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असामाजिक तत्व पूरे प्रदेश को अशांत बनाने में जुटै
डॉ. ईश्वर बैरागी
राजस्थान उपद्रवियों और देश-विरोधी ताकतों के निशाने पर है। योजनाबद्ध तरीके से प्रदेश के शांत वातावरण में जहर घोलकर लोगों को भड़काने की कोशिश की जा रही है। जयपुर (रामगंज), सीकर, बांसवाड़ा, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक, बूंदी, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, सांभर, रामगढ़ शेखावाटी समेत कई स्थान ऐसे हैं जहां पिछले एक साल में तनाव की स्थिति बनी है। शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन को कई-कई दिनों तक इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं। जान-माल का नुकसान हुआ। इन तमाम उपद्रवों पर यदि हम दृष्टि डालें तो पाएंगे कि हिंदुओं की आस्था, प्रतीक, परंपराओं और त्योहारों को जान-बूझकर निशाना बनाया जाता है। राष्ट्र-विरोधी ताकतें प्रशासन और हिंदुओं को चुनौती देती हैं। विरोध करने पर लोगों और संपति को निशाना बनाया जाता है। वाहन फूंके जाते हैं, दुकानों में आग लगाई जाती है। गृह मंत्रालय की ओर से सांप्रदायिक दंगों को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार दंगों के मामले में उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के बाद राजस्थान तीसरे क्रमांक पर है। राजस्थान में 2017 में 91 सांप्रदायिक दंगे हुए। इनमें 12 लोगों की मौत हुई और 175 लोग घायल हुए।
ऐसी ही घटना टोंक में नव वर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) पर हिंदू समाज की ओर से निकाली जा रही रैली के दौरान हुई। डीजे बजाने को लेकर वहां 15 फरवरी को भी विवाद हुआ था। उपद्रवियों ने इस दौरान जमकर उत्पात मचाया था। दर्जनों वाहन फूंके थे। यह मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि 18 मार्च को फिर उपद्रवियों ने उल्लास के वातावरण में विष घोल दिया। नव वर्ष पर विभिन्न संगठनों ओर से निकाली जा रही रैली पर बड़े कुआं क्षेत्र में उपद्रवियों ने पत्थर फेंके। पथराव में करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए। चार मोटर साइकिलें फूंक दी गर्इं, कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई। घरों पर पत्थर फेंके गए और दुकानों में तोड़फोड़ तथा आगजनी की गई। नववर्ष का उत्सव फीका हो गया। उपद्रव में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश शर्मा को भी चोटें आर्इं। उपद्रव के बाद कोई एक दर्जन लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इनमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। शहर में हालात पर नियंत्रण पाने के लिए निषेधाज्ञा लगानी पड़ी।
धारा 144 लागू होने से नववर्ष के दूसरे दिन भगवान झूलेलाल के प्रकटोत्सव की शोभायात्रा भी नहीं निकल पाई। इस संबंध में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश शर्मा का कहना है, ‘‘धारा 144 के नियमों के अंतर्गत एक स्थान पर पांच लोग से ज्यादा एकत्रित नहीं हो सकते इसलिए चेटीचंड का जुलूस नहीं निकल पाया।’’ उपद्रव की गंभीरता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि जानकारी मिलते ही रेंज की आईजी मालिनी अग्रवाल मौके पर पहुंचीं। अफवाह न फैले, इसके लिए टोंक में इंटरनेट सेवाओं को बंद करना पड़ा। पुलिस ने कई मुकदमे दर्ज किए हैं। बिगड़े हालात के बाद दुकानदार भयभीत हैं।
लोगों का कहना है कि टोंक में प्रशासन इस बार भी बिगड़े माहौल की नब्ज पहचानने में विफल रहा। पुलिस का खुफिया तंत्र भी इस पूरे मामले में निष्फल साबित हुआ।
एक छोटी-सी घटना पर जो बड़ा उपद्रव हुआ, उससे यह सवाल उठता है कि आखिर हालात किधर जा रहे हैं।
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