मामले में उसे फटकार पड़ी। न्यायालय से भी और केन्द्र सरकार से भी। ऐसे समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री के अंदर फुटबॉल हो जाने का एहसास जरूर भर आया होगा, लेकिन इस मौके पर दिल्ली ने भी यह बात समझ ली है कि उसका अपराधी कौन है ?
ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने इतना शोर मचाए रखा था। आज उनका ऑक्सीजन सप्लायर तरुण सेठ न्यायालय में आकर कहता है कि उसके पास 16 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रति दिन अस्पतालों में आपूर्ति के लिए होती है। बकौल सेठ- ‘’मुझे दिल्ली सरकार की तरफ से स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं मिला हुआ कि किस अस्पताल को ऑक्सीजन पहुंचाना है और कितनी ऑक्सीजन पहुंचानी है ?’’ दूसरी तरफ दिल्ली का बत्रा अस्पताल कह रहा है कि उसे ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही और इस उपेक्षा की वजह से 21 लोगों की जान चली गई। इन जानों की अब कौन जिम्मेवारी लेगा ? क्या दिल्ली सरकार उन परिजनों से आंख मिलाने का हौसला जुटा पाएगी, जिन्होंने इस उपेक्षा की वजह से अपने प्रियजनों को खोया है ?
उच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि तरुण सेठ जब इतना बड़ा सप्लायर है, फिर दिल्ली सरकार के आदेश में उसका नाम क्यों नहीं आया है? एक अन्य ऑक्सीजन सप्लायर को उच्च न्यायालय ने कहा कि यह समय गिद्ध होने का नहीं है। दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन, रेमदेसिविर, प्लाज्मा, कोविड जांच जैसी जरूरतों के लिए जिस तरह आम आदमी को लूटा जा रहा है, उसे देखकर गिद्ध भी सरमा जाए।
न्यायालय में दिल्ली में भारतेन्दु हरीश चन्द्र मार्ग, कड़कड़डुमा स्थित शांति मुकुंद अस्पताल का मामला सामने आया। जिसे 03 मीट्रिक ऑक्सीजन की जरूरत है। उसे 3.2 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉट किया गया लेकिन अस्पताल को 02.69 मीट्रिक टन ही ऑक्सीजन मिल पा रही है। इस पर न्यायालय ने अस्पताल से पूछा कि अस्पताल में मरीजों की स्थिति क्या है ?
इस पर अस्पताल की तरफ से बताया गया कि वे दिल्ली सरकार से तंग आ गए हैं। उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे हैं और उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है।
न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को साफ कहा कि यदि आपसे दिल्ली की स्थिति नहीं संभल रही तो कहिए। हम केन्द्र सरकार को संभालने के लिए कहेंगे। उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को कहा कि आपके ऊपर से हमारा विश्वास हिल गया है।
यह सिर्फ न्यायालय की बात नहीं है। वर्तमान समय में दिल्ली की जो दुर्दशा है, उसमें दिल्ली वालों का विश्वास भी दिल्ली की सरकार और उसके विज्ञापनों से हिला है। पार्टी के प्रवक्ताओं के झूठ को अब दिल्ली समझने लगी है।
न्यायालय ने दिल्ली की सरकार को 28 अप्रैल, बुधवार दस बजे तक पूरे मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है। जिसमें दिल्ली में ऑक्सीजन पहुंचाने वालों की जानकारी मांगी गई है। उच्च न्यायालय ने अगले चार दिनों में केजरीवाल सरकार से ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली के अस्पतालों और नर्सिंग होम में जिन कोरोना मरीजों की जान गई, उसकी विस्तृत सूची मांगी है।
यह रिपोर्ट लिखे जाने तक कोरोना से बीते 24 घंटों में 380 लोगों की दिल्ली में जान जा चुकी है। 20201 मामले सामने आएं हैं। इस हालात में दिल्ली वालों को लग रहा है कि उनके जख्म पर उच्च न्यायालय ने मलहम लगाने का काम किया है।
दिल्ली सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दी गई पांच सितारा सुविधाएं आज सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रही। उच्च न्यायालय ने इस पांच सितारा सुविधाओं का सज्ञान लेते हुए कहा कहा कि न्यायालय ने तो ऐसा कोई आग्रह नहीं किया था। न्यायालय की तरफ से कब 100 बेड की सुविधा मांगी गई थी ? न्यायालय की तरफ से सिर्फ इतना ही कहा गया था कि अगर कोई न्यायिक अधिकारी, जज या उनका परिवार वाला कोविड 19 से संक्रमित हो जाए तो अस्पताल में दाखिल हो सके। इस पर आपने विवाद क्यों खड़ा किया? अब ऐसा लग रहा है कि जैसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से सुविधा मांगी है या फिर दिल्ली सरकार हमें खुश करने के लिए ये कर रही है।
इस पर दिल्ली सरकार ने मीडिया पर इसकी जिम्मेवारी डालने का प्रयास किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया- ‘‘लोगों को अस्पताल नहीं मिल रहे और हम आपसे लग्जरी होटल में बेड मांग रहे हैं। मीडिया गलत नहीं है। आपका आर्डर गलत है। आप किसी एक श्रेणी के लिए सुविधा कैसे दे सकते हैं।’’
दिल्ली पांच सितारा होटल प्रकरण में भी उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के आज के रुख से लगा कि आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली के हालात में सुधार आने वाला है। दिल्ली सरकार में सुधार नहीं आया तो संभव है कि दिल्ली की सारी व्यवस्था राज्यपाल को सौंप दी जाएं और केजरीवाल को बिना कोविड 19 हुए, पूरा कोविड 19 काल आइसोलेशन (एकांत) में बिताना पड़े।
आशीष कुमार ‘अंशु’
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