आवरण: दृष्टि, दर्शन और परिवर्तन
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आवरण: दृष्टि, दर्शन और परिवर्तन

by
Mar 19, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 19 Mar 2018 11:11:11

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 9 से 11 मार्च तक नागपुर में आयोजित हुई। इस अवसर पर संघ कार्य को अगले तीन साल तक दोगुना करने का आह्वान किया गया। इसके लिए बुनियादी मूल्यों पर दृढ़ रहते हुए व्यक्तिगत पहुंच बनाए रखने की बात पर बल दिया गया

पाञ्चजन्य ब्यूरो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को मंडल स्तर तक बढ़ाने के लिए सरकार्यवाह के आह्वान के साथ, संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 11 मार्च को संपन्न हुई। नागपुर में रेशिम बाग स्थित संघ मुख्यालय में 9 मार्च को सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने संघ की  इस वार्षिक सभा का औपचारिक उद्घाटन किया, जिसमें विभिन्न प्रांतों और संघ से जुड़े संगठनों से कुल 1,496 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिनिधि सभा हर तीन साल पर नागपुर में आयोजित की जाती है। श्री भैयाजी जोशी ने कहा, ‘‘आने वाले तीन साल में हम ऐसे क्षेत्रों और समाज के उन वर्गाें तक पहुंचने की योजना तैयार करेंगे जो अब तक छूट गए थे। हमारा इरादा अपनी पहुंच को वर्तमान के मुकाबले लगभग दोगुना करना है।’’ प्रतिनिधि सभा के आखिरी दिन मीडिया को संबोधित करते हुए श्री जोशी ने कहा कि देशभर में हजारों कार्यकर्ताओं के परिश्रम से संघ का कार्य आज एक संतोषजनक स्थिति पर पहुंच चुका है। 90 वर्ष में 60,000 गांवों तक पहुंचना और 80,000 से अधिक शाखाएं स्थापित करना आसान नहीं था। संघ की शुरुआत का उद्देश्य अल्पकालिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एकत्रित भीड़ या जन आंदोलन नहीं, जिसके जरिए लोकप्रियता हासिल की जाए, बल्कि इसका मिशन अच्छे गुणों का पोषण, पुरुषों में सद्चरित्र का विकास है जो देश के गौरव को देदीप्यमान कर दे। लगभग सभी सामाजिक क्षेत्रों और वर्गों तक पहुंच बनाने में संघ ने जो सफलता हासिल की है, वह बहुत संतोषजनक है और इस बात का संकेत देती है कि लोगों के बीच संघ की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। अब ज्यादातर लोग संघ को जानना और समझना चाह रहे हैं। वे संघ के कार्य में शामिल होने के लिए भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

