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पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित हिन्दी भवन में वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा सांसद श्री स्वप्न दास गुप्ता ने डॉ. हरीन्द्र श्रीवास्तव लिखित अंग्रेजी पुस्तक ‘फोर स्टॉर्मी ट्रायल आॅफ वीर सावरकर’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वीर सावरकर अजेय सदैव वीर की तरह ही रहे। देशभक्ति के जिस सांचे में वे ढले थे, उनका जीवन-वृत्त इस बात का साक्षी है कि वह संकल्प वज्र का था। अंतिम क्षणों तक उनका वज्र संकल्प अटल, अविचल रहा। न वे झुके और न टूटे। वीर सावरकर की राष्ट्रभक्ति उनकी अपनी निजी राष्ट्र कल्पना, चिंतन-दर्शन से प्रेरित थी। उन्होंने अंखड भारत के सनातन अस्तित्व को ही सर्वोपरि महत्व दिया। उनकी मान्यता थी कि देश की अविभक्त संस्कृति का मूल वस्तुत: एक ही है। राष्ट्र के इसी राजनीतिक अस्तित्व को अपनी श्रद्धा में प्रतिष्ठित कर उन्होंने राष्ट्रभक्ति के सपने, सिद्धांत निर्धारित किए और उन पर निशंक, निर्भीक आचरण करते रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि वीर सावरकर युगद्रष्टा महानायक थे। इस अवसर पर प्रभात प्रकाशन के स्वामी श्री प्रभात कुमार
ने उपस्थित गणमान्यजनों का आभार व्यक्त किया। प्रतिनिधि
‘‘कन्वर्जन के मूल में है सामाजिक भेदभाव ’’
देवभूमि जनसेवा संस्थान, जुब्बल द्वारा पिछले दिनों शिमला के पैलेस व्यू होटल में ‘कन्वर्जन-समस्या व समाधान’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री संजीवन कुमार उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि जातिगत विद्वेषों को मिटाये बिना सामाजिक समरसता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। समाज में जातिगत विद्वेषों के कारण ही कन्वर्जन की समस्या देखने को मिल रही है। ऐसे में हम सभी को समाज से छुआछूत जैसी कुरीति को दूर करना होगा। क्योंकि हम सभी मानव एक ही परमात्मा की संतानें हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार के भेदभाव की समाज में कोई जगह नहीं है। समाज के बहुत से वर्ग अपने को उपेक्षित समझते हैं, जिसके मूल में सामाजिक कुरीतियां और भेदभाव है। जब समाज में किसी वर्ग की उपेक्षा की जाती है, तभी वह ऐसे रास्तों की तलाश शुरू करता है, जहां पर उससे भेदभाव न किया जा सके। विभाजनकारी शक्तियां इसी बात का फायदा उठाती हैं और कई तरह के प्रलोभनों के माध्यम से भोले-भाले लोगों को कन्वर्जन की ओर प्रेरित करती हैं। उन्होंने लोगों को चेताया कि ऐसे लोगों का वास्तविक मकसद अपने मत का प्रचार करना नहीं होता, बल्कि वे समाज में आपसी फूट को बढ़ाने का ही काम करते हैं। ईश्वर एक है, भले ही उसको प्राप्त करने के रास्ते अलग-अलग हों। सभी मत-पंथ उच्च मानवीय गुणों के विकास पर बल देते हैं, जिससे समाज के सभी लोग एक हो सकें। परन्तु दुर्भाग्य से दूसरे धर्म का विरोध करके अपने मत-पंथ को प्राथमिकता देने वाले लोग समाज में आपसी भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता जुब्बल के तहसीलदार श्री कश्मीर सिंह ने की। इस अवसर पर अरुण फाल्टा द्वारा लिखित पुस्तक ‘देवभूमि में छद्म ईसाइयत का मकड़ज़ाल’ का विमोचन भी किया गया।
(विसंकें, शिमला)
विज्ञान का हो सही उपयोग
पिछले दिनों भोपाल के अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय में विज्ञान दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ रविन्द्र कान्हेरे मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि विज्ञान और मानव का नाता बहुत पुराना है जितना कि मनुष्य। पहले उसकी वैज्ञानिक खोजें वर्तमान विज्ञान की तरह नहीं थीं। पर आज तकनीक अपने चरम पर है। हमने विज्ञान के उस मुकाम को प्राप्त कर लिया है, जहां मनुष्य का जीवन ही नहीं समूची प्रकृति उसकी मुट्ठी में आ गई है। इसलिए विज्ञान का सही प्रयोग होना चाहिए। प्रतिनिधि
‘‘प्रेरणादायी स्मृतियां देगी ऊर्जा’’
काञ्ची कामकोटि पीठ के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती जी महाराज के ब्रहलीन होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत एवं सरकार्यवाह श्री सुरेश भैया जोशी ने श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। रा.स्व.संघ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि महाराज जी ने एक अत्यंत तेजस्वी एवं ओजस्वी जीवन पूर्ण किया और अब उनकी पवित्र आत्मा का शिवत्म में सायुज्ज्य हुआ है। आद्य शंकराचार्य की परंपरा के अनुसार हिन्दू समाज के जीवन में किसी कारण से आ गई कुरीतियों के निवारण एवं दुर्बल वर्ग की उन्नति के लिए बहुविध सेवा कार्यों हेतु वे अपनी विलक्षण क्षमता और अद्भुत संकल्प शक्ति से जीवनभर समर्पित रहे।
अपने सनातन वैदिक दर्शन और वैदिक संस्कृति को युगानुकूल प्रतिष्ठापित करते हुए समस्त हिन्दू समाज को सभी दृष्टि से दोषमुक्त तथा सामर्थ्यवान करने के लिए उन्होंने सफल प्रयत्न किए हैं। अब वे पार्थिव शरीर से हमारे मध्य नहीं हैं किंतु उनकी प्रेरणादायी स्मृतियां समस्त हिन्दू समाज को निरंतर ऊर्जा प्रदान करती रहेंगी।
ल्ल प्रतिनिधि
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