हंसी-ठहाकों की रानियां
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हंसी-ठहाकों की रानियां

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Feb 26, 2018, 12:00 am IST
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दिंनाक: 26 Feb 2018 11:11:12

इन दिनों स्टैंड अप कॉमेडी का जलवा है। तिस पर समाज की रूढ़ियों, पुरातनी सोच, कमियों और अन्य कमजोरियों पर ठसक लेती युवा और हसीन महिला हास्य कलाकारों का तो कहना ही क्या

पाञ्चजन्य ब्यूरो  

इन दिनों हास्य के एक नये फंडे की धुम है ‘स्टैंडअप कॉमेडी’। इसके बारे में तो आप जानते ही होंगे और अगर नहीं जानते, तो कपिल शर्मा को टीवी पर तो जरूर देखा होगा। स्टैंडअप कॉमेडी में एक हास्य कलाकार स्टेज पर खड़े होकर अपने सामने बैठे दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देता है। वह अपनी बातों और टिप्पणियों से दर्शकों को हंसाता है। उसके चुटकुलों में समाज में चल रहे मुद्दे और बहस शामिल होती हैं। वैसे तो देश में बहुत से पुरुष हास्य कलाकार हैं, लेकिन इस क्षेत्र में अब कई महिलाएं भी आ गई हैं। कॉमेडी क्वीन कही जाने वाली ये हास्य कलाकार समाज में व्याप्त अंधविश्वास, कुरीतियों, रूढ़ियों और पुरुष प्रधान समाज आदि पर हास्य के माध्यम से गहरी चोट करती हैं।
भारत में किसी स्टैंडअप महिला हास्य कलाकार का नाम लें, तो सबसे पहले आती हैं कॉमेडी क्वीन का तमगा हासिल कर चुकी छोटे पर्दे की लल्ली यानी अमृतसर की भारती सिंह, जो अपनी वे फिजूल और बचकानी बातों से दर्शकों को बुरी तरह गुदगुदाती हैं। लल्ली के बारे में भारती सिंह कहती हैं, ‘‘मैं जब 2008 में पहली बार टीवी शो में आई, तो लल्ली नाम से प्रसिद्ध हुई। अधिकतर लोग तो मेरा सही नाम जानते ही नहीं थे, लेकिन लल्ली अब समय के साथ जवान होकर भारती बन गई है। हमेशा बच्ची थोड़े ही रहेगी।’’
भारती ने आगे चलकर कई टीवी रियलिटी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और इनाम जीते। टीवी शो के अलावा, वे ‘एक नूर’ और ‘यमला जट यमला’ जैसी पंजाबी फिल्मों में भी नजर आर्इं। आज भारती सिंह एक धारावाहिक के लगभग 25 से 30 लाख रुपये लेती हैं और 15 लाख रुपये लाइव इवेंट के लेती हैं। उनकी सालाना आय लगभग 8 करोड़ रुपये है। उनके बाद अदिति मित्तल भारत की दूसरी चर्चित हास्य कलाकार हैं। उनके शो को किसी अन्य की तुलना में काफी प्रभावशाली माना जाता है, वे एडिनबर्ग फेस्टिवल और बीबीसी में अपने शो के जरिए तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम बनाती जा रही हैं। बीबीसी रेडियो पर उन्होंने एक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया ‘अ बिगनर्स गाइड टू इण्डिया’। उन्होंने अपने पहले शो में दुनिया को भारत की महिलाओं के बारे में बताया। वे हर विषय पर व्यंग्य करती हैं, जिसमें 1991 से भारतीय अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीति, भारतीय महिला धावकों की अनदेखी आदि शामिल हैं। अदिति असल में भारतीय समाज की रूढ़िवादी सोच पर चोट करती हैं। उनके शो के विषय ऐसे होते हैं कि आप हंसते-हंसते हुए लोटपोट तो होंगे, पर साथ ही अंदर ही अंदर शर्म से भी पानी-पानी हो जाएंगे। अदिति ने भारतीय समाज की कड़वी सच्चाइयों को मजाक के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके मजाक पर महिलाएं तो खुलकर ठहाके लगाती हैं, पर लड़कों के लिए वहां बैठे रहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वे देश में महिला हास्य कलाकारों की कमी पर भी व्यंग्य करते हुए कहती हैं, ‘‘आप देश में महिला कॉमेडियन की संख्या गिनें तो आप जीरो की खोज कर लेंगे।’’ अदिति अपनी कॉमेडी से लोगों के दिलो-दिमाग पर छा रही हैं।
अदिति की गिनती भारत की सबसे अच्छी कॉमेडियन में होती है। विदेशों में भी उन्हें अपना हुनर दिखाने का मौका मिल चुका है। यह उनकी प्रस्तुति की खासियत है कि वे ऐसी बातों को मजाक-मजाक में कह जाती हैं, जिन्हें आप भारत में लड़कियों से सुनने की उम्मीद तक नहीं कर सकते और साथ ही वह यह संदेश भी देती हैं कि स्तन कैंसर को लेकर जागरूक रहना चाहिए। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर अदिति मित्तल ने अभिषेक बच्चन का मजाक उड़ाते हुए लिखा,  ‘‘ऐश्वर्य को पहले एक पेड़ से शादी करनी पड़ी, ताकि बाद में वे एक चट्टान से शादी कर सकें (मतलब अभिषेक एक्टिंग नहीं कर पाते, है ना?’’ ‘हे भगवान! तुम एक औरत हो, तुम किसी को कैसे हंसा सकती हो?’ कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाओं से गुजर कर भारत की उभरती युवा हास्य कलाकार जोड़ी ऋचा कपूर और सुमुखी सुरेश ने आज के पुरुष प्रधान समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ये बस कुछ ही पंक्तियां हैं जो ऋचा और सुमुखी को अक्सर सुनने  मिलीं। एक बार सुमुखी को किसी ने एक वैवाहिक प्रोफाइल से संदेश भेजा, जिसमें लिखा था कि वह अपने परिवार में एक ऐसे शख्स को चाहेगा जो सबका मनोरंजन कर सके। वे बताती हैं कि यह एक ऐसा सफर है, जिस पर महिलाओं के कदम कभी-कभी ही पड़े हैं। लोगों को लगता है कि महिलाएं लोगों को नहीं हंसा सकतीं। बस यही धारणा तोड़ने के लिए उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया।  ऋचा और सुमुखी की मुलाकात ‘द इम्प्रूव’ के साधारण से   कॉमेडी शो में हुई।
बहुत से नाटक करने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वे आधिकारिक तौर पर इसे शुरू करेंगी और फिर यू-ट्यूब पर   ह्णह्णर‘ी३ूँ का ळँी उ्र३८ह्व नाम से एक चैनल शुरू हुआ। ऋचा और सुमुखी को इस बात पर बहुत गुस्सा आता है, जब लोग हैरानी जताते हैं कि दो महिलाएं लोगों को कैसे हंसा सकती हैं? क्या वाकई इन लड़कियों में वह कला है? सुमुखी के मुताबिक, हमारे देश में लोग उतना नहीं हंसते जितना हंसना चाहिए और खुद पर तो बिल्कुल भी नहीं। आज देश हंस तो रहा है, लेकिन ज्यादातर लोगों की हंसी की वजह ऐसे चुटकुले हैं जो आम तौर पर पत्नियों, महिलाओं और उनसे जुड़ी बातों, परेशान करती प्रेमिकाओं और कपड़ों को लेकर होते हैं या फिर सेक्स को लेकर। वे कहती हैं, ‘‘इसे रोकने की जरूरत है। हमने एक छोटी सी शुरुआत की है।’’ ऋचा कहती हैं, ‘‘आगे बढ़ो और अपने अंदर के बेवकूफ को बाहर निकालो। समझा लो कि अभी नहीं, तो कभी नहीं’’ ऋचा अपनी जोड़ी के लिए गाते हुए संदेश देती हैं। वह कहती हैं- ‘‘जब तक हम अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत हैं दुश्वारियां कमजोर पड़ने लगती हैं।’’ आज नीति पाल्टा, वासु प्रिम्लानी और राधिका वाज के साथ-साथ अदिति मित्तल की गिनती भारत की चुनिंदा चार महिला कॉमेडियन में की जाती है। नीति पाल्टा दिल्ली से हैं और एक प्रसिद्ध स्टैंडअप कॉमेडियन हैं। वे अपने हास्य में नारीवादी सोच रखती हैं। यू-ट्यूब चैनल के अलावा वे दूसरे चैनल पर भी दिखती हैं। वह भारत के बेहतरीन स्टैंडअप कॉमेडियन में से हैं। चार्टर्ड एकाउंटेसी की छात्रा सोनाली ठक्कर भी तेजी से इस क्षेत्र में उभर रही है। वे कहती हैं, ‘‘कॉमेडी के क्षेत्र में संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। मगर जितनी मांग है, उतनी आपूर्ति नहीं है।’’ सोनाली अंधविश्वासों और गुजराती होने पर जो चुटकुले और व्यंग्य सुनाती हैं, वे काफी लोकप्रिय हैं।
कॉमेडियन मल्लिका दुआ ने देश की लड़कियों को छेड़खानी से बचने का एक तरीका सुझाया है, वह भी मेकअप के जरिए। मल्लिका सोशल मीडिया पर मेकअप दीदी के नाम से वीडियो सीरीज प्रस्तुत करती हैं जिसमें वे अलग-अलग वेश में कॉमेडी करती दिखती हैं। इस बार भी मल्लिका ने एक खास तरह का मेकअप (पेपर लुक) अपनाकर वीडियो शेयर किया है जो वायरल हो रहा है।
इसमें मल्लिका कह रही हैं, ‘‘मैं मानती हूं कि एक औरत की जगह रसोई में होती है। मगर जब हमें सब्जियां लेने बाजार वगैरह जाना होता है तो हम सुरक्षित क्यों नहीं? मतलब इतना तो पुरुषों को समझना ही चाहिए कि वे सड़कों पर ऐसे आचरण करेंगे तो हम उनके लिए पकवान कैसे बनाएंगे?’’ आपने पुराने पत्रकार विनोद दुआ को न्यूज चैनल पर कई बार देखा होगा। भारत को हाल ही में एक और दुआ हासिल हुई है, जिसे लोग हद से ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मलिका अपने सरोजिनीनगर वाले वीडियो से मशहूर हुई और इसके बाद वे इंटरनेट प्रेमी के दिल में बसती हैं। इसके बाद उन्होंने ऐसे ही एक वीडियो बनाया। यह वीडियो सरोजिनीनगर मार्केट पर बनाया गया था। इसमें मल्लिका ने कई अलग-अलग तरह की लड़कियों की भूमिका निभाई थी। मलिका कहती हैं कि उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ था कि उनका ये मजाक-मजाक में बनाया गया वीडियो इतना हिट हो जाएगी। सरोजिनीनगर वाले वीडियो के बाद लोग मलिका को पहचानने लगे।
दरअसल, इन दिनों हास्य और हास्य कलाकारों की बाढ़ आई है। बिल्कुल जो मांगोगे वही मिलेगा वाली हालत है। कोई समस्त परिवार का मनोरंजन कर रहा है तो कोई हास्य के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार कर रहा है। कोई केवल चुटकुलेबाजी कर रहा है, कोई फूहड़ कॉमेडी। तरीके बहुतेरे हो सकते हैं, मगर  हर कॉमेडी का एक ही मकसद होता है हंसाना और उसे ये कलाकार बखूबी पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं।    

