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14 जनवरी, 2018
आवरण कथा ‘निशाने पर भारत’ से स्पष्ट होता है कि वोट बैंक की राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले नेता अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा इसका उदाहरण है। यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की कुत्सित राजनीति का चेहरा देखने को मिला हो। कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, केरल, हरियाणा सहित अन्य कई राज्य ऐसे ही संघर्ष में झुलस चुके हैं।
—राममोहन चंद्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
जिस तरह अंग्रेज देश में फूट डालो, राज करो की नीति से देश तोड़ने का काम करते थे, ठीक उसी तरह आज कुछ दल देश को बांटने में लगे हुए हैं। वामपंथी और मजहबी संगठनों की यह शुरू से चाल रही है कि हिन्दुओं को एकजुट न रहने दो। इनको जात-पात में इतना बांट दो कि ये एक दूसरे के दुश्मन बन जाएं। कई बार जब देश से ऐसी घटनाओं का समाचार मिलता है तो लगता है कि इन अराजक तत्वों की योजना कामयाब हो रही है। इनकी योजना नकामयाब हो इसके लिए सभी हिन्दुओं को एकजुट होना होगा। तभी ऐसी ताकतों से लड़ा जा सकता है।
—अनुपम भार्गव, गाजियाबाद (उ.प्र.)
राजनीति की जिस दुकान पर कुछ दिन पहले ‘पंथ निरपेक्ष’ लिखा हुआ था, लगता है, अब उसका नाम बदल गया है। अब इस दुकान के मालिक ‘शिवभक्त’, ‘जनेऊधारी’ बनकर मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं। जबकि कुछ समय पहले यही श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाते नहीं थकते थे। लेकिन अब अपने आप को हिन्दू घोषित करने के लिए हर तरकीब अपना रहे हैं। सांप्रदायिक शक्तियां आज इसलिए अपना रूप बदल रही हैं क्योंकि अब उन्हें हिन्दुओं की ताकत का अहसास हुआ है। इससे पहले वह हिन्दुओं को कहां कुछ समझते थे। इसलिए हिन्दुओं को किसी की झांसे में न आकर एकजुट रहना है।
—अरुण मित्र, रामनगर (दिल्ली)
गलत सोच समाज एवं राष्ट्र के उत्थान एवं विकास में बाधक होती है। इसलिए गलत सोच का खंडन समाजहित में जरूर करना चाहिए। जात-पात, भाषा, प्रांतवाद को छोड़कर हमारे लिए हमारा देश सर्वोपरि है। इसलिए किसी के बहकावे में न आकर कोई भी गलत कदम हिन्दुओं को नहीं उठाना है। कई बार समाज के लोगों से कुछ गलतियां होती हैं, लेकिन उनको मिल-बैठकर सुलझाना आज के समय की मांग है।
—श्रुति भास्कर, सहारनपुर (उ.प्र.)
घुसपैठ पर लगे लगाम
असम से लेकर पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर में बड़ी संख्या में घुसपैठियों ने डेरा जमा रखा है। वोट बैंक की राजनीति के चलते नेताओं ने इन्हें पाला-पोसा और अब ये देश के लोगों के हक पर डाका डाल रहे हैं। ऐसे में आज ये बड़ी समस्या बन चुके हैं। देश विरोधी गतिविधियों से लेकर छोटे-बड़े अपराध में इनकी संलिप्तता होती है। इसलिए सरकार इन घुसपैठियों को तत्काल देश के प्रत्येक क्षेत्र से निकाले। नहीं तो आने वाले समय में ये देश के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरेंगे।
—बी.एल.सचदेवा
आईएनए मार्केट (नई दिल्ली)
बातचीत का राग
काश्मीर में है लगी, सीमाओं पर आग
मैडम मुफ्ती गा रहीं, बातचीत का राग।
बातचीत का राग, फौज पर हमले होते
मैडम देख रही सपने जगते या सोते।
कह ‘प्रशांत’ कोई उनकी आंखें खुलवाए
छोड़े पत्थरबाज, लौट धंधे में आये॥
— ‘प्रशांत’
फंसता पाकिस्तान
लेख ‘मुश्किल में पाक (14 जनवरी,2018)’ से जाहिर होता है कि पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री है। वर्षों से पाकिस्तान विकास के नाम पर अमेरिका से धन ऐंठता था और उसे आतंक को पालने-पोसने में खर्च करता था। अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंक के खिलाफ चल रही वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोककर आतंक के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिया है।
—अनूप राठौर, पटना (बिहार)
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