अब ये साफ होता जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं, एक वसूली नेटवर्क चल रहा है.महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पूरे वसूली कांड को लेकर उद्धव सरकार के छक्के छुड़ा रखे हैं
अब ये साफ होता जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं, एक वसूली नेटवर्क चल रहा है. सूत्रों का दावा है कि कुछ और रिकार्डिंग सामने आने वाली हैं, जिनमें ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए वसूली का खुलासा हो सकता है. गृह मंत्री अनिल देशमुख को बचाने और क्लीन चिट देने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस सुप्रीमो शरद पवार ने जो दलीलें दी थीं, उनकी भी धज्जियां उड़ चुकी हैं. पवार के मुताबिक देशमुख 27 फरवरी तक नागपुर अस्पताल में भर्ती थे. जबकि तमाम सुबूत सामने आकर चिल्ला रहे हैं कि वह 15 फरवरी से ही मुंबई में जमे हुए थे और तमाम लोगों के साथ बैठकें कर रहे थे. गृह मंत्री द्वारा हफ्ता वसूली टाइप हरकत के बावजूद महा विकास अघाड़ी पूरी बेशर्मी के साथ एक वसूलीखोर राजनेता के साथ खड़ी है. केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की घोटालों में सनी सरकार की याद इस समय महाराष्ट्र को देखकर आ रही है. इस पर इनकी हिम्मत देखिए. महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक महिला सांसद को शिवसेना के सांसद ने गुंडाछाप तरीके से तेजाब फेंकने और जेल भिजवाने की धमकी दी है. अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने इसकी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष से की है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पूरे वसूली कांड को लेकर उद्धव सरकार के छक्के छुड़ा रखे हैं. मंगलवार को भी वह आक्रामक अंदाज में मीडिया के सामने आए. उन्होंने कहा कि एंटीलिया केस में कई गंभीर बातें सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि शरद पवार ने देशमुख के पक्ष में जो प्रमाण दिखाए थे, अब उन पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं. इस पूरे मामले में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. वह केंद्रीय गृह सचिव से मामले की सीबीआई जांच किए जाने की मांग करेंगे. पूर्व सीएम ने कहा कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने भले ही महाराष्ट्र के गृह मंत्री और अपनी पार्टी के नेता अनिल देशमुख के बचाव में सोमवार को अस्पताल का पर्चा दिखाया था, लेकिन उनके इस ‘प्रमाण’ पर ही सवाल उठने लगे हैं. पहले तो अनिल देशमुख के 15 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात सामने आई थी, लेकिन इस पर खुद गृह मंत्री ने सामने आकर कहा था कि मैंने अस्पताल से निकलकर बात की थी. लेकिन उनका एयर टिकट वायरल होने लगा, जिसके मुताबिक उन्होंने नागपुर से मुंबई का सफर चार्टर्ड प्लेन से किया था. फडणवीस का कहना है कि चार्टर्ड प्लेन से अनिल देशमुख ने नागपुर से मुंबई का सफर 15 फरवरी को किया था।
देवेंद्र फड़नवीस ने यह भी दावा किया कि अनिल देशमुख 16 से 27 फरवरी के दौरान होम आइसोलेशन में भी नहीं थे. इसके लिए उन्होंने देशमुख के मूवमेंट (दौरों) के लिए जारी किए जाने वाले पुलिस रिकार्ड की प्रतियां भी दिखाईं. उन्होंने बताया, ‘पुलिस के पास मौजूद वीआईपी मूवमेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक अनिल देशमुख 17 फरवरी को सहृयाद्रि गेस्ट हाउस गए थे. 24 फरवरी को वह मंत्रालय भी गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि वह 15 से 27 फरवरी तक होम क्वॉरंटीन में नहीं थे और अधिकारियों से मिले.
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि मेरे पास पेन ड्राइव में पूरा डेटा भी है, जो 3.6 जीबी का है, जिसे वह गृह सचिव को सौंपेंगे. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में कुछ और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम सामने आए हैं. इसलिए पूरे मामले की जांच सीबीआई से ही कराई जानी चाहिए. सूत्रों का दावा है कि पुलिस विभाग के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भी कई अहम सुबूत सामने आने वाले हैं. हालांकि फड़नवीस ने भी इसके संकेत दिए. उन्होंने कहा कि यह आईपीएस और गैर आईपीएस अधिकारियों के तबादले से जुड़ा मामला है.
उधर, महाराष्ट्र के अमरावती जिले की सांसद नवनीत रवि राणा ने धमकी मिलने की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से की है. सोमवार को नवनीत राणा ने लोकसभा में निलंबित पुलिस अफसर सचिन वाजे और अनिल देशमुख का मुद्दा उठाया था. नवनीत राणा ने सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद आरोप लगाया था कि सदन में उनके करीब से गुजरते हुए शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने उन्हें धमकी दी थी.
राणा का कहना था कि अरविंद सावंत ने उन्हें देख लेने की धमकी दी थी. कहा था कि अब उनके खिलाफ केस दर्ज किए जाएंगे. नवनीत राणा ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में अरविंद सावंत की कथित धमकी का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘अरविंद सावंत ने लोकसभा की लॉबी में मुझसे कहा कि तू महाराष्ट्र में कैसे घूमती है, मैं देखता हूं और तेरे को भी जेल में डालेंगे।’ यही नहीं नवनीत राणा ने दावा किया है कि शिवसेना के लेटर हेड पर, फोन पर कई बार उन्हें चेहरे पर तेजाब डालने की धमकी भी मिली है. नवनीत रवि राणा ने कहा कि यह मेरे साथ ही देश भर की महिलाओं का अपमान है. हालांकि अरविंद सावंत ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
सबसे हास्यास्पद स्थिति महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की हो चुकी है. इतने संगीन मामले पर वह चुपचाप बैठे हैं. कोरोना कुप्रबंधन, पालघर में साधुओं की हत्या, टीआरपी केस में पत्रकार अर्नब की गिरफ्तारी में मुंह की खाने के बाद ये तो पूरे देश के सामने स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की सरकार में नेतृत्व का अभाव है. इस सबके बीच एंटीलिया केस ने तो शिवसेना और उद्धव की जड़ें हिला डाली हैं. उद्धव वैसे ही खामोश हैं, जैसे पूरे देश में सच्चाई के सौदागर बनकर घूमने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी. कभी अपने ही प्रधानमंत्री का अध्यादेश फाड़ देने वाले राहुल गांधी इतने सनसनीखेज मामले पर खामोश हैं क्योंकि उनकी पार्टी भी सरकार में साझीदार है. क्या इसका मतलब सिर्फ यह नहीं है कि उनकी ईमानदारी सत्ता में आने तक ही जिंदा रहती है.
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