क्या आपने कभी दीन मोहम्मद गोशाला, सिकन्दर गोशाला, जन्नत गोशाला, क़ादरी गोशाला, गुल रोशन गोशाला, अमन गोशाला जैसे नामों से गोशाला देखी या सुनी हैं, जिनमें गोवंश की सेवा की जा रही हो। जी हाँ, राजस्थान में इन्हीं नामों से फर्जी गोशालाओं का रैकेट चलाकर सरकारी अनुदान को हजम किया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि गोवंश की तस्करी करने व “बीफ” खाने वाले कांग्रेस के कृपा पात्र लोग ही इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं। घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले में, जहां गोसेवा के नाम पर मुसलमानों द्वारा फर्जी गोशालाओं का रैकेट चलाकर राज्य व केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सालाना करोड़ों रुपए का सरकारी अनुदान उठाकर सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं देती है। गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित गोशालाओं में बड़े घपले की रिपोर्ट मिलने के बाद पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण के दौरान गोशालाओं के संचालकों की पोल खुल गई। घोटाले का भंडाफोड़ होने के बाद अब गोपालन विभाग के मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं राज्य सरकार में जिले के एक बड़े राजनेता द्वारा ऐसे लोगों संरक्षण देने की भी चर्चा आम है।
प्रदेश में गोशालाओं के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा लगातार हो रहा है। अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन किया तो सीमावर्ती जैसलमेर जिले में संचालित 25 गोशालाओं में से 12 में एक भी गोवंश नहीं मिला, जबकि लंबे समय से अनुदान उठाया जा रहा है। इनमें से छह गोशालाओं में 1814 गोवंश बताकर एक साल में 62 लाख का अनुदान सरकार से लिया गया। जिले की 20 गोशालाओं में गोवंश के लिए छाया का प्रबंध नहीं है, केवल पांच में ही पक्की छत मिली। जैसलमेर के नोडल जांच अधिकारी उमेश वारंगटियार ने फर्जीवाड़े का उदाहरण देते हुए बताया कि फर्जीवाड़ा करने वाली गोशालाओं में से एक ने 345 पशु बताकर पिछले साल 12 लाख 7 हजार 800 रुपये का अनुदान उठाया, लेकिन जब भौतिक सत्यापन किया गया तो एक भी पशु मौके पर नहीं मिला। लखा गांव की गोशाला में 201 गोवंश बताकर छह लाख 48 हजार का अनुदान उठाया गया, लेकिन मौके पर एक भी पशु नहीं मिला। इसी तरह गुल रोशन गोशाला में 333 गायें बताकर 11 लाख 61 हजार का अनुदान सरकार से लिया गया, लेकिन भौतिक सत्यापन किया गया तो वहां ताले लगे हुए थे। एक गोशाला में 315 गोवंश कागजों में दिखा कर 10 लाख 75 हजार 200 रुपये का अनुदान सरकार से लिया गया, लेकिन मौके पर एक भी पशु नहीं मिला।
जैसलमेर जिले में इस तरह का फर्जीवाड़ा अन्य कई गोशालाओं में सामने आया है। ख्वाजा ग़रीब नवाज़ गोशाला में पिछले साल के 273 की तुलना में इस साल 26, वृंदावन गोशाला में पिछले साल की 208 की तुलना में इस साल 77, मुहम्मद गोशाला सूजियों की ढ़ाणी में पिछले साल 205 की तुलना में इस साल 72, चांधन स्थित पन्नोधराय गोशाला में पिछले साल 203 की तुलना में इस साल 71, चांधन की आईदान गोशाला में पिछले साल 325 की तुलना में 30, भागु का गांव की जैसाण कादरी गोशाला में पिछले साल की 535 की तुलना में 230, जैसुराणा की दीन मोहम्मद गोशाला में पिछले साल की 381 की तुलना में इस साल 170, जन्नत गोशाला में पिछले साल 418 की तुलना में 80 व सिकंदर गोशाला में पिछले साल 455 की तुलना में इस साल मात्र 50 गोवंश ही मिले है।
इस तरह के मामले सामने आने के बाद गोपालन मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। जिला पशुपालन अधिकारियों से गोशालाओं का भौतिक सत्यापन करने के लिए कहा गया है। सरकार से अनुदान लेने वाली सभी गोशालाओं की जांच का निर्णय लिया गया है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश की गोशालाओं को 274.25 करोड़ का अनुदान दिया गया था।
इन छह उदाहरणों से समझिए गोशालाओं में फर्जीवाड़े का खेल
1 :- काठोड़ी उत्थान संस्थान द्वारा संचालित गोशाला में इस साल एक भी गोवंश नहीं मिला है। पिछली बार इस गोशाला में 416 गोवंश के नाम पर 14 लाख 29 हजार 200 रुपए का अनुदान उठाया गया था। इस बार भौतिक परीक्षण में गोशाला में दूसरी भी कोई सुविधा नहीं मिली। यहाँ तक कि चारा भंडार व भवन भी नहीं मिला।
2 :- जंज विकास संस्थान द्वारा संचालित गोशाला द्वारा पिछली बार 345 पशुओं के हिसाब से सरकार द्वारा 12 लाख 7 हजार 800 रुपए का भुगतान हुआ था। इस बार अचानक हुए निरीक्षण के दौरान पशु उपलब्ध नहीं थे। पिछले कई सालों से गोशाला संचालक करोड़ों रुपए का अनुदान उठा रहे थे।
3 :- लखा गांव में संचालित रता बाबा गोशाला विकास संस्थान में पिछले साल 201 गोवंश के लिए 6 लाख से अधिक का अनुदान जारी हुआ था। इस साल भौतिक परीक्षण में मौके पर एक भी पशुधन नहीं पाया गया है। इस बार अचानक हुए भौतिक परीक्षण के कारण गोशाला की पोल खुलकर सामने आ गई।
4 :- चांधन के मंगलियों की ढ़ाणी में संचालित अमन गोशाला में पिछले साल 204 गोवंश के लिए रु० 7,02,000 का अनुदान दिया गया था। इस साल भौतिक परीक्षण में एक भी पशु गोशाला में नहीं दिखा। इस गोशाला द्वारा भी पिछले सालों में लाखों रुपए का अनुदान उठाया गया है।
5 :- जैसुराणा में संचालित गुल रोशन गोशाला में पिछले साल 333 पशुधन बताएं गए थे। जिस पर पशुपालन विभाग द्वारा रु० 11,61,000 का अनुदान जारी किया गया था। इस बार हुए भौतिक परीक्षण में इस गोशाला में एक भी पशु नहीं मिला। हर साल इस गोशाला द्वारा लाखों रुपए अनुदान के नाम पर उठा लिए जाते है।
6 :- हमीरा के जैसुराणा में ही संचालित चानणे विकास एवं सेवा संस्थान द्वारा संचालित गोशाला में पिछली बार 315 गोवंश थे। सरकार ने रु० 10,78,200 का भुगतान भी जारी किया था। इस साल हुए भौतिक परीक्षण से गोशाला की वास्तविक सच्चाई सामने आ गई है।
टिप्पणियाँ