विश्वविख्यात कथावाचक जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य जी के मार्गदर्शन में उनके शिष्य और भक्त चित्रकूट से लेकर राजकोट तक कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। महाराज द्वारा स्थापित श्री जयनाथ अस्पताल, राजकोट (गुजरात) में 100 बिस्तर वाला अस्पताल पूरी तरह कोरोना के मरीजों को समर्पित कर दिया गया है। सामान्य दिनों में यहां दिव्यांग और गरीब लोगों का नि:शुल्क इलाज होता है। राजकोट के ही श्री गीता मंदिर में लगातार गरीबों को ‘मास्क’ और ‘सेनेटाइजर’ वितरित किया जा रहा है। श्री तुलसीपीठ सेवा न्यास, चित्रकूट द्वारा ‘कांच मंदिर’ और ‘श्री रामचरितमानस मंदिर अनुंसधान केंद्र’ में लोगों के लिए अन्न क्षेत्र चल रहा है। गत वर्ष इस न्यास ने तीन महीने तक चित्रकूट के ग्रामीण अंचलों में प्रतिदिन 1,500 गरीब परिवारों को कच्चा राशन देने का कार्य किया था। चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय ने अपने एक बड़े भवन को कोरोना पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन को सौंप दिया है। यहां 100 मरीजों के रहने की व्यवस्था है।
‘केशव क्लब’ की अनूठी योजना
जनकपुरी (दिल्ली) में ‘केशव क्लब’ के कार्यकर्ता भी कोरोना के मरीजों की सेवा कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता उन कोरोना पीड़ितों तक शुद्ध शाकाहारी भोजन पहुंचा रहे हैं, जिनके घर में बीमारी की वजह से खाना नहीं बन पा रहा है। बीमार रहने वाले उन बुजुर्गों तक भी खाना पहुंचाया जा रहा है, जिनके बच्चे उनसे दूर रहते हैं। ‘केशव क्लब’ के संस्थापक सर्वेश महाजन ने बताया कि 18 अप्रैल को सोशल मीडिया के जरिए इसकी सूचना लोगों को दी गई। कुछ देर में ही 150 लोगों ने खाना भेजने का निवेदन किया। अब प्रतिदिन लगभग 400 लोगों को खाना दिया जा रहा है। मरीज फोन पर खाना भेजने का निवेदन करते हैं, साथ में कोरोना की रिपोर्ट भी भेजते हैं। इसके बाद क्लब के कार्यकर्ता तथ्य की जानकारी लेकर उस मरीज के आसपास रहने वाले किसी कार्यकर्ता को उन तक खाना पहुंचाने का निर्देश देते हैं। इस काम में कार्यकर्ताओं के 500 परिवार सहयोग कर रहे हैं। कार्यकर्ता दोपहर एक बजे से लेकर शाम के छह बजे तक जरूरतमंदों तक खाना पहुंचा रहे हैं। इसके लिए किसी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी आगे आया
अयोध्या जिले में आॅक्सीजन की पूर्ति के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या स्थित दशरथ मेडिकल कॉलेज में दो आॅक्सीजन संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है। इसमें जो भी खर्च होगा, उसका वहन ट्रस्ट करेगा। एक समाचार के अनुसार ट्रस्ट ने 55,00,000 रु. की धनराशि दी है।
‘धूपम केक’ (अगरबत्ती) से भगाएं कीटाणु
देहरादून स्थित उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय कोरोना को पराजित करने के लिए लोगों को अनेक तरीकों से परिचित करा रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने 18 जड़ी-बूटियों को मिलाकर ‘धूपम केक’ बनाया है। जहां भी इसको जलाया जाता है, वहां कम से कम 72 घंटे तक कोई कीटाणु अपना असर नहीं डाल सकता है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय लोगों के बीच ‘ओजस क्वाथ’ वितरित कर रहा है।
मरीजों के पास, परिवार से दूर
अमदाबाद में रहने वाले डॉ. जय वाघेला इन दिनों दिन-रात कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वे अमदाबाद के प्रसिद्ध ‘जोडायस अस्पताल’ में सुबह आठ बजे से लेकर रात के आठ बजे तक कोरोना पीड़ितों की सेवा करते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन लगभग 200 मरीजों को टेलीफोन के माध्यम से नि:शुल्क सलाह देते हैं। इस तरह वे 24 घंटे इस महामारी के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। इन दिनों वे इतने व्यस्त हैं कि ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। वे कहते हैं, ‘‘कुछ देर आराम करने के लिए अस्पताल से घर तो जाता हूं, लेकिन घर वालों से दूर ही रहने का प्रयास करता हूं, ताकि मेरे कारण वे महामारी की चपेट में न आएं।’’ उल्लेखनीय है कि मरीजों का इलाज करते हुए ही वे पिछले वर्ष कोरोना से पीड़ित हुए थे। डॉ. जय कहते हैं,‘‘ऐसी महामारी बरसों बाद आती है। इसका मुकाबला संयम और त्याग से ही किया जा सकता है।’’ इन दिनों डॉ. जय राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के 150 स्वयंसेवकों को मरीजों की देखभाल करने और उनकी अन्य तरह से मदद करने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। इसका उद्देश्य है ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना योद्धा बनाना, ताकि किसी आपात स्थिति वे लोग देश की सेवा कर सकें।
टाटा और अंबानी की सराहनीय पहल
देश में आॅक्सीजन के संकट को दूर करने के लिए टाटा समूह 24 क्रायोजेनिक कंटेनर आयात कर रहा है। इन कंटेनरों के जरिए तरल आॅक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड इन दिनों गुजरात, महाराष्टÑ और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिदिन 700 टन आॅक्सीजन की आपूर्ति सेवाभाव से कर रही है। इस कंपनी ने जामनगर स्थित अपने तेलशोधक कारखाने में कोरोना के संकट को देखते हुए ऐसी मशीनें लगाई हैं, जिससे चिकित्सा में काम आने वाली आॅक्सीजन तैयार होती है। बता दें कि इस कारखाने में पहले आॅक्सीजन नहीं बनती थी, केवल कच्चे तेल का शोधन होता था।
जोधपुर में ‘श्वास बैंक’
जोधपुर (राजस्थान) में ‘रक्त बैंक’, ‘प्लाज्मा बैंक’ की तरह ‘श्वास बैंक’ काम करने लगा है। भारत विकास परिषद से जुड़े निर्मल गहलोत ने इसकी पहल की है। इस बैंक से जरूरतमंदों को ‘आॅक्सीजन जेनरेटर’मिलेगा। इस जेनरेटर से प्रति मिनट 5-10 लीटर तरल आॅक्सीजन बनती है। जेनरेटर में लगे ‘वॉल्व’ से तरल आॅक्सीजन गैस में बदल जाती है और इसी की जरूरत इन दिनों सबसे अधिक है। इस जेनरेटर को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है और एक जेनरेटर से एक साथ दो रोगियों को आॅक्सीजन दी जा सकती है। लोगों के सहयोग से ‘श्वास बैंक’ में अब तक लगभग 200 जेनरेटर जमा हो चुके हैं।
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