जन गण मन : डॉ. हेडगेवार को देखना हो, तो यहां आइए
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जन गण मन : डॉ. हेडगेवार को देखना हो, तो यहां आइए

by
Jan 1, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 01 Jan 2018 11:11:10


डॉ. हेडगेवार को देखना है तो उन्हें आप यहां जीवंत रूप में देख सकेंगे- सेवा करते हुए, सेवा को जीवन का पाथेय बनाने की प्रेरणा देते हुए

तरुण विजय

जो संघ को नहीं जानते, वे संघ के बारे में सबसे ज्यादा कहते और लिखते हैं। पर जो जानते हैं, वे संघ की केशव-सृष्टि के साथ इतने एकात्म रहते हैं कि उसके बारे में कहना, लिखना कम ही होता है। गत सप्ताह मैं नागपुर गया। स्मृति मंदिर की पुण्य प्रभा के दर्शन किए और श्रीराम जोशी जी से मिलने गया। उनसे पहली बार मिलना हुआ था 19 जून 1997 को, जब पाञ्चजन्य के प्रचारक-माताओं पर केंद्रित अंक हेतु सौ. सविता श्रीराम जोशी जी का साक्षात्कार किया था। अभी कुछ समय पहले उन पुण्यशाली मां का निधन हुआ। वे उन संघ-माताओं में हैं, जिनके पुत्र प्रचारक बन भारत-माता की सेवा हेतु निकले। श्रीराम जोशी जी अभी 84 वर्ष के हैं, परंतु सिंह-साहसी फौलादी स्वयंसेवक। उनके यहां जो चर्चा हुई वह अलग विषय है, पर आबाजी थत्ते की स्मृति में बन रहे राष्टÑीय कैंसर संस्थान की चर्चा निकली। आबाजी थत्ते अर्थात डॉ. वासुदेव केशव थत्ते संघ के प्रचारक थे। पूज्य श्रीगुरुजी तथा पूज्य बाला साहब देवरस के निजी सहायक के नाते उन्होंने 45 वर्ष बिताए। वे राष्टÑीय मेडिकल संगठन (एनएमओ) के भी संस्थापक हैं। उनकी स्मृति में स्वयंसेवकों द्वारा नागपुर में डॉ. आबाजी थत्ते सेवा और अनुसंधान संस्था गठित हुई जिसके अनेक वर्षों तक श्री देवेन्द्र फडणवीस अध्यक्ष रहे और जब वे महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री बने तो इसका दायित्व मनोहर जी को मिला। श्री देवेन्द्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव जी कैंसर के कारण ही दिवंगत हुए। संघ के स्वयंसेवक श्री शैलेश जोगलेकर की पत्नी भी कैंसर के कारण युवावस्था में दिवंगत हुर्इं। ऐसे सैकड़ों-हजारों उदाहरण हैं। उनके मन में वेदना व संवेदना से एक संकल्प उपजा कि कैंसर पीड़ित रोगियों के लिए विश्वस्तर का श्रेष्ठ चिकित्सा संस्थान बनाना चाहिए, जहां रोगियों को न्यूनतम शुल्क पर श्रेष्ठतम चिकित्सा की सुविधा दी जा सके। बीस वर्ष से वे इस संकल्प को कार्य रूप में परिणत करने के लिए जुटे रहे, फिर रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत से भी उनकी चर्चा हुई। मोहन जी ने कहा, ‘‘यह कार्य अवश्य ही होना चाहिए।’’
स्वयंसेवकों के मन में संकल्प जगे तो किस प्रकार वह साकार रूप लेता है, इसका उदाहरण है देवेन्द्र, शैलेश, मनोहर व सैकड़ों कार्यकर्ताओं के अहर्निश सेवा कार्य का परिणाम 26 एकड़ भूमि पर उभर रहा राष्टÑीय कैंसर संस्थान। 2015 में इसके प्रथम चरण का उद्घाटन हुआ, जिसमें नितिन गडकरी, रतन टाटा, धर्मेन्द्र प्रधान, पीयूष गोयल जैसी विभूतियां आर्इं। इस अवसर पर संपूर्ण प्रकल्प के कल्पक देवेन्द्र फडणवीस का संबोधन जरूर सुनना चाहिए। उन्होंने सबसे पहले शैलेश जोगलेकर का सम्मान करवाया जो वस्तुत: इस संस्थान के कार्याधिकारी ही हैं। उन्होंने नितिन जी के संबोधन का जिक्र किया कि हम तो चाहेंगे कि किसी को भी यहां आने की जरूरत ही न हो, लेकिन ऐसा कुछ हुआ तो उसे सर्वश्रेष्ठ देखभाल और चिकित्सा न्यूनतम मूल्य पर मिलनी चाहिए। इसीलिए आबाजी थत्ते जैसी चिकित्सक विभूति की स्मृति में यह संस्थान खड़ा किया जा रहा है। कैसे 2015 में 26 एकड़ जमीन खरीदी गई, नागपुर हवाई अड्डे से प्राय: 10 किमी दूर। सात लाख वर्ग फीट क्षेत्र में बना 500 शैय्याओं का चिकित्सा संस्थान,  एक वर्ष में एक लाख वर्ग फीट से ज्यादा तैयार हुआ। 