राजधानी दिल्ली के मंगोल पुरी इलाके में रिंकू की हत्या कई अहम सवाल खड़े करती है। इन सवालों की पड़ताल के लिए हम मंगोल पुरी गए और वहां आहत परिवार से, स्थानीय लोगों से, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं से बात की। सबने यही कहा कि रिंकू शर्मा एक सेवाभावी युवा था, जो मोहल्ले में ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके में हर एक की मदद के लिए तत्पर रहता था। शर्मा परिवार को लेकर कभी किसी ने कोई नकारात्मक बात नहीं सुनी थी। राम के प्रति अगाध भक्ति से ओत-प्रोत रिंकू क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक उत्सवों-आयोजनों में पूरी श्रद्धा से भाग लेता था। फिर ऐसा क्या हुआ कि जिस गली में शर्मा परिवार रहता है, उसी में उस परिवार के घर से महज 10 फुट दूर रहने वाले नसरुद्दीन और उसके भाइयों ने गत 10 फरवरी को आधी रात उसके घर पर हमला बोला और रिंकू की पीठ में चाकू घोंप दिया? स्थानीयजन ने बताया कि झगड़ा तात्कालिक कारणों से नहीं हुआ था बल्कि रिंकू का आध्यात्मिक रुझान खटकता था मजहबी उन्मादियों को। 11 फरवरी की सुबह रिंकू ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। कई पहलू जुड़े हैं इस पूरे प्र्रकरण में, जिनकी जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा कर रही है
मंगोलपुरी में स्व. रिंकू शर्मा की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित स्थानीयजन
मंगोलपुरी स्तब्ध है। चाय के ठेलों, ढाबों और बस स्टैण्ड पर आपस में लोग कहीं दबी जुबान तो कहीं खुलकर, रिंकू की मजहबी उन्मादियों द्वारा हत्या की बातें करते दिखे। इन्हीं सब चर्चाओं, माहौल को देखते-आंकते, पूछते-पाछते हम मंगोलपुरी के उस ‘के’ ब्लॉक तक पहुंचे जहां रिंकू का घर है। वहां उसके घर की गली के बारे में ज्यादा ढूंढना नहीं पड़ा। सीआरपी के राइफलधारी जवानों की मौजूदगी ने सब साफ कर दिया। लगभग तीन-चार गलियोें के दोनों मुहानों पर पांच-पांच जवान। रिंकू शर्मा के घर वाली गली में दिल्ली पुलिस के कुछ जवानों की आवाजाही दिखी।
बेहद संकरी, मुश्किल से साढ़े पांच-छह फुट चौड़ी गली। आमने-सामने के घरों में दूरी बस इतनी कि हाथ बढ़ाकर पकड़ लो उधर से कोई चीज। 22 गज में बने एक-डेढ़ कमरे के ऊंचे खंभे जैसे दो-तीन मंजिला मकान। गली के लगभग बीच में बार्इं तरफ शर्मा परिवार का मकान। बाहर सटकर बैठीं पड़ोस की महिलाएं। शोकमग्न। कुछ नौजवान लड़के। रिंकू के भाई मन्नू के दोस्त। बरामदा तो क्या कहेंगे उसे, बस चार-एक फुट की जगह मुख्य दरवाजे के आगे, गली से एकसार होती। उस जगह पहुंचकर हत्या के वक्त, यानी 10 फरवरी की रात को स्थानीय कट्टर मुस्लिमों की 10-12 की भीड़ के शर्मा परिवार के घर हथियारों समेत आ धमकने, परिवार को मार डालने, और इस परिवारजन की अपनी जान बचाने की आपाधापी को दिखाता वह वायरल वीडियो आंखों में तिर गया। उसी रात करीब 12.30 बजे करीब 25 साल के युवा रिंकू की पीठ में छुरा घोंपा था हत्यारों ने, और अगले दिन यानी 11 फरवरी को सुबह करीब 11.30 बजे जिदंगी की जंग हार गया था रामभक्त रिंकू। रामभक्त ही था वो। घर के सामने हमें मिले रिंकू के पड़ोसी गगन ने बताया कि जब घायल रिंकू को स्कूटी पर बैठाकर मुश्किल से 10 मिनट दूर संजय गांधी सरकारी अस्पताल ले जा रहे थे तब भी वह ‘जय श्रीराम’ बोल रहा था और अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर से भी उसने जय श्रीराम बोला था।
लेकिन…रात करीब 12 बजे, हथियारों से लैस होकर आए वे मजहबी उन्मादी कौन थे? कहां रहते थे? रिंकू और उसके परिवार से दिक्कत क्या थी उन्हें? क्या था जिसकी वजह से पींठ में छुरा घोंपा गया रिंकू की?
