कानपुर जनपद न्यायालय ने मात्र 42 दिनों की सुनवाई के बाद दो रोहिंग्या मुसलमानों को दस – दस वर्ष कैद एवं जुर्माने की सजा सुनाई. दोनों रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के रास्ते एक युवती को पश्चिम बंगाल लेकर आए थे और उस महिला को बेचने के लिए दिल्ली ले जा रहे थे
गत 23 अगस्त 2019 को कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने ट्रेन की बोगी में अन्दर जाकर दो रोहिंग्या मुसलमानों -अयाज और रज्जाक – को गिरफ्तार किया था. इन दोनों के साथ एक बांग्लादेशी महिला भी थी. इन दोनों के कब्जे से उस समय आठ मोबाइल, सिम कार्ड , भारतीय और बांग्लादेशी करेंसी भी बरामद हुई थी.
म्यांमार निवासी अयाज बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में रहता था. उसने वहां पर एक युवती से जान पहचान बढ़ाई. उस महिला की मामी भारत में रहती है. अयाज ने उस युवती को भरोसा दिलवाया कि वह उसकी मामी से उसे मिलवा देगा. नदी के रास्ते वह पहले पश्चिम बंगाल आया. वहां पर अयाज ने रज्जाक को बुला लिया. वहां से ट्रेन में बैठकर नई दिल्ली ले जा रहे थे. ट्रेन अभी रास्ते में ही थी कि अयाज और रज्जाक की बातचीत से युवती को लगा कि ये दोनों युवक उसके साथ कोई घटना कर सकते हैं. महिला ने जीआरपी के सिपाही से संपर्क किया मगर सिपाही उसकी भाषा नहीं समझ पाया. उसके बाद सिपाही ने ट्रेन के कोच को बुलाया जो बांग्ला भाषा जानता था. कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जीआऱपी को सूचना दी गई. अयाज और रज्जाक को गिरफ्तार किया गया. कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 42 दिन में कानपुर जनपद न्यायालय ने निर्णय सुनाया. अभियुक्तों को दस – दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और प्रत्येक पर 8 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया.
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