100 शैय्याओं की व्यवस्था तथा 400 से ज्यादा डॉक्टरों, नर्सों, कर्मचारियों से काम शुरू। निर्माण जारी है, पर चिकित्सा भी शुरू हुई। कल्पना करिए- कैंसर पीड़ित रोगियों को अभी तक टाटा या दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल जैसे संस्थानों में ही आना होता था। प्रतिवर्ष सात लाख कैंसर पीड़ित भारतीय या तो उचित चिकित्सा के अभाव में अथवा रोग की सही समय पर पहचान न होने के कारण काल कवलित होते हैं। जिन चिकित्सा संस्थानों में निराशा, हताशा, कुंठा व आर्थिक बोझ से दबे रोगी तथा उनके निकट संबंधियों- पिता, पुत्र, मां, पत्नी के लिए भविष्य अंधकारमय दिखता है, उनके लिए चिकित्सालय में रुकने की जगह नहीं होती। वे या तो फुटपाथ या अस्पताल के गलियारों या धर्मशालाओं में आश्रय लेते हैं। जमीन, मकान बेचकर या गिरवी रखकर अपने प्रियजन को ठीक, स्वस्थ करने की कोशिश करते हैं। वे जब पांच सितारा होटलों की तरह चलाए जा रहे निजी अस्पतालों में जा फंसते हैं तो उन पर क्या गुजरती होगी? डॉ. हेडगेवार और आबाजी थत्ते की स्मृति को संजोए स्वयंसेवकों ने इसी वेदना को अंतरतम में धारा और कैंसर शोध संस्थान को मूर्त्त रूप देने में जुटे। शैलेश जोगलेकर बताते हैं, ‘‘यह देश का प्रथम कैंसर (कर्क रोग) चिकित्सा संस्थान है, जहां बाल-रोगियों (पीडियाट्रिक्स) के लिए पृथक चिकित्सा खंड है और प्रत्येक कैंसर पीड़ित बाल-रोगी की चिकित्सा निशुल्क है। यदि रोगी के अभिभावक समृद्ध हैं तो भी, पर वे जो उचित समझें वह राशि दान रूप में दे सकते हैं।’’ इतना ही नहीं, यह देश का प्रथम चिकित्सा संस्थान होगा जिसमें प्रत्येक रोगी को कर्क-सेवक मिलेगा यानी उसे सलाह देने, उसके पिछले रिकॉर्ड लेने, उसकी पुरानी चिकित्सा एवं अन्य किसी भी प्रकार की सहायता हेतु स्वयंसेवी सहायक। और फिर यहां होंगे कर्क योद्धा यानी वे डॉक्टर जो शोध करेंगे, नवीनतम औषधियों तथा पद्धतियों से कर्क रोगी (कैंसर रोगी) को चिकितसा लाभ देंगे तथा उसे मानिसक तनाव से यथासंभव राहत दिलाने का प्रयास करेंगे। और बड़ा प्रश्न होता है- रोगी तो भर्ती हो गया, पर उसे सहायता देने वाले कहां रहेंगे? तो उसे धर्मशाला कहें या सराय, निकट ही 50 अपार्टमेंट ले लिए गए जहां वे रुक सकेंगे।
बाजार में सीटी स्कैन, एमआरआई के लिए 3-4 हजार से 7-8 हजार और कैट स्कैन के लिए 22 हजार से 27 हजार रुपये तक लगते हैं। यहां 1200 रुपये से तीन हजार रुपये और कैट स्कैन के सिर्फ बारह से पन्द्रह हजार लिए जा रहे हैं- केवल कर्क रोगियों के लिए। मैं डॉक्टर नहीं, पर स्वयंसेवक के नाते यह सब शैलेश जी से सुनते हुए मेरी आंखें नम हो आर्इं। कितने-कितने रोगियों को डॉ. हेडगेवार और आबाजी थत्ते एक नई आशा, विश्वस्तरीय चिकित्सा और नया जीवन दे रहे हैं। राजनीति तो छद्म है, देवेन्द्र फडणवीस, शैलेश जोगलेकर, सतीश साल्पेकर, अधिवक्ता मनोहर सब स्वयंसेवक यदि आ जुटे तो इसलिए, क्योंकि एक थे डॉक्टर केशव राव बलीराम हेडगेवार। उन्होंने स्वयं को पीछे रखते हुए ऐसे भारतीय निर्मित किए जिनके लिए सर्वोच्च आराध्य हैं भारत-माता और श्रेष्ठतम मार्ग है- सेवा। इसीलिए यदि डॉ. हेडगेवार को देखना है तो उन्हें आप यहां जीवंत रूप में देख सकेंगे- सेवा करते हुए, सेवा को जीवन का पाथेय बनाने की प्रेरणा देते हुए।  

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies