पाकिस्तान में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। विशेषकर उन इलाकों में जहां आतंकवादियों का वर्चस्व है। इन इलाकों में आजादी से महिलाएं सड़कों पर घूम-फिर भी नहीं सकतीं। ऐसा करने पर उन्हें गोलियों से उड़ा दिया जाता है। एक तरफ प्रधानमंत्री इमरान खान विश्व बिरादरी की आंखों में धूल झोंकने पर आमादा हैं कि उनके देश में सब कुछ ठीक-ठाक है। आतंकवादी पूरी तरह काबू में हैं। दूसरी तरफ इस देश में आए दिन ऐसी वारदातें पेश आ रही हैं, जिससे साबित होता है कि आतंकवादी इस देश में अनियंत्रित घूम रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण सामने आया है। पाकिस्तान के वजीरिस्तान से, जहां चार महिला स्वंयसेवकों को आतंकवादियों ने कार में चढ़ने से पहले गोली मार दी। घटना दिन के 10 बजे सरेआम अंजाम दी गई। इससे पहले इस्लामिक स्टेट के हथियारबंद आतंकवादियों ने 11 हजारा समुदाय के कोयला खदान में काम करने वाले मजदूरों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था।
बहरहाल, ताजा हमले में महिलाओं की गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर भी बुरी तरह घायल है, जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है। घटना दो दिन पुरानी है। बताते हैं कि हमलावरों ने गाड़ी में चढ़ते समय चारों महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। स्थानीय पुलिस कहती है कि जिस इलाके में महिलाओं की हत्या की गई, वहां पहले पाकिस्तानी तालिबान का हेडक्वार्टर हुआ करता था। इस इलाके में काफी ज्यादा आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सैफुल्लाह गंडापुर कहते हैं कि चारों सामाजिक कार्यकर्ता महिलाएं गाड़ी में सवार हो रहीं थीं, तभी बाइक से आए अज्ञात हमलावरों ने उनके ऊपर फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें चारों की मौके पर ही मौत हो गई। उनका चालक बुरी तरह घायल है, जिसका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नॉर्थ वजीरिस्तान काफी ज्यादा आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र है। इस इलाके में कहीं भी किसी पर भी हमला हो सकता है और ये बेहद खतरनाक क्षेत्र माना जाता है। जब पुलिस अधिकारी से पूछा गया कि क्या महिलाओं को किसी खास मकसद से निशाना बनाया गया है तो सैफुल्लाह गंडापुर ने कहा कि इस इलाके में किसी महिला को सड़क पर आजादी से घूमना कुछ लोगों को कबूल नहीं है। महिलाएं समाज सेवा के काम से जुड़ी थीं, जो आतंकवादियों को पसंद नहीं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान का नॉर्थ वजीरिस्तान इलाका एक वक्त आतंकियों का गढ़ रहा है। यहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अपना हेड ऑफिस बना रखा था। तहरीक-ए-तालिबान जिसे पाकिस्तान तालिबान भी माना जाता है वह आतंकियों के लिए एक कैंप की तरह काम करता था। इसे बनाने का मकसद 2007 में पाकिस्तान की सरकार को जड़ से उखाड़ने के लिए किया गया था। ताकि सरकार को अपदस्त कर मजहबी रिवाज के हिसाब से शासन चलाया जा सके। तहरीक-ए-तालिबान मानता है कि मुस्लिम महिलाओं का घर से बाहर निकलना गुनाह है। वजीरिस्तान में जितने इलाके पर इस संगठन का प्रभाव था, वहां महिलाओं से आजादी छीन ली गई थी। तमाम एनजीओ बंद करा दिए गए थे। एक समय यहां आए दिन बम धमाके हुआ करते थे। 2014 में पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ अभियान चलाया था। पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों को जैसे ही मारना शुरू किया इसके सभी बड़े नेता भागकर अफगानिस्तान चले गए। फिर नॉर्थ वजीरिस्तान से तहरीक-ए-तालिबान के ऑफिस को हटा दिया गया। उसके बाद इस इलाके में हिंसा की घटनाएं कम हुई, पर आतंकवादी गतिविधियां थमी नहीं हैं। महिलाओं का आजादी से घूमना यहां अभी भी पसंद नहीं किया जाता है। लिहाजा, इस कारण चार महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पाकिस्तानी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तहरीक-ए-तालिबान के कई आतंकी वापस अपने घर लौट आए हैं और उन्होंने फिर से बेगुनाहों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। यह करतूत भी उन्हीं की बताई जा रही है।
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