रिंकू के घर के सामने की कतार में बार्इं तरफ मुश्किल से दस फुट दूर है आरोपियों लाली उर्फ नसरुद्दीन और इस्लाम का घर! पड़ोसी, पिछले करीब साढ़े चार साल से। शर्मा परिवार भी अपने इस घर में 10-12 साल से है। ठीक पड़ोस में रहने वाले के दिमाग में इतना जहर कि छुरा ही घोंप दिया अपने साथियों के साथ! बात या वजह बेशक गहरी रही होगी। इस बाबत जब रिंकू के सबसे छोटे भाई (मझला भाई है अंकित, जो एम.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ रहा है) मन्नू से बात की तो चीजें साफ होनी शुरू हुइं। दिल्ली के श्रद्धानंद कॉलेज से बी.ए. के दूसरे साल की पढ़ाई कर रहे मन्नू ने मजहबी नफरत के सूत्र सिलसिलेवार बताए।
बात करीब 3 साल पहले की है। रिंकू और मन्नू ने अपने कुछ भक्त-हृदय साथियों के साथ तय किया कि इलाके में क्यों न आध्यात्मिक माहौल बनाया जाए, क्यों न गली के नुक्कड़ पर पार्क में सब मिलकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। बात तय हो गई। रिंकू-मन्नू का परिवार यूं भी इलाके में धर्म-कर्म में आगे माना जाता है। रिंकू खुद मोहल्ले के सुख-दुख में बढ़-चढ़कर भाग लेता था, मदद को हर वक्त तत्पर रहता था।
बहरहाल, तभी से नसरुद्दीन और उसके परिवार वालों को चिढ़ होने लगी थी दोनों भाइयों से। पड़ोसी के नाते हंसने-बोलने वाले लहजे में कड़वाहट आने लगी उनके। परिवार से भी कुछ दूरी बना ली मजहबियों ने। कारण, क्यों शुरू किया हनुमान चालीसा का हफ्तेवार कार्यक्रम! लेकिन घर के बड़े बेटे रिंकू ने सब अनदेखा किया, इस हद तक कि कथित तौर पर जिस इस्लाम ने रिंकू को चाकू मारा, उसकी बीवी को उसने खून दिया था जब वह गर्भवती थी और खून चढ़ाने की नौबत आई थी। इतना ही नहीं, महताब उर्फ नाटू के अब्बा को कुछ वक्त पहले कोरोना हुआ तो, खौफ के मारे जब गली का कोई आदमी आगे न आया तो रिंकू ने ही अपनी जान जोखिम में डालकर नाटू के अब्बा को अस्पताल पहुंचाया था। पड़ोसी का धर्म!
इस मजहबी उन्माद की त्योरियां तब और चढ़ गर्इं जब पिछली 5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास हुआ। उस दिन भी राम-यात्रा निकाली रिंकू ने इलाके में, अपने युवा साथियों के साथ। यूं भी रिंकू बजरंग दल का निष्ठावान कार्यकर्ता था, भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ा था। ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंज उठी थी मंगोल पुरी सारी। इलाके के मुस्लिमों में भीतर ही भीतर उबाल था इसे भी लेकर। नसरुद्दीन और उसके ममेरे-चचेरे भाइयों के अलावा गिनती के मुस्लिम परिवार बताए जाते हैं इस इलाके में, लेकिन रिंकू की गली के पास ही एक तीन मंजिला मदरसा जरूर खड़ा है, जहां, बताते हैं, बाहर से बच्चों को लाकर रखागया है।
नसरुद्दीन के भाइयों में जिम से बने मजबूत जिस्मों की बदौलत इलाके में धौंस जमाने की आदत रही थी, चौक-चौराहे पर अनाप-शनाप बोलना, मुहल्ले में दबंगई दिखाना आम था उनका। इन्हीं का एक भाई ताजुद्दीन, जो अब हिरासत में है, होम गार्ड है। स्थानीयजन बताते हैं, चंद पुलिस वालों से नजदीकी के चलते वह पैसे लेकर लोगों के काम निकलवाता रहा है, लिहाजा पैसे वाला है। उसकी भी शह थी नसरुद्दीन, महताब, इस्लाम और जाहिद वगैरह को, उसके दम पर शेखी बघारते रहे थे ये सब।
5 अगस्त 2020 को राम यात्रा के बाद घर लौटे रिंकू ने गली में अपने एक दोस्त को जयश्रीराम बोलकर विदा किया तो, नसरुद्दीन की बीवी समां के गले नहीं उतरा ये। उसने जी-भरकर गालियां दीं रिंकू को कि ‘हमें चिढ़ाता है यह बोलकर’! रिंकू ने सफाई दी कि वह तो अपने दोस्त से बोल रहा था। इधर गालियों की आवाज सुनकर रिंकू की माताजी भी गली में निकल आईं, बीच-बचाव किया तो उन्हें भी समां ने बुरा-भला कहा। हालांकि शाम को नसरुद्दीन ने शर्मा परिवार के घर आकर मामले को रफा-दफा किया था।
अभी 26 जनवरी को भी देश भर में चल रहे राम मंदिर समर्पण निधि कार्यक्रम के प्रति इलाके में जागरूकता लाने के लिए रिंकू और मन्नू ने राम यात्रा का आयोजन किया। राम काज में वैसे भी हमेशा आगे रहता था रिंकू। पर अब तो हद हो गई थी नसरुद्दीन के कुनबे वालों के लिए।
मन्नू ने आगे बताया कि उस दिन 10 फरवरी को रिंकू किसी दोस्त के बुलावे पर उसके जन्मदिन के जश्न में गया था, जहां आरोपी बिन-बुलाए पहुंचे और रिंकू से झगड़ा मोल ले लिया। काफी कहा-सुनी हुई। लेकिन शायद मजहबी उन्माद में डूबे आरोपियों का इरादा कुछ और ही था, पहले की भड़ास भी सुगबुगा रही थी शायद अंदर। इसलिए देर रात घर लौटे रिंकू का पीछा किया उन्होंने, हथियारों से लैस होकर। हमलावर शर्मा परिवार के घर में जा घुसे, तोड़-फोड़, छीना-झपटी हुई, गैस सिलेंडर निकाला, जब मन्नू और उसके पिता बचाव में लाठी लेकर निकले तो वे घर से बाहर चले गए। इस बीच जैसे ही रिंकू उनकी तरफ बढ़ा, उसे घेरकर पींठ में छुरा घोंप दिया…और खून से लथपथ हो गया रिंकू!
इलाके में कई साल चौकसी पर तैनात रहे हेडकांस्टेबल चांद प्रकाश की बात गौर करने लायक है और उन सेकुलरों का मुंहतोड़ जवाब भी, जो दबी जबान में रिंकू पर ही सवाल उठा रहे हैं। चांद प्रकाश कहते हैं, ‘‘मैं इतने साल से यहां ‘बीट’ देख रहा हूं पर कभी इस परिवार या रिंकू के बारे में ऐसी बात नहीं सुनी कि लड़ाई-झगड़े वाले लोग हैं ये। यह लड़का सबकी मदद को तैयार रहता था। परिवार भी धर्म-कर्म वाला है। इसके साथ ऐसा हो गया, यकीन नहीं आता। जो हुआ, बहुत गलत हुआ।’’
कुछ यही कहना है मंगोल पुरी के सामाजिक कार्यकर्ता सुरजीत कुमार का। वे भी इस परिवार को कई साल से जानते हैं। उन्होंने पाञ्चजन्य को बताया कि राम के काम में हमेशा आगे रहता था रिंकू। हनुमान चालीसा पाठ का क्रम भी उसी ने तय किया था। वह सेवाभावी था, बालाजी अस्पताल में लैब सहायक के तौर पर काम करके, परिवार को आर्थिक संबल देता था।
इसी तरह उत्तर दिल्ली नगर निगम में वार्ड 56 से पार्षद श्रीमती राज प्रकाश पहलवान के पति प्रकाश पहलवान भी समाजकार्यों से जुड़े हैं। उनका भी यही कहना है कि परिवार पर किसी दृष्टि से उंगली नहीं उठाई जा सकती। इस दुखद घटना से क्षेत्र ने एक जुझारू और कर्मठ युवा खो दिया। उनकी मांग है कि मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए। जांच का काम दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के पास है, जो तमाम पहलुओं पर गौर कर रही है।
हालांकि पुलिस के आला अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच निष्पक्ष होगी, पर क्षेत्र के निवासियों को संदेह है कि कहीं कट्टर तत्व इसे प्रभावित न करें।
कई सवाल तैर रहे हैं मंगोल पुरी के ‘के’ ब्लॉक की खामोशी में। क्या मजहबी उन्माद के खास रवैए के तहत यह घटना सोची-समझी साजिश है! रिंकू का धार्मिक कामों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चुभ रहा था क्या ‘उनको’! क्षेत्र में मुस्लिमों की बेहद कम आबादी होने के बावजूद तीन मंजिला मदरसा वहां कैसे खोला गया! घायल रिंकू को संजय गांधी अस्पताल ले जाने पर उसके भाई मन्नू को वहां आरोपियों में से एक ताजुद्दीन पहले से मौजूद दिखा, जिसने कथित तौर पर इमरजेंसी वार्ड में लेटे रिंकू की पींठ में लगे चाकू को उमेठकर निकालने की कोशिश की और जब वह नहीं निकला तो उसे और अंदर धंसा दिया। ऐसा कैसे हुआ! ताजुद्दीन को वहां कैसे जाने दिया गया! रिंकू के इलाज को भी तो कहीं उसने प्रभावित नहीं किया, क्योंकि 11 फरवरी की सुबह तक सांस चल रही थी उसकी, फिर भी उसे बचाया न जा सका! एक और सनसनीखेज बात बताई मन्नू ने कि एक स्थानीय मुस्लिम के घर की तलाशी में पांच तलवारें और खंजरनुमा हथियार मिले हैं। मन्नू की मांग है कि इलाके में मुस्लिमों के अन्य घरों की भी तलाशी ली जाए, पता लगाया जाए कि किसी बड़ी साजिश की तैयारी तो नहीं हो रही।
इन्हीं सब सवालोें में डूबते-उतराते शाम ढले रिंकू की गली से बाहर निकला ही था कि मदरसे पर लगे लाउडस्पीकर से जरूरत से ज्यादा ऊंची आवाज में अजान गूंज उठी…! और दिमाग में सवालों का बवंडर और तेज हो गया!
टिप्पणियाँ