नेता और सतयुग

हमने कहा, वो देखो अचानक तेजी के साथ
सतयुग आ रहा है।
एक नेता भागवत कथा, तो
दूसरा रामकथा करवा रहा है ।

तीसरा लंगर का आयोजन कर
प्रतिदिन गरीबों को खाना खिला रहा है।
चौथा बन्दा गंदी बस्तियों में
आए दिन अपना डेरा जमा रहा है ।

इतनी सक्रियता देखकर तो
मेरा  सिर ही चकरा रहा है ।
मित्र, क्या सचमुच सतयुग आ रहा है।
हमारे मित्र भोले जोर-जोर से हंस कर बोले
 बन्धु, पोलिटिक्स की पोलि-ट्रिक्स को
तनिक समझा करो।  
ये और कुछ नहीं बस, अगला गंगा नहा रहा है
क्योंकि चुनाव का समय नजदीक आ रहा है।।

सयानी याद आएगी
वो होली में दिखेगी फिर तो नानी याद आएगी
मोहल्ले की वो मोटी और सयानी याद आएगी
गजब त्योहार होली का हमें रंगीन कर देता
हमें हर बार बचपन की कहानी याद आएगी
मजे से रंग जो खेले वही बच्चा लुभाता है
''इसे देखेंगे तो अपनी जवानी याद आएगी''
मुझे होली में इक लड़की ने लोटा फेंक मारा था
मेरे माथे पे है उसकी निशानी याद आएगी
बड़ी मस्ती से खेलो रंग से सबके संग में यारो
तुम्हें हर पल यही मस्ती सुहानी याद आएगी
अभी तुम जिंदगी में रंग जितने हो सके, भर लो
बुढ़ापे में तुम्हें यह जिंदगानी याद आएगी
तुम्हारे दिल की जो रानी है, उसे होली में रंग देना
हमेशा फिर वही हरकत पुरानी याद आएगी
बड़ा रंगीन है त्योहार इसमें भंग मस्ती की
जरा इसका मजा लो, नौजवानी याद आएगी
ये होली ढाई आखर प्यार के पंकज सिखाती है
हमें ताउम्र कबिरा की ये बानी याद आएगी

