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स्वामी श्रद्धानंद के 91वें बलिदान दिवस पर आर्य केंद्रीय सभा, दिल्ली के तत्वावधान में ‘अंधविश्वास मिटाओ, देश बचाओ’ विषय पर 25 दिसंबर को एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में बतौर मुख्य वक्ता रा.स्व. संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत वैदिक दर्शन का देश है। यहां का समाज तर्कपूर्ण बातों को मानता आया है, लेकिन कालांतर में बाहरी आक्रांताओं के आने के साथ कुछ रूढ़ियां, पाखंड और दोष इसमें जुड़ते चले गए। स्वामी श्रद्धानंद ने समाज को कई तरह की भ्रांतियों से निकाला और वेदों के निर्माण में विदुषियों के योगदान को सामने लाकर भारत में महिलाओं का सम्मान पुन: बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि जो वैदिक मन्त्र को अनुभूत करता था, वैदिक मन्त्र का दाता हो जाता था, वह ऋषि हो जाता था। जाति, वर्ण, महत्वपूर्ण नहीं थे। वैदिक ऋषियों में अनेक वंचित वर्ग से भी थे, जिन्होंने अपनी साधना से ऋषि पद पाया था। लेकिन बाद में कुछ लोगों के लिए वेदों का अध्ययन प्रतिबंधित हो गया। महर्षि दयानंद, महर्षि श्रद्धानंद ने कठिन प्रयास से वैदिक परंपरा में श्रद्धा रखने वाले सभी वर्गों को वैदिक मंत्रों के उच्चारण एवं वैदिक कर्म की अनुमति मिली। स्वामी श्रद्धानंद स्वयं वैदिक छात्रावासों में ऐसे वर्गों के बच्चों को लेकर आए, जिन्हें शूद्र कहा जाता था। वे सभी बालक आर्य हो गए। इस तरह स्वामी श्रद्धानंद ने नया संस्कार, नई प्रथा एवं नया प्रकाश देने का का कार्य किया।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि आक्रांताओं के लंबे शासन के कारण तलवार के जोर पर लाखों लोग जबरन हिन्दू धर्म से दूर ले जाए गए। स्वामी श्रद्धानंद ने पूर्वजों के स्वधर्म में वापसी के लिए सैकड़ों स्थानों पर शुद्धिकरण यज्ञ करवाए। जो हिन्दू अज्ञानवश, भय अथवा किसी लोभ के कारण कन्वर्ट हो गए थे, ऐसे लाखों कन्वर्टिड लोग शुद्धिकरण के इन यज्ञों से पुन: सनातन धर्म में वापस आने लगे। यह एक युगांतकारी परिवर्तन था।
स्वामी श्रद्धानंद के प्रयास से धर्म में वापसी के मार्ग में खड़ी रूढ़ियों की दीवारें टूट गर्इं। लेकिन शुद्धिकरण के उनके तर्कपूर्ण व धर्म पर चर्चा के अभियानों से घबराकर कुछ लोगों ने उनकी हत्या कर दी। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद ने अंग्रेजों द्वारा थोपी गई शिक्षा पद्धति के कारण अपनी जड़ों से कटे सभी जाति के बच्चों के लिए सरकार से बिना सहयोग लिए हजारों शिक्षण संस्थाएं स्थापित की। इन्हीं में से एक है हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी।
उन्होंने देशभर में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय खोले और सभी शिक्षण संस्थानों में मौजूदा लौकिक शिक्षा व पूर्वजों की महान परंपरा की शिक्षा को सभी जाति के विद्यार्थियों के बीच प्रचलित किया। स्वामी श्रद्धानंद के मार्ग पर चलते हुए जो योग्य विचार और कार्य है, उसको हम करते रहेंगे। इस अवसर पर मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद, महाशय धर्मपाल, डॉ. सतपाल सिंह, डॉ. विद्यालंकार, मोनिका अरोड़ा, कीर्ति शर्मा सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे। (प्रतिनिधि)
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