श्री जोशी ने संघ के कार्यों के  प्रति समाज के संभ्रांत वर्गों की ओर से मिल रही सकारात्मक प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया। उन्होंने नवंबर, 2017 में नागपुर में आयोजित समारोह में घोष समूह द्वारा भारतीय रागों पर आधारित 60 मिनट की विशेष प्रस्तुति का जिक्र किया जिस पर वहां उपस्थित संगीत क्षेत्र के दिग्गज कलाकारों ने खड़े होकर वाहवाही दी। इसी तरह, मेरठ में आयोजित राष्टÑोदय समागम के दौरान सहभागियों के लिए जाति, पंथ और मत से परहेज किए बगैर 3,50,000 से अधिक घरों से भोजन के पैकेट एकत्र किए गए। यहां तक कि मुस्लिम परिवारों ने भी आगे बढ़कर भोजन के पैकेट प्रदान किए। कम्युनिस्ट शासित त्रिपुरा में 15,000 लोगों ने संघ कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा, ये सभी घटनाएं स्पष्ट रूप से समाज के सभी भागों में संघ की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाती हैं। हम देश के कोने-कोने तक पहुंच बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं।
सरकार्यवाह ने विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण और विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी भाषाओं के बढ़ते प्रभाव और विदेशी शब्दों की सेंध से हमारी भाषाओं और बोलियों की शुद्धता प्रदूषित हो रही है। संघ मानता है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए विदेशी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं, लेकिन हमारी अपनी भाषाओं को अक्षुण्ण बनाए रखने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हम समाज के सभी वर्गों से अपनी मातृभाषाओं और बोलियों को संरक्षित और उनकी साहित्यिक विरासत की रक्षा करने की अपील करते हैं। हमें रोजाना की जिंदगी में अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें भारत को जानने के लिए भारतीय भाषाओं को भी समझने की जरूरत है। चूंकि अधिकांश बोलियों की लिपि नहीं, इसलिए उनमें मौजूद साहित्य को लिपिबद्ध करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने बोडो साहित्य परिषद का हवाला दिया जिसने अपनी भाषा के लिए देवनागरी लिपि का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा है।  हालांकि, वह भारतीय भाषाओं और बोलियों के लिए रोमन लिपि के इस्तेमाल के सख्त खिलाफ है।
अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े एक सवाल के जवाब में श्री जोशी ने जोर देकर कहा कि राम मंदिर जरूर बनेगा, लेकिन उसके लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। उन्होंने कहा,  ‘‘यह मामला अदालत में लंबित है और मालिकाना हक के इस मामले में हमें अदालत के फैसले का इंतजार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में आम सहमति हो जाए तो अच्छा होगा, लेकिन यह मुश्किल दिख रहा है।’’ श्री जोशी ने कहा कि जो कोई भी इस जटिल मामले का आपसी सहमति से हल चाहते हैं, उन्हें वैसे लोगों से जरूर संपर्क करना चाहिए जो इस मसले से शुरू से जुड़े हैं।
उत्तर-पूर्व क्षेत्र में भाजपा की शानदार राजनीतिक जीत से जुड़े एक सवाल के जवाब में सरकार्यवाह ने कहा कि संघ किन्हीं खास शक्तियों की मदद या उसके बगैर मिली राजनीतिक जीत पर विश्वास नहीं करता। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कार्यों में हो रही प्रगति का श्रेय हमारे कार्यकर्ताओं को जाता है और भाजपा सिर्फ संघ की सहायता से सत्ता में नहीं आई, बल्कि उसके पीछे जनता में बदलाव के लिए जागी मजबूत इच्छाशक्ति थी। सामाजिक वातावरण भाजपा के लिए अनुकूल था और यही उसकी जीत में परिलक्षित भी हुआ।’’ भाजपा को समर्थन से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश का आम आदमी इस सरकार के साथ है। वह सरकार के अच्छे काम से प्रभावित है। कर्नाटक में लिंगायत के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संघ का मत है कि भारत में अलग-अलग संप्रदाय हो सकते हैं, लेकिन उनमें एक-दूसरे को जोड़ने वाले कुछ बुनियादी तत्व होते हैं। हमारा ध्यान इन्हीं बुनियादी तत्वों पर है जो परस्पर विवादों को मिटाकर इनकी एकता बनाए रखते हैं।
किसानों के मुद्दे पर भैयाजी का मानना है कि आज किसान जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनका व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए संवेदनशील नजरिये की जरूरत है। इसके कई पहलू हैं। विभिन्न समस्याओं के बारे में किसानों की सोच को भी बदलने की जरूरत है। कोई भी सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील नहीं हो सकती। उन्हें किसानों के उत्पाद की उचित कीमत देनी चाहिए और इसके साथ ही किसानों को अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए
नए तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
