पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में अंसारी का मुद्दा उठाने वाले विपक्ष का कहना है कि आखिर पंजाब सरकार यह क्यों नहीं स्पष्ट कर रही है कि किसके दबाव में एक गैंगेस्टर को पंजाब में शरण दी जा रही है। उस पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे है।
अगर बेशर्मी को तर्कसंगत ठहराना हो तो कहावत कही जाती है कि-अब नाचने लगे हैं तो घूंघट कैसा। राजनीति में घूंघट का अपनाम महत्व है। घूंघट अर्थात लोकलाज जो लोकराज के लिए जरूरी तत्व है, परंतु उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी के मामले में तो पंजाब सरकार का मानो नाचते-नाचते घूंघट उतर गया है। पंजाब की जेल में बंद मुख्तार को लेकर राज्य की कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा वांछित इस गैंगस्टर को बचाने का प्रयास कर रही है। परंतु अब राज्य के एक मंत्री द्वारा इस संबंध में किया गया लखनऊ का दौरा चर्चा में है, जो कांग्रेस सरकार की पर्देदारी को तार-तार करने को पर्याप्त है। पंजाब के जेल मंत्री स. सुखजिंदर रंधावा के दो दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उनकी यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक होटल में कुछ लोग उनका स्वागत कर रहे हैं। चर्चा है कि रंधावा के उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान जिन लोगों ने उनकी अगवानी से लेकर सारा इंतजाम किया है, उनमें अब्बास नकवी, सईद अनवर और डालीबाग निवासी आसिफ खान शामिल हैं। ये सभी अंसारी के खास लोगों में शामिल हैं। हालांकि रंधावा ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि मैं अंसारी के लोगों से मिलने यूपी क्यों जाऊंगा। मैंने अपने दौरे की जानकारी दी थी। लखनऊ में मेरा स्वागत अधिकारियों ने किया था। मैंने लखनऊ के बाटी चोखा रेस्त्रां में लखनऊ के एसपी (कानून व्यवस्था) वरिंदर कुमार के साथ खाना भी खाया। मेरे साथ सहकारिता विभाग के आला अधिकारी भी दौरे पर गए थे। उनके दौरे के बारे में 10 मार्च को एक पत्र उनके निजी सचिव द्वारा यूपी के मुख्य सचिव व डीजीपी यूपी को भेजा गया था, जिसमें रंधावा के दौरे की पूरी जानकारी थी।
मंत्री जी चाहें लाख सफाई दें, परंतु अपराधी मुख्तार अंसारी कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गया है। यह मामला जितनी तेजी के साथ तूल पकड़ता जा रहा है, ऐसे में कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को यह नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर इस समस्या से कैसे निकला जाए। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार लगातार ही यह मुद्दा उठा रही है तो राज्य में विपक्ष ने भी इस मामले को हवा देना शुरू कर दिया है। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में अंसारी का मुद्दा उठाने वाले विपक्ष का कहना है कि आखिर पंजाब सरकार यह क्यों नहीं स्पष्ट कर रही है कि किसके दबाव में एक गैंगेस्टर को पंजाब में शरण दी जा रही है। उस पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे है। विपक्ष ने कहा कि अब तो उत्तर प्रदेश के मंत्री ने भी जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा मुख्तार अंसारी के परिजनों से मुलाकात करने का आरोप लगाया है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी चुप्पी तोड़ नहीं रहे हैं। एक मामूली से केस में अंसारी स्टेट गेस्ट बना हुआ है। अलबत्ता पंजाब सरकार अंसारी की वकालत पर लाखों रुपये भी खर्च कर रही है। कांग्रेस न सिर्फ उत्तर प्रदेश के गैंगेस्टर को बचा रही है, बल्कि 2022 में उसका पंजाब में उपयोग भी करना चाहती है। वहीं, कांग्रेस के अंदर भी इस बात को लेकर बेचैनी देखने को मिल रही है। क्योंकि कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में लोगों से पंजाब को गैंगेस्टर मुक्त करने का वायदा किया था। विपक्ष ने सवाल उठाया कि गैंगस्टर जबरन वसूली का रैकेट चला रहे हैं तथा जेलों से हत्याओं का आदेश दे रहे हैं।
काबिले गौर है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ जो केस दर्ज किया गया था, उस पर दो साल में 54 बार तारीख ली जा चुकी है। ऐसे में न तो अभी तक चालान पेश किया गया है और न ही जमानत की अर्जी दी गई है।
क्या बोले उ.प्र. के मंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि पंजाब की कांग्रेस सरकार पर चोर-चोर मौसेरे भाई वाली कहावत सही बैठ रही है। मुख्तार पर कत्ल का आरोप है और सरकार उसको वापस लाना चाहती है, लेकिन पंजाब सरकार सहयोग करने की बजाय अपराधी की मदद करती दिख रही है।
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