गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने सभी छह महानगर पालिका में अपनी सत्ता बरकरार रखी है। लेकिन पंजाब में कांग्रेस की जीत को मोदी की हार बताने वाला एक तबका गुजरात के निकाय चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत पर मौन साध गया है
17 फरवरी को कुछ लोगों की बांछें खिली हुई थीं, इसका उचित कारण भी था, क्योंकि जीत शब्द तक सुनने को तरसी कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव जीते थे। जीत भी क्या शानदार थी, नगर परिषदों के 2165 वार्डों में कांग्रेस ने 1214, शिअद ने 261, भाजपा ने 29 और आम आदमी पार्टी ने 48 और अन्य वार्डों में निर्दलियों ने जीत दर्ज करवाई थी। इसी तरह 8 नगर निगमों में कांग्रेस ने 299, शिअद ने 33, भाजपा ने 20, निर्दलियों ने 18 और आम आदमी पार्टी ने केवल 9 वार्डों में जीत दर्ज करवाई थी।
तो ऐसे में मोदी विरोधियों का बगलें बजाना जरूरी था। चाहें इन चुनावों में जमकर धक्केशाही हुई और तो और यहां भाजपा पहले भी कोई बड़ी चुनौती नहीं मानी जा रही थी। असल में यह पराजय अकाली दल व आम आदमी पार्टी की थी, जो कांग्रेस का विकल्प बनने के दावे कर रही थी। परंतु पंजाब में कांग्रेस की जीत को मोदी की हार बताने का खेल चला। दूसरी ओर गुजरात के इन्हीं चुनावों में भाजपा की धमाकेदार जीत हुई है, परंतु पंजाब में कांग्रेस की जीत को मोदी की हार बताने वाले लोग गुजरात की जीत को मोदी लहर बरकरार रहना बताने से गुरेज कर रहे हैं। यानी कई विश्लेषकों का रवैया बन गया है कि चुनाव परिणामों का इस तरह विश्लेषण किया जाए कि हार या जीत दोनों परिस्थितियों में मोदी को ही नीचा दिखाया जाए।
गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने सभी छह महानगर पालिका में अपनी सत्ता बरकरार रखी है। छह महानगर पालिका की 576 सीटों पर 21 फरवरी को मतदान कराया गया था। आम आदमी पार्टी सूरत में ठीक प्रदर्शन करते हुए जहां दूसरे नंबर की पार्टी बन गई, वहीं कांग्रेस यहां खाता भी नहीं खोल पाई। गुजरात की अमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, राजकोट, जामनगर तथा भावनगर महानगर पालिका के चुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी तथा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में शानदार जीत दर्ज की है। कांग्रेस भाजपा के आसपास भी नहीं टिक सकी।
सूरत में कांग्रेस 120 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। राजकोट में कांग्रेस महज एक ही वार्ड में जीत सकी। 72 सीटों में से भाजपा 68 सीटें जीतने में कामयाब रही। चुनाव में हार के साथ ही कांग्रेस में कोहराम मचा है। सभी छह शहरों के कांग्रेस अध्यक्षों ने पार्टी आलाकमान को अपने-अपने इस्तीफे सौंप दिये हैं। रूपाणी और पाटिल की जोड़ी की यह दूसरी बड़ी जीत है। इससे पहले विधानसभा की आठ सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा सभी सीटें जीतने में कामयाब रही थी। बहुजन समाज पार्टी ने जामनगर में तीन सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
वहीं एआइएमआइएम ने अमदाबाद में तीन सीटों से खाता खोला। इसे मुस्लिम बहुल जुहापुरा तथा मकतपुरा में सफलता मिली। अमदाबाद मनपा की 192 सीटों में से भाजपा 165 तक पहुंच गई, जबकि कांग्रेस महज 15 सीट पर ही सिमट गई। राजकोट, वड़ोदरा, भावनगर में कांग्रेस दहाई का आंकड़ा नहीं छू सकी, जबकि जामनगर में 11 सीट पर ही जीत मिली। ये परिणाम गुजरात में सबसे अच्छे परिणामों में से एक हैं। भाजपा ने लगभग 85 प्रतिशत सीटें जीती हैं। कांग्रेस को इस चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने पूरे गुजरात में केवल 44 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने अकेले भावनगर निगम में 44 सीटें हासिल कीं। गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने कहा कि गुजरात की जनता ने भाजपा पर विश्वास जताया है।
पार्टी और अधिक जिम्मेदारी से काम करेगी। गुजरात में पार्टी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को है। लेकिन कथित राजनीतिक विश्लेषक इस जीत में आम आदमी पार्टी को नायक बना कर पेश कर रहे हैं। इन विश्लेषकों का मानना है कि देश में कांग्रेस विपक्ष का स्थान भी छोड़ रही है और आम आदमी पार्टी इसे भरती दिखाई दे रही है। कहने का भाव है कि इन विश्लेषकों की नजरों में पंजाब में कांग्रेस की जीत असल में मोदी की हार है। और गुजरात में भाजपा की प्रचण्ड जीत का श्रेय मोदी को नहीं बल्कि यहां आम आदमी पार्टी के हुए आंशिक उभार को बहुत बड़ा राजनीतिक परिवर्तन मानते हैं। धन्य है इस देश के राजनीतिक विद्वान जो राजनीतिक छुआछूत से पीड़ित दिख रहे हैं।
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