केरल और पंजाब में राजनीतिक हत्याओं से जुडेÞ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी हालत में इस तरह की घटनाएं न हों। फिर भी, अगर ऐसी घटना घट जाए तो दोषियों को सजा दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है। आर्थिक अपराधियों के मामले में उन्होंने कहा कि सरकार को कड़े से कड़े कदम उठाकर इस तरह की घटनाओं को रोकना चाहिए। देश छोड़कर भाग चुके लोगों ने हमारे बैंकों से पैसे ले रखे हैं। हमें अपनी व्यवस्था को इतना मजबूत बनाना होगा कि इस तरह की स्थितियों से निपटा जा सके। हमें अपनी व्यवस्था को सुरक्षित और निरापद
बनाना होगा।
त्रिपुरा चुनाव के बाद वहां मूर्तियों को तोड़े जाने के मुद्दे पर श्री जोशी ने पलटकर पूछा कि केरल और दूसरी जगहों पर हुई हत्याओं के खिलाफ माहौल बनाने में मीडिया क्यों पिछड़ गया? उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ मूर्तियों के साथ किए गए ऐसे आचरण की खुले शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने साफ किया कि समाज में असहिष्णुता की प्रवृत्ति और भ्रम फैलाने की कोशिश इससे भी ज्यादा गंभीर मामला है। प्रशासन को इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए हमेशा चौकस रहना चाहिए ताकि सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल बना रहे।
प्रतनिधि सभा में पहले दिन अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए श्री जोशी ने कहा कि लोगों में संघ के कार्यों के प्रति भरोसा बढ़ रहा है और इसी के साथ देशभर में संघ से उम्मीदें भी बढ़ी हैं। इसकी झलक विभिन्न प्रांतों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में हिंदू समाज की भागीदारी में मिलती है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर-पूर्व के राज्यों और विशेषकर त्रिपुरा में आयोजित हिंदू सम्मेलन कई दृष्टिकोण से प्रेरणादायी रहे। सामाजिक, धार्मिक, औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े गण्यमान्य लोगों ने जिस तरह इसकी प्रशंसा की, उससे हमारे कार्यों के प्रति बढ़ती स्वीकार्यता का संकेत मिलता है।’’
इसके साथ ही सरकार्यवाह ने समाज में आंतरिक संघर्षों की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं में हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को होने वाला नुकसान अत्यंत निंदनीय है। हमें विघटनकारी ताकतों के प्रति सतर्क रहना होगा। ऐसी स्थितियों में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व की सकारात्मक भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। हमें गंभीरता से ध्यान देना होगा कि  न्याय और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सम्मान और भरोसा टूटने न पाए। संवैधानिक और कानूनी-व्यवस्था के अंतर्गत अपने विचार रखने का तो हम सभी को पूर्ण अधिकार है।’’
9 मार्च को मीडिया को संबोधित करते हुए सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने प्रतिनिधियों को जानकारी दी कि देश के करीब 95 प्रतिशत जिलों से प्रतिनिधि इस बैठक में भाग ले रहे हैं। उन्होंने संघ कार्य के विस्तार और आयोजित किए गए संघ शिक्षा वर्गों की भी जानकारी दी (विवरण के लिए बॉक्स देखें)।
सरकार्यवाह के प्रतिवेदन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष विभिन्न प्रांतों में विशेष कार्यक्रम चलाए गए। इनमें लुईतपरिया हिंदू समावेश कार्यक्रम उल्लेखनीय है। 21 जनवरी, 2018 को गुवाहाटी में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर असम के लगभग 80 जनजातीय समुदायों के 31,351 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया था। इसके अलावा उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं द्वारा चलाई जा रही सेवा गतिविधियों के बारे में भी मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम किसानों के बीच अपने कार्य को बढ़ाने पर जोर देंगे। प्रतिनिधि सभा के शुरू होने से पहले 8 मार्च को संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने मीडिया को बताया कि पिछले साल देशभर से करीब 1़ 25 लाख लोगों ने संघ से जुड़ने की इच्छा जताई, जिनमें ज्यादातर युवा हैं। उन्होंने बताया कि देश की संस्कृति से जुड़ाव रखने या फिर समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखने वाले युवा संघ में शामिल होना चाहते हैं। शिक्षित युवाओं में विशेषकर आईटी से जुड़े लोग संघ में शामिल होने के इच्छुक दिखे। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने छह खंडों वाली ‘कृतिरूप संघ दर्शन’ पुस्तक का लोकार्पण किया। प्रतिनिधि सभा के अंतिम दिन यानी 11 मार्च को सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री मा.गो. वैद्य को   उनके 95वें जन्मदिन पर सम्मानित   किया।       पाञ्चजन्य ब्यूरो

