किसान आंदोलन के बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने डीटीसी की 576 बसें वापस मंगाने का आदेश दिया है। ये बसें सुरक्षा बल के जवानों के लिए भेजी गईं थीं। केजरीवाल सरकार के इस कदम की दिल्ली में आलोचना हो रही है। उनसे पूछा जा रहा है कि वे क्या चाहते हैं, ऐसे समय में जब दिल्ली में स्थिति बिगड़ सकती है, दंगा हो सकता है, ऐसे में पुलिस कहीं आ जा न सके
इसी 26 जनवरी को दिल्ली को रक्त रंजित करने का पूरा प्रयास किया गया था। वामपंथ का अफवाह तंत्र सक्रिय हो गया था। राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय जैसे पत्रकारिता के बड़े नाम अनेक यू टयूबर, पत्रकार, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट अफवाह फैलाने में जुट गए थे। पुलिस और प्रशासन की सक्रियता की वजह से ही दिल्ली को जलने से बचाया जा सका। उस दौरान अफवाह फैलाने वाले पत्रकारों और टवीटर हैंडल की पहचान की गई और कार्रवाई हुई।
26 जनवरी को दिल्ली पुलिस के संयम की हर तरफ तारीफ हो रही है। जिस पुलिस ने पूरी दिल्ली को दंगों से बचाया। केजरीवाल सरकार उसी पुलिस को मुसीबत में छोड़ना चाहती हैं। जिस दिल्ली ने केजरीवाल को सम्मान दिया। उनकी सरकार बनाई। क्या वे उसी दिल्ली को आग में झोंक देना चाहते हैं। यह पहली बार नहीं हुआ है, जब दिल्ली सरकार के कदम ने दिल्ली वालों का सिर शर्म से झुका दिया है।
ऐसा पहले भी होता रहा है। चाहे वह सरकारी विज्ञापन में सिक्किम को अलग देश दिखाने का मामला हो या फिर दिल्ली दंगों में केजरीवाल के नेताओं की सक्रियता। इन घटनाओं ने बार-बार दिल्ली को शर्मिन्दा किया।
आम आदमी पार्टी चाहती थी दिल्ली में पंजाब पुलिस की तैनाती
अब दिल्ली वाले भी केजरीवाल की राजनीति को समझने लगे हैं। उनकी पूरी राजनीति ही समाज को बांटने और देश में अराजकता की स्थिति पैदा करने वाली है। केजरीवाल की राजनीति का ही हिस्सा था कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को लिखा गया पत्र- ‘‘आम आदमी पार्टी आपसे उन सभी शिविरों के आसपास चारों ओर पर्याप्त संख्या में पंजाब के पुलिसकर्मियों को तैनात करने की मांग करती है, जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहे हैं। भाजपा के गुंडों की ओर से हाल ही में किसानों पर किए गए हमलों के मद्देनजर किसानों को सुरक्षा की सख्त जरूरत है।‘‘ इस मांग को पंजाब की सरकार ने तर्कहीन कहकर खारिज कर दिया। लेकिन उसके बाद सोशल मीडिया पर पंजाब पुलिस ट्रेंड कर गया। इस हैशटैग के साथ पांच हजार से अधिक ट्वीट हुए लेकिन उनमें अधिकांश लोगों ने दिल्ली में पंजाब पुलिस की तैनाती की मांग को हास्यास्पद ही लिखा। कई बार तो यही लगता है कि इस तरह देश को बांटने के आइडिया पर एक्सक्लूसिव एनजीओ एक्टिविज्म से निकली आम आदमी पार्टी का ही अधिकार है।
गणतंत्र दिवस पहले भी रहा है निशाने पर
गणतंत्र दिवस समारोह को खराब करने की कोशिश दो बार अरविन्द केजरीवाल पहले ही कर चुके हैं। वर्ष 2015 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि थे, केजरीवाल को न्योता नहीं मिला था। केजरीवाल ने यह कहकर विवाद खड़ा किया कि उन्हें न्योता क्यों नहीं भेजा गया। वे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इस नाते उन्हें न्योता भेजा जाना चाहिए। 2015 में 07 फरवरी से विधानसभा चुनाव थे। उनके इस विवाद को दिल्ली के चुनाव से भी जोड़कर देखा गया। यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के आसपास केजरीवाल धरने पर बैठ गए थे। उन्होंने गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को वीआईपी लोगों का मनोरंजन बताया था, लेकिन अगले ही साल वर्ष 2015 में वहीं केजरीवाल निमंत्रण नहीं मिलने से नाराज हो गए। वर्ष 2014 में दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल धरने पर बैठे थे और और कहा था – ‘‘ हां हम एनार्किस्ट हैं, अराजकता में हमारा विश्वास है।
कृषि कानून पर दोहरा रवैया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी कृषि संशोधन अधिनियम को किसानों के खिलाफ मानती है। अगर वास्तव में अधिनियम किसानों के विरोध में है तो फिर दिल्ली सरकार ने इसमें से एक अधिनियम को अपने यहां लागू क्यों कर दिया है? इससे तो साफ पता चलता है कि केजरीवाल कर कुछ और रहे हैं और कर कुछ और रहे हैं। उन्हें किसानों की समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं है? वे पंजाब के किसानों की भावनाओं को भड़काकर पंजाब में सिर्फ अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं।
बिहारी के लोगों पर की थी टिप्पणी
दो साल पहले केजरीवाल ने बिहार के लोगों पर एक बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। केजरीवाल ने कहा था- बिहार का एक आदमी 500 रुपये का टिकट लेकर ट्रेन के जरिए दिल्ली आता है और 5 लाख का इलाज मुफ्त में करवा कर चला जाता है। जिस पर बाद में पार्टी को सफाई देनी पड़ी थी।
केजरीवाल ने सिक्किम को बताया था भारत से अलग एक देश
सिविल डिफेंस कोर में स्वयंसेवक के तौर पर की जाने वाली भर्तियों से जुड़ा एक विज्ञापन दिल्ली सरकार द्वारा जारी किया गया। जिसमें सिक्किम को भारत से अलग एक देश बताया गया। इस विज्ञापन के ऊपर दिल्ली सरकार को सिक्किम के मुख्य सचिव की ओर से एक पत्र भेजा गया। जिसमें कहा गया था कि उक्त विज्ञापन से सिक्किमवासियों को ठेस पहुंची है, जो कि खुद को भारत का नागरिक होने में “गर्व महसूस करते हैं”। मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार से तत्काल इस विवादित विज्ञापन को हटवा लेने के लिए कहा था।
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