                                             -गिरीश पंकज

हास्य की फुहार

वो रिश्वत खूब लेता है मगर सबको पचाता है
सुना है वह शख्स रोजाना कोई चूर्ण खाता है

बिना खाए बेचारा एक पल भी रह नहीं सकता
न हो रिश्वत का मौका तो सभी की जान खाता है

यहां जो भ्रष्ट है जितना वही ईमान दिखलाए
जो 'घपलू' है, सभाओं में वही 'पपलू' बिठाता है

वो हीरोइन भी गांधीवाद के रस्ते पे चलती है
उसे तन पे अधिक कपड़ा नहीं बिलकुल सुहाता है

सुना है उसका शौहर है बड़ा अफसर तभी तो जी
हमेशा घर पे मैडम के मुफत का माल आता है

वो बचपन से हमेशा झूठ कहने में ही माहिर था
वो अपनी बस्ती का अब तो बड़ा नेता कहाता है

हमेशा लूटने की इक कला में वो लगा रहता
कभी घर पर कभी इज्जत पे डाका डाल आता है

वो है इक 'आदमी' जिसको यहाँ सब 'आम' कहते हैं
मगर वो 'आम' तक भी गर्मियों में खा न पाता है

है पंकज नाम उसका आम है इंसान बेचारा
जो अक्सर टूट जाते हैं, वे ही सपने सजाता है

यहां-वहां अब छाये दिखते सारे तथाकथित
भरे हुए हैं सत्ता के गलियारे तथाकथित  

जाने कितने सपनों की हत्याएं कर डालीं
घूम रहे हैं मस्ती में हत्यारे तथाकथित  

नकली सिक्के यहां चल रहे ये कैसा बाजार
असली हो गए है अब तो बेचारे तथाकथित

हमने तुमको प्यार किया पर तुम तो बदल गए
क्या मालूम था, निकलोगे तुम प्यारे तथाकथित

मुझ तक आने से पहले उजियारे लुप्त हुए
भेजे थे चन्दा ने हमको तारे तथाकथित

बहुत दिनों तक खून के आंसू रोई सच्चाई
आखिर इक दिन वही हुआ कि हारे तथाकथित  

चिकने घड़े
कुरसी पर जब खड़े हुए हैं, बौने भी तब बड़े हुए हैं
चमकीले फल जैसे दिखते, भीतर से पर सड़े हुए हैं

कोस रहे हैं दुनिया भर को, चार किताबें पढ़े हुए हैं
मूरख की पहचान यही हैं,भले गलत हैं, अड़े हुए हैं।

खुश हैं अपनी कमअक्ली पे,बेशर्मी में गड़े हुए हैं
खुद से ही वे कुढ़े हुए हैं,जहां पड़े थे, पड़े हुए हैं

काम किसी के आ ना पाए, बस फोटो-सा मढ़े हुए हैं
समझ न पाए अच्छी बातें,मतलब चिकने घड़े हुए हैं

खुद को ही पहचान न पाए,चने-झाड़ पर चढ़े हुए हैं
दुनिया से क्या होगी यारी,अपनों से जो लड़े हुए हैं

केवल सच्चे सत्य राह पर,मरते दम तक अड़े हुए हैं
समझे वही पसीना क्या है,मेहनत से जो बढ़े हुए हैं
धोखा खा कर इस दुनिया से, पंकजजी कुछ कड़े हुए हैं

                                   
कभी भी बंदरों के हाथ में पत्थर नहीं देते
बहुत जो मूर्ख होते हैं, उन्हें उत्तर नहीं देते

हमेशा मौन रहना ही यहां अच्छी दवाई है
जो ज्ञानी हैं, यहाँ उत्तर कभी कह कर नहीं देते

यहां जैसा जो करता है सदा भरता है वैसा ही
ये ऐसी बात है जिसको कभी लिख कर नहीं देते

यही इतिहास कहता है जरा तुम होश में रहना
बहुत अय्याश लोगों को कभी लश्कर नहीं देते

बड़े मासूम लगते हैं अगर बच पाओ बच लेना
ये हत्यारे कभी बचने का भी अवसर नहीं देते

यहां तो अब अदब में घुस गए हैं लोग सामंती
करो इनको नमस्ते ठीक से उत्तर नहीं देते

कोई तो खोट होगी परवरिश में क्या पता पंकज
जिन्हें पाला वही परिणाम यूं बदतर नहीं देते

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