आखिरकार तब्लीगी जमात के लोगों ने यह कबूल कर ही लिया कि उन्होंने कोरोना फैलाया था, पिछले साल दिसंबर में बिहार की अदालत में और अब लखनऊ की अदालत में जमातियों ने अपना अपराध कबूल किया
तब्लीगी जमात के लोगों का आपस नेटवर्क में कितना मजबूत है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गत 2 दिसबर 2020 को पटना की अदालत में जमातियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जमातियों के अपराध स्वीकार कर लेने के बाद कोर्ट ने दिन भर खड़ा रहने और जुर्माने की सजा सुनाई. ठीक तरह लखनऊ में भी जमातियों ने कोर्ट में अपना अपराध स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने जेल में बिताई गई अवधि और पांच सौ रुपए के अर्थ दंड की सजा सुनाई. अब जमाती अपने देश को लौट सकेंगे.
विधिक परामर्श के आधार पर पटना में जमातियों ने कोर्ट में यह कहा कि यह अपराध उन लोगों से भूलवश हो गया था. उन लोगों ने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया था. 17 जमातियों ने कोर्ट के सामने अपना जुर्म स्वीकार किया. उसके बाद कोर्ट ने एक दिन खड़ा रहने और ढाई-ढाई हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. इन जमातियों को लॉक डाउन के दौरान बिहार के फुलवारी और दीघा से गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 16 किर्गिस्तान और एक उज्बेकिस्ता का नागरिक है.
उसके ठीक बाद 24 फरवरी 2021 को मुकदमे की तारिख पर लखनऊ की अदालत में भी यही दुहाई दी गई. जमातियों की ओर से कहा गया कि वो लोग दूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे. उनके सभी कागजात वैध हैं. कोरोना महामारी एक असामान्य परिस्थिति थी. उनके द्वारा जानबूझकर ऐसा नहीं किया गया. वो लोग अपने देश वापस जाना चाहते हैं इसलिए उन पर दया की जाय और न्यूनतम दंड दिया जाए. कोर्ट ने जेल में बिताई गई अवधि और पांच सौ रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई.
लखनऊ के कैसरबाग़ और सीतापुर के थाना खैराबाद थाने में 49 जमातियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 271 व महामारी अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, विदेशियों विषयक अधिनियम तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई थी. विवेचना के बाद न्यायालय में इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
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