बीते बुधवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने ऊपर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम में चुनाव प्रचार करते समय कुछ लोगों ने जानबूझकर मुझे धक्का दे दिया, जिससे मैं चोटिल हो गई। भाजपा ने ममता बनर्जी के इन आरोपों को चुनावी स्टंट बताया। तो वहीं कांग्रेस और सीपीएम ने भी कहा कि इस तरह की नाटकीयता से जनता की संवेदनाएं लेने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इस बार लोग ममता के झांसे में नहीं आएंगे।
आरोप-प्रत्यारोप भारतीय राजनीति का एक हिस्सा बन चुकी है। बीते दशकभर में जनता इन सबसे बहुत अच्छे से वाकिफ भी हुई है। लेकिन जैसे-जैसे जनता नेताओं के इस तरह के व्यवहार को जान पाती, वैसे-वैसे राजनेता जनता को लुभाने, भ्रम में रखने के लिए दूसरे तरीके खोज निकालते। इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल की राजनीति में देखा गया। दरअसल बीते बुधवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने ऊपर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम में चुनाव प्रचार करते समय कुछ लोगों ने जानबूझकर मुझे धक्का दे दिया, जिससे मैं चोटिल हो गई।
भाजपा ने ममता बनर्जी के इन आरोपों को चुनावी स्टंट बताया। तो वहीं कांग्रेस और सीपीएम ने भी कहा कि इस तरह की नाटकीयता से जनता की संवेदनाएं लेने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इस बार लोग ममता के झांसे में नहीं आएंगे। भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने तो यह तक कह दिया कि ममता की सुरक्षा व्यवस्था में चार हजार पुलिस फोर्स, जिसमें 300 इंस्पेक्टर और 4 आईएएस अफसर लगे रहते हैं। ऐसे में ममता बनर्जी पर जिन लोगों ने हमला किया, उनमें से एक भी पकड़ा नहीं गया ? ये बेहद आश्चर्यचकित करने वाला मामला है। क्या हमले वाली बात झूठ है ?
हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ कि ममता ने झूठ बोला हो। इससे पहले भी वह लोगों को कई मामलों में गुमराह कर चुकी हैं। जब कोरोना से पूरी दुनिया परेशान थी, तब भी हमारे देश में इस तरह के कुछ लोग राजनीति कर रहे थे। संकट के समय पर ममता ने आंकड़ों को लेकर भ्रमित किया था। बिना किसी तथ्यों के अपने ही मन से आंकड़े पेश कर दिए थे, जिसके बाद उनकी काफी भददृ पीटी थी।
इसके अलावा पिछले महीने की 17 फरवरी को पश्चिम बंगाल में बम धमाका हुआ था, जिसमें टीएमसी के मंत्री जाकिर हुसैन घायल हो गए थे। इस मामलों को राजनीति स्टंट बताते हुए ममता बनर्जी ने यह कहा था कि इसमें भाजपा का हाथ है। जबकि इस मामले में अब तक पुलिस के हत्थे कुछ नहीं लगा और यहां भी ममता बनर्जी को मुंह की खानी पड़ी। राज्य की पुलिस पूर्ण रूप से दीदी के हाथ में होने के बाद किसी वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची।
ज्ञात हो कि जब अम्फान चक्रवात के कारण लोग संकट में फसे थे, तब केंद्र सरकार ने मदद के लिए धनराशि दी थी। लेकिन इस पर ममता ने कहा था कि केन्द्र सरकार झूठ बोलकर चली गई। लेकिन इस बयान के बाद भाजपा ने संवाददाता सम्मेलन में प्रामाणिकता के साथ बताया था कि उन्होंने आर्थिक मदद की है। इस मामले में भी दीदी का झूठ उजागर हुआ।
पश्चिम बंगाल में चल रही राजनीति पूरे वर्चस्व में है। पिछले दो बार से राज्य का चुनाव जीततीं आ रही ममता बनर्जी के बयानों और उनकी कार्यशैली से लगता है कि वे बिना सत्ता रह ही नहीं सकतीं। पर वे भूल जाती हैं कि सत्ता हमेशा किसी के हिस्से में नहीं रहती।
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