ओखी तूफान  : पीड़ितों को रोटी नहीं, बाइबिल थमाई!
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

ओखी तूफान  : पीड़ितों को रोटी नहीं, बाइबिल थमाई!

by
Dec 18, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 18 Dec 2017 11:11:10


केरल में ओखी तूफान से पीड़ित लोगों के बीच राहत सामग्री बांटने में ईसाई और मुस्लिम संगठन हिंदुओं के साथ कर रहे हैं भेदभाव, लेकिन सेकुलरवाद के नाम पर शोर मचाने वाले चुप हैं

टी़ सतीशन, केरल से

केरल और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों पर आने वाले चक्रवात के बहाने केरल के तिरुअनंतपुरम के विजिंझम तटीय क्षेत्र में मजहबी विस्तार कार्यक्रमों ने भी रफ्तार पकड़ ली है। वहां से प्राप्त खबरों के अनुसार चर्च ने तबाही और दु:ख की इस अफसोसजनक परिस्थिति में हाथ सेंकते हुए क्षेत्र में कुछ समय से बाइबिल की प्रतियां बांटने का काम शुरू कर दिया है। तिरुअनंतपुरम का तटीय क्षेत्र, जो कि मछुआरों का रिहायशी स्थान है, वहां ईसाइयों और मुस्लिमों की बहुतायत है। विजिंझम में ईसाई और पूंथुरा में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। इन क्षेत्रों में हिंदुओं की संख्या नाममात्र की है। ओखी चक्रवात के बाद, विजिंझम में हताहतों की संख्या सबसे अधिक रही और इस क्षेत्र पर पूर्णतया लातीनी कैथोलिक चर्च का गहरा असर है। इसलिए राहत कार्य भी चर्च के निर्देशानुसार चलाए जा रहे हैं। हालांकि, चावल, सब्जियां और अन्य बुनियादी सामान जैसी राहत सुविधाएं सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा संगठन उपलब्ध कराते हैं, इसके बावजूद, उन्हें यह सामान सबसे पहले चर्च के अधिकारियों के सुपुर्द करना पड़ता है। इसके बाद, चर्च निर्धारित करता है कि राहत सामग्री कैसे और कहां भेजी जाए। यही नहीं, राज्य और केंद्र के अधिकारी वर्ग को भी राहत कार्यों के लिए चर्च के अधिकारियों से मशविरा करना पड़ता है। सच यह है कि राहत कार्यों का पीड़ितों तक सीधे न पहुंचकर, ‘यथोचित तरीके’ से पहुंचना मजबूरी बन गई है!
पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन चक्रवात पीड़ितों को देखने गए, तो उन्हें चर्च से जुड़े लोगों ने रोक लिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। उनकी कार के निकट पहुंचकर हुड़दंगी शोर-शराबा करते रहे। इस कारण मुख्यमंत्री वहां करीब तीन मिनट ही ठहर सके। अपने एक मंत्री की कार में बैठकर उन्हें वहां से बचकर निकलना पड़ा था। प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री के सामने इसलिए विरोध जता रहे थे क्योंकि वे आपदा के तीन दिन बाद वहां पहुंचे थे। इसके अलावा, लातीनी कैथोलिक चर्च ने 11 दिसंबर को राजभवन तक भी जुलूस निकाला और चक्रवात को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। दरअसल, एलडीएफ सरकार की भी यही मांग है! यहां यह जान लेना जरूरी है कि भारत में प्राकृतिक आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जाता। गुजरात में जनवरी, 2001 में आए भूकंप या दिसंबर, 2004 की सुनामी को भी राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया गया था। परंतु उन्हें हमेशा राष्ट्रीय आपदा की तरह ही लिया जाता है और राहत कार्य भी उसी अनुसार उपलब्ध कराए जाते हैं। फिर भी चर्च और एलडीएफ सरकार की मांग एक सी है। बेशक, यह राजनीति से प्रेरित मामला है। साफ है कि इसके पीछे की मंशा अपने वोट बैंक को बनाए रखने की है। इसमें कोई शक नहीं कि अबकी बार कैथोलिक चर्च राहत कार्यों की आड़ में राजनीति का खेल खेल रहा है। तटवर्ती क्षेत्रों में बाइबल वितरण और प्रार्थना सभाएं इसके स्पष्ट प्रमाण हैं। उन्हें जानना होगा कि लोगों को दो वक्त की रोटी चाहिए, न कि बाइबिल। लेकिन रपट बताती है कि यहां ईसाई मजहबी गतिविधियां अक्सर सीमाएं लांघती दिखती हैं। अब चर्च इस आपदा को समुद्र, मछुआरों और मछली पकड़ने के साजो-सामान तक भी सीमित रखना चाहता है। जबकि इसी क्षेत्र में कई किसान भी रहते हैं जिनकी केले की फसल तूफान में पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। चूंकि उनमें से अधिकांश किसान हिंदू हैं, इसलिए उनकी समस्या पर कोई चर्चा नहीं की जा रही। जाहिर है मंत्रीगण भी इन गरीब लोगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे जिनकी लाखों रुपयों की फसल तबाह हो चुकी है। यह फसल उनकी पूरे सालभर की मेहनत थी। यदि केले के पेड़ का बीमा हो तो किसान को प्रति पेड़ 40 रुपए प्राप्त होते हैं। इस तरह यदि किसी किसान को 1,000 पेड़ों का नुकसान हो तो उसे 40,000 रुपए मिलते हैं, जबकि वर्ष के अंत में बेहतर फसल की कटाई पर उसे 3,50,000 रुपए प्राप्त हो सकते हैं! लेकिन इस भारी नुकसान की राज्य सरकार को कोई चिंता नहीं है! इसीलिए, भाजपा से जुड़े कृषक मोर्चा ने राहत सामग्री और मुआवजे के बारे में बरती जा रही लापरवाही पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए 24 घंटे की भूख हड़ताल की थी।
मलयालम भाषा का एक मुहावरा है, ‘घर जल रहा हो तो पेड़ से पके केले चुरा लो।’ इसका मतलब, आपदा के दौरान मौके का फायदा उठाना। उग्रवादी इस्लामिक पार्टी, एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया) ने कुछ ऐसा ही किया। जब एक ओर, समूचा राज्य विजिंझम में आपदा की मार झेल रही स्थानीय जनता के दु:ख बांटने पहुंचीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन की प्रशंसा कर रहा था, इस दौरान एसडीपीआई अपनी पार्टी की सोच वाले पर्चे बांटने में व्यस्त थी।
उपरोक्त घटनाएं साफ बताती हैं कि कैसे हिंदू हाशिए पर पड़े हैं। बारहमासी सेकुलरवाद का दंभ भरने वाली सभी सरकारें और राजनेता समय आने पर केवल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति करते दिखते हैं। हिंदुओं की चिंता उनकी सूची में कहीं शामिल नहीं होती क्योंकि हिंदू कोई संगठित समुदाय नहीं है और न ही वोट बैंक है। हालात सचमुच चौंका देने वाले हैं।    