संघ कार्य की स्थिति  
 2017-18 में आयोजित कुल संघ शिक्षा वर्ग
वर्ष     स्थान    प्रतिभागी          विशेष        स्थान    प्रतिभागी
प्रथम     9,734    15,716    प्रथम (विशेष)    2,146    3,012
द्वितीय    2,959    3,796    
तृतीय    834    899    तृतीय (विशेष)    697    716

प्राथमिक शिक्षा वर्ग
वर्ष    शिविर     शाखा    प्रतिभागी
2016-17    1,059    29,127    1,04,256
2017-18    1,180    27,814    95,318

शाखाओं की संख्या
वर्ष    स्थान    शाखा    मिलन    मंडली
2017    36,729    57,165    14,986    7,594
2018    37,190    58,967    16,404    7,976

भारत विकास परिषद
1963 में स्थापित।  इन दिनों 345 जिलों में 1761 प्रकल्प चल रहे हैं।
संपूर्ण विकास के लिए 59 गांवों को गोद लिया है। अब तक 16 गांव विकसित हो चुके हैं।
703 दिव्यांगों का पुनर्वसन और 18,644 को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए हैं।
एक महीने में 70,000 यूनिट रक्त संग्रह किया।  

आरोग्य भारती
678 जिलों में कार्य। 35 प्रांतों में 2,517 सेवा परियोजनाएं।
311 जिलों के 1,159 स्थानों पर विश्व योग दिवस के अवसर पर आयोजन।

राष्टÑीय सेवा भारती
स्थापित 2003। सेवा कार्यों से जुड़ीं 960 संस्थाएं संबंद्ध।
    केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में सेवा संगम का आयोजन।

संस्कार भारती
स्थापित 1981, दिसंबर, 2017 में कुरुक्षेत्र में कला साधक संगम।
26 जनवरी, 2018 को पूरे भारत में भारत माता पूजन का आयोजन।
फरवरी, 2018 में आगरा में साहित्य सम्मेलन।

लघु उद्योग भारती
1994 में स्थापित। 25 राज्यों के 344 जिलों में 482 इकाइयां कार्यरत।
राजकोट, जयपुर और बेंगलुरू में औद्योगिक मेलों का आयोजन।
2019 में रजत जयंती मनाने की तैयारी।  

सक्षम
जनवरी महीने में इंदौर में दिव्यांग कुंभ का आयोजन।
300 दिव्यांगों को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाया।
अंधत्व-मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 15,602 मरीजों का आॅपरेशन कराया।

भारतीय किसान संघ
30,00,000 से अधिक लोग जुड़े हैं।
जी.एम. बीज के विरुद्ध अभियान चलाया।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम
4,000 से अधिक किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया।
जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक वन्य अधिकार के लिए पहल की।
खेल में वनवासी प्रतिभा को निखारने में अहम योगदान।
पश्चिम बंगाल में 50 तालाबों का निर्माण।

क्रीड़ा भारती
स्थापित 1992। 35 प्रांतों के 596 जिलों में इकाइयां।
सक्षम महिला, निर्भय महिला अभियान के तहत 6,000 युवतियों को स्वरक्षा का प्रशिक्षण।

सहकार भारती
स्थापित 1978। 450 जिलों में कार्य।
19 राज्यों के 570 स्थानों पर स्थापना दिवस मनाया।
देशभर में लक्ष्मणराव इनामदार जन्मशती मनाई।

भारतीय शिक्षण मंडल
1969 में शुरू। 24 राज्यों के 268 जिलों में काम।
कर्नाटक, गुजरात, महाराष्टÑ और राजस्थान में आठ गुरुकुलों को सहयोग।
‘मी फॉर माई नेशन’ के तहत युवाओं को सशक्त बनाने का कार्य।

प्रज्ञा प्रवाह
    32 संस्थाओं के सहयोग से 31 प्रांतों में उपस्थिति।
‘डिकोलोनाइजिंग आॅफ इंडियन माइंड्स’ पर केंद्रित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन।
जयपुर, पुणे, चेन्नै, भोपाल और गुवाहाटी में ज्ञान संगम का आयोजन।

 
भारतीय मजदूर संघ
5,050 मजदूर संघ जुड़े हैं और दो करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।
नवंबर, 2017 में रामलीला मैदान में विशाल रैली का आयोजन। 

 
स्वदेशी जागरण मंच
400 से अधिक जिलों में सक्रिय इकाइयां हैं।
मंच ने चीन विरोधी अभियान बहुत ही जोरदार तरीके से चलाया है।
इसका मानना है कि चीन के कारण ही भारत का व्यापार घाटा 2016-17 तक बढ़ते हुए 52 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

विद्या भारती
संस्कृति ज्ञान परीक्षा में 20,00,000 छात्रों ने लिया हिस्सा।
एस.जी.एफ.आई. खेलों में 308 पदक जीते।
इंदौर में तेजस्विनी महाशिविर आयोजित।  

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
केरल में जारी लाल आतंक के विरुद्ध देशभर में जागरूकता अभियान चलाया।
नवंबर, 2017 में तिरुअनंतपुरम में विशाल रैली का आयोजन।
उच्च शिक्षा में लड़कियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वेक्षण।

 अखिल भारतीय सीमा जागरण मंच
1985 में शुरू। अंतरराष्टÑीय सीमा से सटे 19 राज्यों में से 12 में काम।
सेना में जाने वाले युवकों को तैयार करने में योगदान।

