दिनेश मनसेरा
हरिद्वार में चल रहे कुंभ को समय से पहले समाप्त करने का निर्णय लेकर संतों ने समाज कल्याण में फैसला लिया है. ज्ञात हो कि 2021 का कुम्भ हरिद्वार में चल रहा है. उत्तराखंड सरकार ने कोविड को देखते हुए संत समाज के साथ विचार विमर्श करके एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुम्भ मेला अवधि निश्चित की थी। देश में कोविड के बिगड़ते हालात को देखते हुए तीन शाही स्नानों के बाद अखाड़ा परिषद की बैठक में संत समाज ने 14 अप्रैल के शाही स्न्नान के बाद उत्तराखंड सरकार को अवगत करवाया कि सभी अखाड़ा संत और उनके अनुयायियों को समाज की फिक्र है, लिहाजा वे 17 अप्रैल से हरिद्वार से अपनी वापसी शुरू कर देंगे।
हरिद्वार कुम्भ में इस साल सन्त समाज ने कोविड हालात को देखते हुए सरकार द्वारा निर्धारित मर्यादाओं का पालन किया. सभी अखाड़ों ने अपने शिष्यों एवं अपने से जुड़े लोगों को हरिद्वार कुम्भ में नहीं बुलाया था. जबकि आमतौर पर हर कुंभ में प्रत्येक अखाड़े से जुड़े लाखों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर आते हैं. जहां गुरु शिष्य परंपरा, प्रवचनों का लंबा दौर चलता है। परंतु इस बार केवल संत समाज ही हरिद्वार आया और केवल हरकी पैड़ी पर शाही स्नान की परंपरा को निभाया।
कोरोना के तेज़ी से फैलने पर संत समाज के कुम्भ समाप्ति के फैसले का हर वर्ग से स्वागत हुआ। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी खुद कोविड पॉज़िटिव हुए. उनका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा है. परिषद के सचिव श्री महंत रविन्द्र पुरी ने बताया कि सभी साधु संतों की छावनियों से संतों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है।
कुछ अखाड़ों के संतों में कुम्भ समाप्ति को लेकर मतभेद भी रहे. पर महामंडलेश्वर श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने खुद आगे बढ़ कर कुम्भ को कोविड की वजह से समाप्त करने की अपील ट्वीट के जरिये की. जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने री ट्वीट कर कहा कि संत समाज से अपील करता हूँ कि दो शाही स्नान हो चुके हैं. तीसरा स्न्नान सांकेतिक कर लिया जाए। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का संत समाज में व्यापक असर भी हुआ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बराबर संत समाज के संपर्क में रहे. उनका कहना था कि कुम्भ संत समाज अखाड़ों का आयोजन होता है. सरकार सिर्फ व्यवस्था या प्रबन्धन का कार्य देखती है. हमने वही किया जो अखाड़ा परिषद ने कहा. उन्होंने कहा कि हम कुम्भ करेंगे. हमने व्यवस्था बना कर दे दी.
अब कोविड को देखते हुए संत समाज ने कहा कि हम इसे समाप्त करना चाहते हैं, हमने उनके निर्णय का स्वागत किया. संत समाज ने कहा आखिरी स्नान जो कि बैरागियों का होना है वह सांकेतिक होगा. हम वैसी ही व्यवस्था करके देंगे. कोविड महामारी से हर कोई प्रभावित है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि हमने कुम्भ के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देशों का भी पालन किया. कोविड के टेस्ट भी हजारों की संख्या में रोज करवाये. जिनके टेस्ट पॉज़िटिव निकले उनका बेहतर इलाज किया गया।
ज्ञात हो कि 21 अप्रैल को रामनवमी और 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा का स्नान अभी होना था, जिसे अखाड़ा परिषद ने समाप्त घोषित कर दिया. इन तिथियों में अब सांकेतिक स्न्नान होंगे। उत्तराखंड सरकार ने भी बैठक कर सन्त समाज के फैसले के बाद कुम्भ को लेकर नई गाइड लाइन जारी कर दी।
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