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28 जनवरी, 2018
आवरण कथा ‘सत्य संधान 70 सोपान’ से स्पष्ट है कि पाञ्चजन्य की सात दशक की यात्रा न केवल तथ्य और प्रामाणिकता में पगी है बल्कि राष्ट्रीय हितों का पत्रकारीय उद्घोष है। पत्र के शुरूआती दिनों से लेकर अब तक की यात्रा में पता नहीं कितने संकट और झंझावात आए लेकिन पाञ्चजन्य राष्ट्र के नाद को ही गुंजायमान करता रहा और आज भी उसी पथ पर है।
—दीपक कुमार, देहारादून (उत्तराखंड)
इस अंक में गोविंदाचार्य जी से बातचीत एक गहन, गंभीर दस्तावेज है। जनसंघ के संदर्भ में श्री गुरुजी का आलेख और उसमें परिलक्षित उनके विचार अद्भुत हैं। पाञ्चजन्य की 7 दशक की यात्रा वास्तव में अनूठी है। नवीन पाठकों के लिए यह अंक पाञ्चजन्य को समझने के लिए एक अच्छा दस्तावेज है।
—अतुल मोहन प्रसाद, बक्सर (बिहार)
पाञ्चजन्य की सात दशक की यात्रा पर केंद्रित विशेषांक न केवल संग्रहणीय है बल्कि स्वतंत्रता के बाद हुए कई घटनाक्रमों को समझने के लिए बड़ा ही अच्छा है। अगर यूं कहें कि यह ‘गागर में सागर’ के समान है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
—बी.एल.सचदेवा, 263,आईएनए मार्केट (नई दिल्ली)
पाञ्चजन्य मात्र पत्र ही नहीं, देशभक्ति एवं हिन्दुत्व की अलख को जगाए रखने का माध्यम है। स्वतंत्रता के बाद जिस विचार को लेकर पाञ्चजन्य की शुरुआत हुई थी, समय बदला, लेखक बदले, संपादक बदले लेकिन अगर नहीं बदला तो इसका विचार और स्वर। आज भी उसी विचार और ध्येय के साथ पाञ्चजन्य आगे बढ़ रहा है। यकीनन राष्ट्रहित में पाञ्चजन्य का निर्भीक स्वर तत्कालीन सरकारों के लिए हमेशा सिरदर्द बना रहा। पाञ्चजन्य के स्वर और उसकी धार को अनेक मौकों पर कुंद करने की कोशिशें की गर्इं लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं।
—डॉ. टी.एस.पाल, संभल (उ.प्र.)
पाञ्चजन्य की 70 वर्ष की अनथक यात्रा को 115 पृष्ठ में समाहित करना आसान नहीं है। जब हर लेख गहन अध्ययन और चिंतन से भरा हो। लेकिन संपादकीय टोली ने यह काम किया, जिसके लिए वह धन्यवाद की पात्र है। मुखपृष्ठ पर श्री अटल बिहारी वाजपेयी और पं.दीनदयाल उपाध्याय जी का चित्र अत्यन्त मनमोहक है। मेरा मानना है कि पाञ्चजन्य का शंखनाद देश-दुनिया में और भी उच्च स्वर में गूंजे, यही हमारी चाह है।
—डॉ. रंगनाथन, बागलकोट (कर्नाटक)
आतंकियों के हमदर्द
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कुछ दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख आतंकी हाफिज शहीद का खुलकर समर्थन किया था। यकीनन पाकिस्तान की यह बड़ी चाल है। मुशर्रफ पाकिस्तान में फिर से शक्ति संपन्न होने और आतंकी आकाओं का संरक्षण प्राप्त करके भारत विरोधी माहौल को तेज करने का इच्छुक है। पाकिस्तान कब तक भारत के खिलाफ षड्यंत्र करता रहेगा। आज विश्व उसकी आतंक पोषित छवि को जान चुका है।
-हरीश चंद्र धानुक, लखनऊ (उ.प्र.)
दोमुंहा रवैया
‘फिर वही वामपंथी विष (21 जनवरी, 2018)’ रपट अच्छी लगी। वामपंथ समर्थक जिस अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करते हैं, खुद कभी उसका पालन नहीं करते। देश को जात-पात में बांटना एवं अपने विरोधी की हत्या करना उनकी नीति है। केरल, त्रिपुरा में ऐसी घटनाएं आम हैं। इन नृंशस हत्याओं पर न किसी सेकुलर दल का मुंह खुलता है और न ही वामपंथी कुछ बोलते हैं। ऐसे लोग देश बदलने की बात करते हैं। हकीकत में ये सब ढोंगी हैं और कुछ नहीं।
—मनोहर मंजुल, प.निमाड़ (म.प्र.)
राहुल बाबा की हुई हंसाई
पूर्वोत्तर मेंभी खिला, कमल फूल इस बार
वामपंथियों को मिली, बड़ी करारी हार।
बड़ी करारी हार, किला जर्जर हो टूटा
लगा हथोड़ा खोपड़िया पे, हंसिया छूटा।
कह ‘प्रशांत’ राहुल बाबा की हुई हंसाई
मानिक दादा ने अपनी सरकार गंवाई॥
— ‘प्रशांत’
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