राष्टÑ सेविका समिति
226 जगहों पर भगिनी निवेदिता सार्द्धशती समारोह आयोजित।
जैसलमेर में प्रभावी पथ संचलन का आयोजन।  

भैयाजी चौथी बार बने सरकार्यवाह
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन यानी 10 मार्च को श्री सुरेश जोशी उपाख्य भैयाजी जोशी को आगामी तीन वर्ष (2018-21) के लिए पुन: सरकार्यवाह पद के लिए चुना गया। उल्लेखनीय है कि हर तीन वर्ष बाद देशभर से निर्वाचित प्रतिनिधि सरकार्यवाह का चुनाव करते हैं। शाम के सत्र में निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हुई। भैयाजी ने अपने कार्यकाल की समाप्ति की घोषणा की और उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त से सरकार्यवाह के निर्वाचन की प्रक्रिया संपन्न करवाने का आग्रह किया। इसके बाद बजरंगलाल जी ने मध्य क्षेत्र के संघचालक श्री अशोक सोहनी को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया। उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों से सरकार्यवाह के लिए नाम आमंत्रित किए। पश्चिमी क्षेत्र के संघचालक श्री जयंतीभाई भडेसिया ने सरकार्यवाह पद के लिए भैयाजी का नाम प्रस्तावित किया। इस प्रस्ताव का समर्थन पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संघचालक श्री वीरेंद्र पराक्रमादित्य, दक्षिण क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह श्री राजेंद्रन, असम क्षेत्र के कार्यवाह डॉ. उमेश चक्रवर्ती और कोंकण प्रांत के सह कार्यवाह श्री विट्ठल ने किया। और किसी के नाम का प्रस्ताव नहीं आने के कारण निर्वाचन अधिकारी ने भैयाजी को पुन: सरकार्यवाह घोषित किया।

अब हो गए छह सह सरकार्यवाह
प्रतिनिधि सभा में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य और अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख श्री मुकुंद राव को सह सरकार्यवाह का दायित्व दिया गया। जबकि पहले से ही श्री सुरेश सोनी, श्री दत्तात्रेय होसबाले, डॉ. कृष्णगोपाल और श्री भागैया सह सरकार्यवाह का दायित्व निभा रहे हैं। इस तरह अब कुल छह सह सरकार्यवाह हो गए हैं।

अरुण कुमार बने अ.भा. प्रचार प्रमुख
अब तक अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख का दायित्व संभालने वाले श्री अरुण कुमार को अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का दायित्व सौंपा गया है।

अन्य दायित्व परिवर्तन
जम्मू-कश्मीर के प्रांत प्रचारक श्री रमेश पप्पा को अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख का दायित्व दिया गया है। श्री सुनील मेहता को अखिल भारतीय सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख बनाया गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्री शिवनारायण को दिल्ली में प्रकाशन विभाग का काम दिया गया है। काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक श्री अनिल को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रांत प्रचारक बनाया गया है। अवध प्रांत के सह प्रांत प्रचारक श्री रमेश को काशी प्रांत के प्रचारक का दायित्व दिया गया है।  

871 जिलों में कार्य
देश के 95 प्रतिशत जिलों यानी 871 जिलों में संघ कार्य चल रहा है। इन जिलों में न्यूनतम पांच शाखा वाले 613 केंद्र हैं। 6,283 विकास खंडों में से 5,548 में शाखाएं चल रही हैं। 4,513 खंडों में खंड केंद्र हैं। कुल 56,694 मंडलों में से 22,706 शाखायुक्त हैं और 9,050 संपर्कयुक्त हैं। 2,219 नगर शाखायुक्त हैं और 1,733 नगर ऐसे हैं, जहां न्यूनतम दो शाखाएं हैं। 7,973 संघ मंडलियां हैं। 21,905 सेवा बस्तियों में से 4,633 में शाखाएं चलती हैं।

भारत विकास परिषद
1963 में स्थापित।  इन दिनों 345 जिलों में 1761 प्रकल्प चल रहे हैं।
संपूर्ण विकास के लिए 59 गांवों को गोद लिया है। अब तक 16 गांव विकसित हो चुके हैं।
703 दिव्यांगों का पुनर्वसन और 18,644 को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए हैं।
एक महीने में 70,000 यूनिट रक्त संग्रह किया।  

आरोग्य भारती
678 जिलों में कार्य। 35 प्रांतों में 2,517 सेवा परियोजनाएं।
311 जिलों के 1,159 स्थानों पर विश्व योग दिवस के अवसर पर आयोजन।

राष्टÑीय सेवा भारती
स्थापित 2003। सेवा कार्यों से जुड़ीं 960 संस्थाएं संबंद्ध।
केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में सेवा संगम का आयोजन।

संस्कार भारती
स्थापित 1981, दिसंबर, 2017 में कुरुक्षेत्र में कला साधक संगम।
26 जनवरी, 2018 को पूरे भारत में भारत माता पूजन का आयोजन।
फरवरी, 2018 में आगरा में साहित्य सम्मेलन।

लघु उद्योग भारती
1994 में स्थापित। 25 राज्यों के 344 जिलों में 482 इकाइयां कार्यरत।
राजकोट, जयपुर और बेंगलुरू में औद्योगिक मेलों का आयोजन।
2019 में रजत जयंती मनाने की तैयारी।  

सक्षम
जनवरी महीने में इंदौर में दिव्यांग कुंभ का आयोजन।
300 दिव्यांगों को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाया।
अंधत्व-मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 15,602 मरीजों का आॅपरेशन कराया।

भारतीय किसान संघ
30,00,000 से अधिक लोग जुड़े हैं।
जी.एम. बीज के विरुद्ध अभियान चलाया।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम
4,000 से अधिक किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया।
जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक वन्य अधिकार के लिए पहल की।
खेल में वनवासी प्रतिभा को निखारने में अहम योगदान।
पश्चिम बंगाल में 50 तालाबों का निर्माण।

क्रीड़ा भारती
स्थापित 1992। 35 प्रांतों के 596 जिलों में इकाइयां।
सक्षम महिला, निर्भय महिला अभियान के तहत 6,000 युवतियों को स्वरक्षा का प्रशिक्षण।

सहकार भारती
स्थापित 1978। 450 जिलों में कार्य।
19 राज्यों के 570 स्थानों पर स्थापना दिवस मनाया।
देशभर में लक्ष्मणराव इनामदार जन्मशती मनाई।

भारतीय शिक्षण मंडल
1969 में शुरू। 24 राज्यों के 268 जिलों में काम।
कर्नाटक, गुजरात, महाराष्टÑ और राजस्थान में आठ गुरुकुलों को सहयोग।
‘मी फॉर माई नेशन’ के तहत युवाओं को सशक्त बनाने का कार्य।

प्रज्ञा प्रवाह
    32 संस्थाओं के सहयोग से 31 प्रांतों में उपस्थिति।
‘डिकोलोनाइजिंग आॅफ इंडियन माइंड्स’ पर केंद्रित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन।
जयपुर, पुणे, चेन्नै, भोपाल और गुवाहाटी में ज्ञान संगम का आयोजन।  

भारतीय मजदूर संघ
5,050 मजदूर संघ जुड़े हैं और दो करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।
नवंबर, 2017 में रामलीला मैदान में विशाल रैली का आयोजन। 

 
स्वदेशी जागरण मंच
400 से अधिक जिलों में सक्रिय इकाइयां हैं।
मंच ने चीन विरोधी अभियान बहुत ही जोरदार तरीके से चलाया है।
इसका मानना है कि चीन के कारण ही भारत का व्यापार घाटा 2016-17 तक बढ़ते हुए 52 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

विद्या भारती
संस्कृति ज्ञान परीक्षा में 20,00,000 छात्रों ने लिया हिस्सा।
एस.जी.एफ.आई. खेलों में 308 पदक जीते।
इंदौर में तेजस्विनी महाशिविर आयोजित।  

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
केरल में जारी लाल आतंक के विरुद्ध देशभर में जागरूकता अभियान चलाया।
नवंबर, 2017 में तिरुअनंतपुरम में विशाल रैली का आयोजन।
उच्च शिक्षा में लड़कियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वेक्षण।

 अखिल भारतीय सीमा जागरण मंच
1985 में शुरू। अंतरराष्टÑीय सीमा से सटे 19 राज्यों में से 12 में काम।
सेना में जाने वाले युवकों को तैयार करने में योगदान।
राष्टÑ सेविका समिति
226 जगहों पर भगिनी निवेदिता सार्द्धशती समारोह आयोजित।
जैसलमेर में प्रभावी पथ संचलन का आयोजन।  पाञ्चजन्य ब्यूरो

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies