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बच्चो! इस अंक से पाञ्चजन्य आपके लिए विशेष सामग्री प्रस्तुत कर रहा है। इसमें बोध कथा है। दिमागी कसरत के लिए वर्ग पहेली (सुडोकू) और बूझने के लिए पहेलियां तो हैं ही, सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी भी है। अगर आप अंक में पूछी जाने वाली पहेलियों के सही उत्तर देते हैं तो अगले अंक में हम आपके पूरे परिचय के साथ चित्र प्रकाशित करेंगे। आप सब जवाब के साथ अपनी पासपोर्ट आकार की तस्वीर इस पते पर भेजें:-
पाञ्चजन्य साप्ताहिक
संस्कृति भवन, 2322, लक्ष्मीनारायण गली, पहाड़गंज, नई दिल्ली- 110055
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बुझो तो जानें
६ वह क्या है जो आपके पास जितना ज्यादा होगा उतना ही आपको कम दिखाई देगा?
६ काली है पर काग नहीं,
लम्बी है पर नाग नहीं।
बल खाती है ढोर नहीं,
बांधते हैं पर डोर नहीं।
६ काले वन की रानी है,
लाल-पानी पीती है।
६ अपनों के ही घर ये जाये,
तीन अक्षर का नाम बताये।
शुरू के दो अति हो जाये,
अंतिम दो से तिथि बताये।
६ बीमार नहीं रहती
फिर भी खाती है गोली।
बच्चे-बूढ़े डर जाते,
सुन इसकी बोली।
क्या आप जानते हैं?
आद्य शंकराचार्य का जन्म कहां हुआ था?
केरल राज्य किस सागर और पर्वत शृंखला के मध्य स्थित है?
कालिंजर का दुर्ग किस राज्य में है?
अयोध्या के राजा दशरथ के पिता का क्या नाम था?
गुवाहाटी में कौन सा विख्यात देवी मंदिर है?
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक बेटा था। कुछ वर्षों बाद पत्नी की मृत्यु हो गई। उस समय बेटा दस साल का था। चूंकि बेटा छोटा था तो उसने दूसरा विवाह कर लिया। दूसरी पत्नी ने भी एक बेटे को जन्म दिया। कुछ समय बाद किसान की दूसरी पत्नी भी चल बसी। पहला बेटा अब बड़ा हो गया था, इसलिए किसान ने उसका विवाह कर दिया। कुछ वर्ष बाद किसान की भी मृत्यु हो गई।
किसान के दोनों बेटे साथ रहते थे। पिता की मृत्यु के थोड़े समय बाद छोटा बेटा जो कि दूसरी पत्नी से प्राप्त हुआ था, वह बीमार हो गया। बड़े भाई ने कई वैद्यों से उसका इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। छोटे भाई की तबियत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थी और इलाज पर भी खर्च बढ़ता जा रहा था। यह देखकर बड़े भाई ने अपनी पत्नी से कहा- ‘‘अगर यह मर जाए तो हमें उसके इलाज पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे।’’ तब पत्नी ने सलाह दी कि क्यों न किसी वैद्य से जहर लेकर इसे दे दिया जाए। इस तरह किसी को पता भी नहीं चलेगा। किसी रिश्तेदार को भी शक नहीं होगा। सब यही समझेंगे की बीमारी के कारण छोटे की मृत्यु हो गई।
पत्नी से सलाह-मशविरा करने के बाद बड़े भाई ने एक वैद्य से बात की। पैसे के लालच में वैद्य ने उसकी बात मान ली और छोटे बेटे को जहर दे दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। छोटे भाई की मृत्यु के बाद भाई-भाभी बहुत खुश हुए। उनके रास्ते का कांटा निकल गया था और सारी संपत्ति भी उनकी हो गई थी। दोनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ महीने बाद किसान के बड़े बेटे की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। पति-पत्नी बहुत खुश हुए और गांव में मिठाइयां बांटी। दोनों ने बड़े लाड़-प्यार से बेटे की परवरिश की। धीरे-धीरे बेटा जवान हो गया। अब दोनों ने उसका विवाह कर दिया। विवाह के कुछ समय बाद बेटा बीमार रहने लगा। मां-बाप ने कई वैद्यों से उसका इलाज कराया। उसके इलाज पर मुंह मांगा धन खर्च किया। बेटे के इलाज के लिए उन्होंने आधी संपत्ति भी बेच दी, लेकिन उसकी बीमारी ठीक नहीं हुई। बेटा मरने की कगार पर आ गया। वह बहुत कमजोर हो गया था। उसके शरीर में बस हड्डियों का ढांचा ही रह गया था।
एक दिन की बात है। बेटा चारपाई पर लेटा हुआ था। पिता बेटे की दयनीय हालत को बड़े दुखी मन से देख रहा था। तभी बेटे ने पिता से कहा- ‘‘भाई, अपना तो हिसाब-किताब पूरा हो गया। अब बस कफन और लकड़ी का हिसाब शेष है। उसकी तैयारी कर लो।’’ यह सुनकर पिता ने सोचा कि बीमारी के कारण शायद बेटे के दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया है। वह बोला- ‘‘बेटा, मैं तेरा पिता हूं, भाई नहीं।’’
लड़का बोला- ‘‘मैं आपका वही भाई हूं, जिसे आपने जहर देकर मरवाया था। जिस संपत्ति के लिए आपने मेरी जान ली, उसमें से आधी मेरे इलाज के लिए बिक चुकी है। आधी बची हुई संपत्ति आपकी है। हमारा हिसाब हो गया।’’
यह सुनकर पिता फूट-फूट कर रोते हुए बोला- ‘‘मेरा कुल नष्ट हो गया। मैंने जो किया उसका फल मुझे मिल रहा है, लेकिन इसमें तुम्हारी पत्नी का क्या दोष है? तुम्हारी मृत्यु के बाद उसे भी जिंदा जलना होगा।’’ (उन दिनों सतीप्रथा प्रचलित थी, जिसमें पति की मृत्यु के बाद पत्नी उसकी चिता में समाहित होकर प्राण त्याग देती थी।)
तब बेटा बोला- ‘‘वह वैद्य कहां है, जिसने मुझे जहर दिया था।’’
पिता ने कहा- ‘‘तुम्हारी मृत्यु के तीन साल बाद वह भी मर गया था।’’
बेटा बोला- ‘‘वही दुष्ट वैद्य आज मेरी पत्नी के रूप में है। मेरे मरने पर इसे जिंदा जलाया जाएगा।’’ इसीलिए कहते हैं कि बुरे काम का परिणाम बुरा होता है। अत: कोई भी कार्य करने से पहले सोच-विचार करना चाहिए। नहीं तो उसका फल अच्छा नहीं होता है।
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