खुद को अफगानिस्तान का हितैशी बताने वाले पाकिस्तान की कलई खुल चुकी है। एक बार नहीं कई बार यह साबित हो चुका है कि अफगानिस्तान एवं भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने की जड़ में पाकिस्तान है। यहां तक कि ईरान की सीमाओं पर भी इसकी यह हरकत बदस्तूर जारी है। इसके चलते हाल में ईरान के फौजियों ने पाकिस्तान के बाॅर्डर पर सैनिक कार्रवाई करते हुए कई आतंकियों को ठिकाने लगाया था। हालांकि वह इन आरोपों से इनकार करता रहा है। मगर अब पाकिस्तान की कलई खुल चुकी है। अफगानिस्तान में कनाडा के राजदूत रहे क्रिस अलेक्सजेंडर ने पाकिस्तान के मुंह पर शांतिदूत के चढ़े नकाब को नोच कर फेंक दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान में शांति बहाली की बहुपक्षीय भूमिका निभाने वाला दरअसल पाकिस्तान ही अफगानिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है। इसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ही आतंकवादियों को प्लांट करती है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने की तैयारी में है। साथ ही एक रणनीति के तहल तालिबान को सरकार सौंपने का भी प्लान है। अमेरिका ने इसमें बिचैलिए की जिम्मेदारी पाकिस्तान को सौंपी है। मगर कनाडा के अफगानिस्तान में राजदूत रहे क्रिस अलेक्जेंडर को लगता है कि अमेरिका का पाकिस्तान को इस मामले में द्विपक्षीय जिम्मेदारी देना बहुत बड़ी भूल है। क्योंकि वहां आतंकवादियों के कंधे पर बंदूक रखकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान में हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।
अलेक्जेंडर कहते हैं कि पाक जब तक छद्म युद्ध नहीं बंद करेगा, अफगानिस्तान में शांति स्थापित करना नामुमकिन है। पर्दे के पीछे से आईएसआई तालिबान को हथियार आपूर्ति करती है। उन्होंने एक मीडिया घराने से बातचीत में खुलासा किया कि पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई तालिबान को वहां हिंसक आंदोलन जारी रखने के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध करा रही है। पाकिस्तान की सहायता से तालिबान अफगान सरकार के खिलाफ भाड़े के हथियारबंद लोगों से जगह-जगह हमले करा रहे हैं। हाल में आतंकवादियों ने काबुल के एक गुरुद्वारे में विस्फोट कर कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।
अलेक्जंडर के मुताबिक, तालिबान पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी की जुबान बोलता है। कनाडा के इस पूर्व राजनयिक की सलाह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यदि पाकिस्तान की करतूतों और आतंक के काले कारनामों को बंद कराए तो अफगानिस्तान में तुरंत हालात पटरी पर आ जाएंगे। दरअसल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के खिलाफ गोपनीय एजेंडा चला रहा ताकि भारत के कारण विश्व बिरादरी के समक्ष अकेले पड़े पाकिस्तान को इस बहाने अहमियत मिल सके।
अलेक्जेंडर का कहना है कि अफगानिस्तान ने 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की सदस्यता का विरोध किया था, तब से वह यहां आतंक की फसल बोने का काम कर रहा है। इस फसल में पैदा हुए आतंकियों को वह निरंतर अफगानिस्तान और कश्मीर दोनों में इस्तेमाल करता रहता है।
भारत का कहना है कि पिछले एक वर्ष में पाकिस्तान ने सीमा पर पांच हजार से अधिक बार सीज फाॅयर का उल्लंघन किया है। ऐसे मौके पर वह अपने आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने की कोशिश करता है। इसके अलावा सुरंग के जरिए भी भारत में पाकिस्तान में पले आतंकवादी भेजे जा रहे हैं। कश्मीर में आतंकवादियों को ड्रोन के जरिए हथियार सप्लाई की जाती है। हाल में जम्मू कश्मीर दौरे पर 20 से अधिक देशों का एक प्रतिनिधिमंडल आया था। इस दौरान उसे भारत में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों, घुसपैठियों एवं अवैध हथियारों की तस्करी का पूरा कच्चा चिट्ठा खेलकर रख दिया था।
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