धरती में थमा पानी, खेती में लाया निखार
May 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

धरती में थमा पानी, खेती में लाया निखार

by WEB DESK
Apr 16, 2021, 11:27 am IST
in भारत, हरियाणा
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

किरण सिंह

पिछले साल दिल्ली में सितंबर में बरसात का 16 साल का रिकॉर्ड टूटा था। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दिल्ली में सितंबर में 21 मिलीमीटर से भी कम बारिश हुई जो पिछले 16 साल में इस महीने में सबसे कम बारिश थी। कम हो रही बरसात की यह स्थिति दिल्ली की नहीं, बल्कि पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की है। इसका सीधा असर खरीफ फसल पर पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय ने इससे निपटने की रणनीति बनाने की सिफारिश की है। मौसम विभाग के मुताबिक पूरे देश में एक जून से 6 अगस्त के बीच राष्ट्रीय स्तर पर हुई बारिश सामान्य से दो प्रतिशत कम बताई गई है। एमेटी यूनिवर्सिटी, नोएडा से कृषि स्नातक के छात्र व सिंचाई के पारंपरिक तरीकों पर शोध कर रहे रोहित चौहान कहते हैं कि भारत में करीब 65 प्रतिशत खेती बारिश पर निर्भर है। बारिश में कमी का सीधा असर फसलों पर पड़ता है। समय पर बरसात न होने की वजह से 50 से 100 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो जाती है। वर्षा आधारित खेती में यह देखने में आ रहा है कि वहां उत्पादन तेजी से कम हो रहा है।
बार-बार सूखे की वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसान बदहाल हो रहे हैं। 2017 में खरीफ मौसम में महाराष्ट्र सरकार ने करीब 14 हजार गांवों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। इनमें अधिकांश मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र के गांव शामिल थे। राष्ट्रीय कृषि सूखा आकलन एवं निगरानी प्रणाली (एनएडीएएमएस) के अनुसार, बीते साल 17 राज्यों के 225 जिलों में सूखे के हालात थे। ये सभी जिले कृषि उत्पादन में अग्रणी हैं। सबसे ज्यादा जिन राज्यों में सूखे का असर पड़ा है, उसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व पंजाब शामिल हैं। इसी तरह, 2013 में भी महाराष्ट्र के 34 जिलों में भीषण सूखा पड़ा था। इसे 40 साल का सबसे बड़ा अकाल बताया गया था।

तेजी से गिर रहा भू-जल स्तर
दिक्कत सिर्फ कम होती बरसात ही नहीं है, भू-जल स्तर भी तेजी से नीचे जा रहा है। नीति आयोग ने 2018 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भीषण जल संकट की चेतावनी दी गई थी। इस रिपोर्ट में आगाह किया गया था कि 2030 तक तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। देश में कुल सिंचित क्षेत्र लगभग 63 मिलियन हेक्टेयर है। यह देश में बोए हुए कुल क्षेत्रफल का केवल 45 प्रतिशत ही है। बारिश में कमी और भू-जल के दोहन से हालात और ज्यादा खराब हो रहे हैं। स्थिति यह है कि हर साल भू-जल स्तर औसतन 6-7 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में बहुत ज्यादा पानी बर्बाद हुआ है।

वैज्ञानिकों का तर्क है कि इसका मुख्य कारण मनुष्यों की विभिन्न गतिविधियां हैं। इसके लिए खास तौर से सिंचाई हेतु पानी के अत्यधिक इस्तेमाल को कारण माना जा रहा है। यानी कम होती बरसात भूख और प्यास की विकराल समस्या पैदा कर रही है। भारत में अधिकांश कृषि क्षेत्र के असिंचित होने के कारण कृषि क्षेत्र में समग्र विकास के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। ऐसे मामले में मानसून पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की निर्भरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बीज बोने का तरीका हमेशा उस क्षेत्र के मानसून पर निर्भर करता है। खराब मानसून का खेती पर बहुत बुरा असर पड़ता है और किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसी ही स्थिति खरीफ फसल के उत्पादन और उपज में भी उत्पन्न होती है। अधिकांश कृषि राज्यों में मानसून पर निर्भरता के कारण खरीफ फसल का उत्पादन किसानों को बिना किसी फायदे के करना पड़ता है।

केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण द्वारा कराए गए भू-जल सर्वेक्षण के अनुसार, 5,723 में से 839 ब्लॉकों ने आवश्यकता से अधिक भू-जल का दोहन कर लिया है। भूमिगत पानी की अतिनिकासी और जल पुनर्भरण की कोई व्यवस्था न होने से पंजाब के 12 तथा हरियाणा के तीन जिलों में भूमिगत जलस्तर खतरनाक स्तर तक नीचे चला गया है। उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर इतना अधिक नीचे चला गया है कि अब वहां के किसान पंप सेट की बजाए सबमर्सिबल पंपों का प्रयोग करने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी जिलों, पूर्वी, पश्चिमी व मध्य क्षेत्र के कई जिलों में भूमिगत जलस्तर काफी नीचे चला गया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु की स्थिति अत्यधिक गंभीर है। गुड़गांव, दिल्ली, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, जालंधर और पोरबंदर जैसे शहरों में धरती से पानी निकालने पर रोक लगा दी गई है। सरकार 43 ब्लॉकों में भू-जल के दोहन पर पाबंदी लगाने के साथ ऐसे अन्य ब्लॉकों की पहचान भी कर रही है, जहां तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। देश के बड़े हिस्से में भू-जल का स्तर नीचे जाने से जल संकट पैदा होने के साथ-साथ देश का पारिस्थितिकी तंत्र भी गड़बड़ा रहा है। देश के साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भू-जल स्तर इतना नीचे आ गया है कि उसके रिचार्ज के लिए कृत्रिम उपायों की जरूरत है। जल शक्ति मंत्रालय ने सात संकटग्रस्त राज्यों को कुआं खोदकर भू-जल रिचार्ज करने की योजना भेजी है। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब व हरियाणा।

प्रति किलो चावल पर 1,000 लीटर पानी खर्च
अब होना तो यह चाहिए कि धान-गेहूं का फसल चक्र तोड़ा जाए। करनाल स्थित राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिलीप गोसांई के अनुसार, भारत, विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। दूसरे स्थान पर थाईलैंड है। एक किलो चावल तैयार करने में करीब एक हजार लीटर पानी लग जाता है। इसके बाद भी हम हर साल औसतन दस प्रतिशत ज्यादा धान उगा रहे हैं। धान उत्पादन से लेकर चावल तैयार करने तक हर जगह भारी मात्रा में पानी लगता है। स्पष्ट है कि हम तेजी से जल संकट की ओर बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद किसान धान की खेती छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है। हालांकि यह सही नहीं है, क्योंकि किसानों के पास फसल विविधता की ओर जाने का यही समय है। इससे धीरे-धीरे धान का रकबा कम हो सकता है। हरियाणा सरकार ने इस दिशा में पहल की है। धान की जगह मक्का की खेती करने वाले किसानों को 7,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

सिंचाई तकनीक से दूर छोटे किसान
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के स्थिति आकलन सर्वेक्षण के अनुसार, देश में कृषि से जुड़े परिवारों की संख्या 9 करोड़ से ज्यादा है। गांवों में रह रहे कुल परिवारों में 57.8 फीसदी खेती करते हैं। एनएसएसओ ने देश भर के 4,500 गांवों में करीब 35,000 परिवारों का अध्ययन किया है। गरीब व अधिक आबादी वाले राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार व झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब है। बंगाल में 90 प्रतिशत परिवारों के पास तो एक हेक्टेयर से भी कम जमीन है। झारखंड 86 प्रतिशत के साथ दूसरे, जबकि 85.3 प्रतिशत के साथ बिहार तीसरे स्थान पर है। वहीं, पंजाब, कर्नाटक और राजस्थान की स्थिति बेहतर है, जहां जोत के आकार बड़े हैं। बड़े आकार की वजह से वहां कृषि व्यावहारिक है। कम जोत की वजह से छोटे किसान सिंचाई की नई तकनीक नहीं अपना पा रहे हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वे सिंचाई की उन्नत तकनीक अपना सकें। देश में कृषि से जुड़े 69 प्रतिशत परिवारों के पास अपनी जमीन एक हेक्टेयर से भी कम है। इस कारण इनके लिए कृषि अव्यावहारिक हो गई है।
बड़े क्षेत्रफल वाले राज्यों में देखें तो राजस्थान के गांवों में सबसे अधिक किसान परिवार (78.4 प्रतिशत) हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (74.8 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (70.8 प्रतिशत) हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि खेती पर निर्भर अधिक आबादी वाले राज्यों में किसान परिवारों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी नहीं है। केरल में सबसे कम 27.3 प्रतिशत कृषि से जुड़े परिवार हैं, जबकि तामिलनाडु में ऐसे परिवार 34.7 प्रतिशत व आंध्र प्रदेश में 41.5 प्रतिशत हैं। कृषक परिवारों में 45 प्रतिशत पिछड़ी जाति, जबकि 16 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति व करीब 13.4 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हैं।

तकनीक से 90 प्रतिशत पानी की बचत संभव
साधन संपन्न किसान बड़े पानी बचाने वाली सिंचाई की तकनीक अपनाने की बजाए सबर्सिबल पंप का प्रयोग करते हैं। उन्हें यह तरीका अपेक्षाकृत आसान लगता है। लेकिन सवाल है कब तक? यदि इसी तरह जमीन से पानी निकालते रहे तो वहां भी जल संकट आ जाएगा। तब क्या होगा? इस बारे में बड़े किसान सोच नहीं रहे हैं। हालांकि सिंचाई की कई विधियां है, जिससे किसान 60 से लेकर 90 प्रतिशत तक पानी बचा सकते हैं। यदि किसान धान की सीधी बिजाई करें तो 70 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है। इसी तरह से बूंद-बूंद विधि से काफी मात्रा में पानी बचाया जा सकता है। सरकार के प्रोत्साहन के बाद भी किसान इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। धान की सीधी बिजाई के लिए भी हरियाणा सरकार प्रोत्साहन दे रही है। इसके बाद भी किसान इसे अपनाने को तैयार नहीं हैं। केंद्र सरकार की ओर से सिंचाई की आधुनिक तकनीकों पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके बाद भी योजनाओं को उतना लाभ नहीं मिल रहा है,जितना की मिलना चाहिए।

रोहित चौहान कहते हैं कि पानी को लेकर ठोस नीति अपनाने का वक्त आ गया है। अभी भी बड़ी संख्या में किसान सिंचाई को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसके लिए आधुनिक व पांरपरिक तरीकों पर काम करना होगा। हरियाणा में जिस तरह से जोहड़ संरक्षण की दिशा में काम चल रहा है, यह पारंपरिक सिंचाई प्रणाली के लिए ठीक है। इसी तरह, मध्यप्रदेश व राजस्थान में कुओं, तालाबों से सिंचाई पर काम किया जा रहा है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। रोहित कहते हैं कि हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई विधि और भूजल रिचार्ज प्रणाली की ओर ध्यान देना होगा। ऐसी योजना भी बननी चाहिए कि हर किसान बरसात के पानी का संग्रह करे। इसके लिए खेतों में तालाब बनाने होंगे। तालाब में मछली पालन कर किसान अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। इससे भू-जल संरक्षण और बरसाती पानी को सहेजा जा सकता है। इसके कई लाभ भी हो सकते हैं। तेज बरसात से भूमि कटाव रुक सकता है। बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकता है व गैर बरसाती मौसम में इससे सिंचाई हो सकती है।

यह काम बहुत मुश्किल नहीं है। हरियाणा सरकार ने कई साल पहले बरसाती नदियों में बांध बना कर बरसाती पानी को रोका। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अंबाला के कई इलाकों में अब भू-जल स्तर नहीं गिर रहा। इसी तरह के प्रयोग देश में बड़े स्तर पर कर हम पानी और सिंचाई की समस्या दोनों से निपटने का रास्ता निकाल सकते हैं।

कम होती बरसात, नीचे गिरता भू-जल स्तर, उत्पादन में वृद्धि न होना, ऐसे कई कारण हैं जो खेती के सामने गंभीर संकट और चुनौतियां खड़े कर रहे हैं। दिक्कत यह है कि सरकार इस संकट से निपटने की जो भी योजनाएं बना रही है, विपक्ष उन पर राजनीति कर रहा है। किसानों को बहकाया जा रहा है। नतीजा, खेती और किसान, इन दिनों गंभीर संकट से दो-चार होता दिखाई दे रहा है।
—डॉ. दिलीप गोसांई, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन

तुर्किये को एक और झटका: स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का किया आह्वान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

मिर्जापुर के किसान मुन्ना लाल मिश्रा का बेटा राजकुमार लंदन में बना मेयर, गांव में खुशी की लहर

पेट में बच्चा था… पर रहम नहीं आया! : दहेज में कार ना मिलने पर बेरहम हुआ नसीम, बेगम मरियम को मार-पीटकर दिया 3 तलाक

अमृतसर में नहीं थम रहा जहरीली शराब का कहर : दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मृतकों की संख्या, अब तक 24 की मौत

उत्तराखंड : जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में भी डेमोग्राफी चेंज, लोगों ने मुखर होकर जताया विरोध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन

तुर्किये को एक और झटका: स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का किया आह्वान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

मिर्जापुर के किसान मुन्ना लाल मिश्रा का बेटा राजकुमार लंदन में बना मेयर, गांव में खुशी की लहर

पेट में बच्चा था… पर रहम नहीं आया! : दहेज में कार ना मिलने पर बेरहम हुआ नसीम, बेगम मरियम को मार-पीटकर दिया 3 तलाक

अमृतसर में नहीं थम रहा जहरीली शराब का कहर : दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मृतकों की संख्या, अब तक 24 की मौत

उत्तराखंड : जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में भी डेमोग्राफी चेंज, लोगों ने मुखर होकर जताया विरोध

‘ऑपरेशन केलर’ बना आतंकियों का काल : पुलवामा-शोपियां में 6 खूंखार आतंकी ढेर, जानिए इनकी आतंक कुंडली

सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद, भारत सरकार का बड़ा एक्शन, तुर्किये को एक और झटका

आतंकी आमिर नजीर वानी

आतंकी आमिर नजीर वानी की मां ने कहा था सरेंडर कर दो, लेकिन वह नहीं माना, Video Viral

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies