पश्चिम बंगाल में पिछले 10 वर्षों से सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिन पूरे हो गए लगते हैं। इसकी आहट पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों से पहले ही मिलनी शुरू हो गई है। यह उठापटक माल्दा जिला परिषद कर्माध्यक्ष सरला मुर्मू के बीजेपी में शामिल होने से हुई है, जिससे माल्दा जिला परिषद में बीजेपी सत्ता में पहुंच गई है। ऐसा इसलिए संभव हो सका, क्योंकि माल्दा जिला परिषद के ज्यादातर सदस्यों के बीजेपी में शामिल होने की वजह से बीजेपी वहां बहुमत में आ गई है। इसे चुनाव पूर्व टीएमसी के लिए करारा झटका कहा जा रहा है। हालांकि टीएमसी को इसकी खबर पहले से थी। यही कारण था कि पार्टी ने सरला मुर्मू का टिकट काट दिया था।
गौरतलब है टीएमसी को यह झटका माल्दा जिला परिषद के सभाधिपति गौर चंद्र मंडल और 15 अन्य लोगों के बीजेपी में शामिल होने से मिल गया था, लेकिन नाराज सरला मुर्मू के बीजेपी में शामिल होने से उक्त झटका जोर के झटके में बदल गया, जिससे माल्दा जिला परिषद में टीएमसी ने अपना बहुमत खो दिया। माल्दा जिला परिषद में बहुमत हासिल करने के बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि इससे बुरा क्या हो सकता है कि तृणमूल कांग्रेस के अपने ही लोग पार्टी की लीडरशिप से परेशान होकर छोड़ रहे हैं। चूंकि अब माल्दा जिला परिषद में हमारा बहुमत है, तो परिषद में बीजेपी का चेयरमैन होगा।
दरअसल, टीएमसी द्वारा टिकट देकर छीन लिए जाने से माल्दा जिला परिषद कर्माध्यक्ष सरला मुर्मू बहुत आहत थी और कुछ घंटों के भीतर ही उन्होंने बीजेपी का दामकर टीएमसी को ठेंगा दिखा दिया। इससे पहले 5 टीएमसी विधायकों ने टीएमसी को ठेंगा दिखाकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। टीएमसी से बीजेपी में शामिल होने वाले पांचों विधायक क्रमशः सोनाली गुहा, दीपेंदु बिस्वास, रबींद्रनाथ भट्टाचार्य, जातू लाहिरी और सितल कुमार सरदार हैं, जो टिकट कटने की वजह से नाराज चल रहे थे। चुनाव से ठीक पहले सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में तेज हुई भगदड़ के बीच पश्चिम बंगाल की सत्ता से टीएमसी के बाहर होने की स्पष्ट पदचाप सुनी जा सकती है।
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