पश्चिम बंगाल में आज पहले चरण का चुनाव चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दौरे पर हैं। कोरोना काल में यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। उनकी इस यात्रा को पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के आमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौरे पर हैं। अवसर है, त्रिकोणीय स्मरण उत्सव का । बांग्लादेश के राष्ट्रपिता और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म-शताब्दी है , बांग्लादेश की स्थापना की अथवा बांग्लादेश-मुक्ति की अर्ध शताब्दी है तथा बांग्लादेश और भारत के बीच राजनयिक संबंध के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
पीएम मोदी के कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश की वजीरे आजम शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता के अलावा बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद तथा बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ एके अब्दुल मोमिन से मुलाकात भी दर्ज है।
पीएम मोदी के कोरोना महामारी प्रकोप के काल में यह पहला विदेशी दौरा संपन्न होने जा रहा है। यह यात्रा भारत की ओर से बांग्लादेश से जुड़ी प्राथमिकता की ओर स्पष्ट संकेत कर रही है; क्योंकि इस मौके पर प्रधानमंत्री बांग्लादेश के मतुआ संप्रदाय से जुड़े प्रमुख मठ-मंदिरों का भी दौरा करेंगे। इससे पहले वे ढाका के सावर स्थित वार मेमोरियल में 1971 के युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि भी देंगे।
पश्चिम बंगाल में आज पहले चरण का चुनाव चल रहा है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा को पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 27 मार्च को जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान चल रहा है, उस समय मोदी बांग्लादेश की धरती पर मतुआ संप्रदाय के पवित्र स्थान ठाकुरबाड़ी और ओरकांडी के मतुआ मंदिर , सत्य खीरा के जशोरेश्वरी काली मंदिर के दर्शन कर रहे हैं। तात्पर्य यह है कि इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी जहां द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के प्रयास करेंगे वहीं वे अपने घरेलू मोर्चे पर जारी पश्चिम बंगाल के सियासी घमासान के लिए भी ताकत बटोरने का प्रयास करेंगे। 27 मार्च को पीएम मोदी बांग्लादेश के ईश्वरीपुर जाएंगे, जोकि बांग्लादेशी हिंदुओं की आस्था से जुड़ी सबसे पवित्र स्थानों में शामिल है। वे जशोरेश्वरी काली मंदिर भी हो जाएंगे,जहां हिंदू महिलाएं फूल, चंदन, धूप, दीप, शंख की ध्वनि के साथ मोदी जी का स्वागत करने के लिए पूरे उत्साह से प्रतीक्षारत हैं । ओरकांडी स्थित मतुआ समाज के मंदिर में भी वे जाएंगे और यह ओरकांडी हरिचंद ठाकुर की जन्मस्थली भी है। इन्होंने ही मतुआ महासंघ की स्थापना की थी और हिंदू पिछड़ी जातियों के लिए नवजागरण अभियान चलाया था। उन्हें वहां भगवान के समान पूजा जाता है। आज उनके वंशज पश्चिम बंग के बनगांव के निवासी बन गए हैं।
पश्चिम बंगाल में मतुआ समाज की आबादी ढाई करोड़ से तीन करोड़ के बीच है। इनके प्रभाव-क्षेत्र में विधानसभा की 40-50 सीटें आती हैं। इसलिए ओप्रधानमंत्री मोदी की ओरकंडी-यात्रा का असर पश्चिम बंगाल चुनाव में देखने को मिल सकता है; क्योंकि उसी दिन अर्थात 27 मार्च को बंगाल के 5 जिलों की 30 सीटों पर वोटिंग चल रही होगी। पश्चिम बंगाल के बनगांव में सबसे ज्यादा 65 फ़ीसदी मतुआ वोट बैंक है। बंगाल की 40 विधानसभा सीटों पर मतुआ समाज का सीधा प्रभाव है। नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना तथा हुगली और कूच बिहार जिलों में इनका बड़ा वोट बैंक है। बंगाल की 20 विधानसभा सीटों पर इनका परोक्ष प्रभाव माना जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस को लेफ्ट के खिलाफ माहौल बनाने में मतुआ संप्रदाय का समर्थन मिला था जिसके चलते ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। पुनः 2019 में मतुआ माता के निधन के बाद परिवार में राजनीतिक बंटवारा खुल कर दिखने लगा। उनके छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर ने भाजपा का दामन थाम लिया और 2019 के लोकसभा चुनाव में मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे शांतनु ठाकुर ने बनगांव से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता।
दरअसल विगत 50 वर्षों से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहे मतवा समाज को भारत की नागरिकता दिलाने में दीदी नाकाम रही है। उन्होंने सीएए का खुलकर विरोध भी किया और बंगाल में उसे लागू करने से इनकार भी कर दिया। यहीं से दीदी की मतुआ संप्रदाय से दूरियां बढीं और भाजपा को मतुआ संप्रदाय से जुड़ने का सुनहरा अवसर मिल गया। भाजपा ने कानून के जरिए मतुआ समाज को नागरिकता देने का ऐलान कर दिया।
(लेखक शांतिनिकेतन विवि में प्रोफेसर हैं )
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