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पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने आखिरकार रिहा कर दिया. सरकार की तरफ से कुछ प्रमुख लोग मध्यस्थता को जंगल गए थे. वहां बातचीत के बाद नक्सलियों ने जवान को रिहा किया.जवान की रिहाई के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फोन पर उनसे बातकर कुशलक्षेम जाना.
बस्तर के पत्रकारों ने निभाई अहम भूमिका
खबरों की मानें तो जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई के पीछे बस्तर के स्थानीय पत्रकारों ने बड़ी अहम भूमिका निभाई है.उनमें कुछ युवा पत्रकार हैं। पर उनका हौसला बड़ा है. यह वही पत्रकार हैं जो अपनी जान पर खेलकर पुलिस प्रशासन की मदद करने में कभी पीछे नहीं हटते। उन पर ख़बर को सबसे पहले ब्रेक करने का दवाब तो रहता ही है, लेकिन वे मानवता का साथ कभी नहीं छोड़ते। जब जब पुलिस को उनकी जरूरत पड़ी है, चाहे जवानों के पार्थिव शरीर लाने के लिए, चाहे नक्सलियों से मध्यस्थता के लिए, चाहे नक्सलियों की बात पुलिस तक पहुंचाने के लिए..हमेशा अपना कर्त्तव्य निभाते हैं। स्थानीय पत्रकारों ने 3 मई को बीजापुर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों द्वारा अपह्रत जवान को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अन्ततः मध्यस्थता कर रहे चार स्थानीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ पत्रकार जंगल में गए। कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मनहास को सकुशल वापस ले आये।
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