स्वयंसेवकों ने संभाला मोर्चा
ओखी तूफान से प्रभावित लोगों की मदद के लिए राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती और कुछ अन्य संगठनों के कार्यकर्ता दिन-रात लगे रहे। इन कार्यकर्ताओं ने अपनी ओर से तो लोगों की सहायता की ही, साथ ही सरकारी तंत्र के साथ भी खड़े रहे और उन्हें जो भी काम दिया गया उसे पूरी तन्मयता के साथ पूरा किया। इन कार्यों के लिए पीड़ितों ने स्वयंसेवकों और कार्यकर्ताओं की बड़ी तारीफ की। कन्याकुमारी में सड़कों पर केले के लगभग 1,00000 पेड़ गिर गए थे। इनसे शहर की सड़कें पूरी तरह बंद हो गई थीं। संघ के अधिकारियों को जैसे ही इसकी खबर लगी उन्होंने कार्यकर्ताओं के 100 दल बनाए। इन दलोें को अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया। इन दलों में शामिल कार्यकर्ताओं ने युद्ध स्तर पर पेड़ों को हटाने का कार्य शुरू किया और देखते ही देखते शहर की सभी सड़कों पर आवाजाही शुरू हो गई। तूफान के बाद अनेक जगहों पर भारी बारिश भी हुई। इससे कन्याकुमारी जिले की एक बड़ी आबादी प्रभावित हुई। इन लोगों के लिए सेवा भारती, तमिलनाडु ने प्लास्टिक की 1,050 चटाइयां, मोमबत्ती के पैकेट आदि राहत सामग्री भेजी। सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के बीच खाने के पैकेट, पानी की बोतलें, दूध की थैलियां आदि का वितरण किया। राहत कार्य की देखरेख चेन्नै महानगर संघचालक कल्याण सिंह और सेवा भारती, तमिलनाडु के अध्यक्ष राबू मनोहर ने की। इसी तरह के कार्य केरल और कर्नाटक के कार्यकर्ताओं ने भी किया। 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

Nepal Rasuwagadhi Flood

चीन ने नहीं दी बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत के हिम ताल के टूटने से नेपाल में तबाही

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

Swami Dipankar

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं, कांवड़ में सब भोला, जीवन में सब हिंदू क्यों नहीं: स्वामी दीपांकर की अपील

Maulana chhangur

Maulana Chhangur: 40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपए, सामने आया विदेशी फंडिंग का काला खेल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies