बिहार का कुख्यात दरभंगा माॅड्यूल इन दिनों फिर चर्चा में है। इस बार उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी गाड़ी का सूत्र इंडियन मुजाहिद्दीन के दरभंगा माॅड्यूल से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा इजरायली दूतावास के सामने हुए विस्फोट में भी दरभंगा माॅड्यूल का नाम आया है। इन दोनों मामलों में इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू का नाम सामने आया है। वह समस्तीपुर के कल्याणपुर थानाक्षेत्र के मनियारपुर गांव का निवासी है।
तहसीन अख्तर के बैरक से एक मोबाइल हैंडसेट जब्त किया गया, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास एंटीलिया के बाहर 20 जिलेटिन छड़ों से भरी एसयूवी पार्क करने में संदेश भेजने के लिए किया गया था। इसके अलावा इस मोबाइल हैंडसेट से 29 जनवरी को इजरायली दूतावास पर धमाकों की जिम्मेदारी लेने वाले टेलीग्राम संदेश भी भेजे गये थे। तिहाड़ की जेल नंबर 8 के कैदियों में इंडियन मुजाहिद्दीन और अलकायदा के आतंकी शामिल हैं। इन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। दरअसल एंटीलिया आवास के बाहर खड़ी कार से जिलेटिन बरामद होने के मामले में तिहाड़ कनेक्शन आने के बाद दिल्ली पुलिस की आतंकरोधी इकाई सक्रिय हुई। स्पेशल सेल को इजरायल दूतावास के पास हुए धमाके की जांच के दौरान यह पता चला कि जिस नंबर से टेलीग्राम के जरिए जैश-उल-हिंद नाम के संगठन ने धमाके की जिम्मेवारी ली थी, वह नंबर तिहाड़ जेल में सक्रिय था। यह संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन और अलकायदा के आतंवादियों ने जेल में बनाया था। दोनों मामले में एक ही मोबाइल नंबर 9311’’’’’9 का इस्तेमाल किया गया था। इस नंबर की जांच करने पर एक और संदिग्ध नंबर भी स्पेशल सेल के सामने आया। जांच में यह खुलासा हुआ कि इस नंबर की मदद से ही तहसीन अख्तर के पास से बरामद मोबाइल नंबर को एक्टीवेट किया गया। इन तीनों मोबाइल फोन को जांच के लिए स्पेशल सेल ने लोधी काॅलोनी स्थित फॉरेंसिक सेल में भेज दिया।
तहसीन अख्तर बिहार के समस्तीपुर का रहने वाला है। उसने बिहार के दरभंगा में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए दाखिला लिया। इसके बाद दरभंगा के अलहिरा पब्लिक स्कूल स्थित एक पुस्तकालय में उसकी भेंट आतंकी गयुर जमाली से हुई। दरभंगा के एक खास समुदाय बहुल इलाके के पुस्तकालयों में जाकिर नाइक की पुस्तकें रखी रहती थीं। जमाली ने ही इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए अख्तर को प्रेरित किया। यासीन भटकल उन दिनों दरभंगा में ही सक्रिय था। भटकल ऐसे लोगों की तलाश करता था जो इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हों। 2010 में जमाली ने ही यासीन भटकल से तहसीन को मिलवाया था। अख्तर ने आतंकवाद की अपनी पहली ट्रेनिंग दरभंगा में ही ली थी। इसे पटना के गांधी मैदान में हुए सीरियल धमाकों का तथाकथित मास्टरमाइंड माना जाता था। इसके अलावा भी इसने कई धमाके किये। अपनी कार्रवाईयों से उसने जल्दी ही पाकिस्तान में रहने वाले रियाज भटकल और यासीन भटकल का विश्वास प्राप्त कर लिया और शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता बना लिया। यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद उसने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन की कमान संभाल ली। भटकल ने भी 29 अगस्त, 2013 को अपनी गिरफ्तारी के समय जांच अधिकारियों को बताया था कि अख्तर ही अब भारत की कमान संभालेगा। मार्च, 2014 में 24 वर्षीय तहसीन को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी से गिरफ्तार किया था।
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