चीन/ सत्ता पर एकाधिकार-7दिसंबर में आया पाकिस्तान को पसीना
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

चीन/ सत्ता पर एकाधिकार-7दिसंबर में आया पाकिस्तान को पसीना

by
Dec 11, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Dec 2017 11:17:15


चीन नेभ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देकर अरबों की लागत वाली ओबीओआर  परियोजनाओं की राशि अनिश्चितकाल के लिए रोक दी।  इससे दिसंबर महीने में पाकिस्तान को पसीना आ रहा है

प्रशांत बाजपेई

चीन ने भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की विभिन्न परियोजनाओं में खर्च होने वाली रकम रोक दी है। इससे चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में दरार के कयास लग रहे हैं। इस रिश्ते की कहानी बड़ी घुमावदार, और दुनिया में अपने तरह की अनोखी है। दुनिया में किसी अन्य देश ने दूसरे देश पर इतनी इनायतें नहीं की हैं, जितनी चीन ने पाकिस्तान पर की हैं। लेकिन दुनिया में चीन जैसा कठोर सौदेबाज भी कोई और नहीं है। वह किसी के साथ भी मोल-भाव करते हुए बेदर्द बना रहता है। जितना देता है उससे कई गुना ज्यादा वसूलता है। पाकिस्तान को भी अब यह एहसास हो चला है, पर पहले बात इस ऐतिहासिक दोस्ती की।
तत्कालीन चीनी राष्टÑपति हू जिंताओ ने चीन और पाकिस्तान की मित्रता को समुद्र से गहरी और पर्वत से ऊंची बताया था। इस पर शक करने के लिए पाकिस्तान के पास कोई कारण भी नहीं था। 1971 के युद्ध के अलावा भारत के साथ हर युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान से पल्ला झाड़ लिया था, जबकि चीन बिना अपवाद उसके साथ खड़ा हुआ। ‘इस्लामी बम’ (पाकिस्तान का परमाणु बम) बनाने के जुल्फिकार अली भुट्टो और जिया उल हक दोनों के सपने को अमेरिका ने हर संभव मौके पर पलीता लगाया, जबकि चीन ने उसे थाल में सजाकर नाभिकीय अस्त्र सौंपा था। चीन सदैव पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है, और पाकिस्तान खुशी-खुशी इसके लिए तैयार रहता है।
उल्लेखनीय है कि चीन सैद्धांतिक रूप से पाकिस्तान के जन्म के समय से ही उसके पक्ष में था। 1950 में दोनों के कूटनीतिक संबंध बने। सैनिक सहयोग 1966 में प्रारंभ हुआ। 1972 में (बांग्लादेश मुक्ति के बाद) दोनों रणनीतिक साझेदार बने, और 1979 में आर्थिक सहयोग प्रारंभ हुआ। तब से अब तक काफी पानी बह चुका है।

पाकिस्तान का शस्त्रीकरण
पाकिस्तान में चीन से सबसे ज्यादा उम्मीद कोई लगाए रखता है, तो वह है वहां की फौज। इस दोस्ती से सबसे ज्यादा हासिल भी फौज ने ही किया है। आम पाकिस्तानी आज भी खाली हाथ है। चीन ने पाकिस्तान के परमाणु बम के निर्माण में लगभग निर्माता जितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमेरिकी रक्षा रपट-2001 के अनुसार जब पश्चिमी देशों ने परमाणु सामग्री और तकनीक के निर्यात पर कठोरता से रोक लगाई, तब चीन ने उसे परमाणु सामग्री और बम निर्माण के विशेषज्ञ दोनों प्रदान किए। 1990 में चीन ने पाकिस्तान में भारी जल रिएक्टर का निर्माण किया, जिससे वहां प्लूटोनियम का उत्पादन प्रारंभ हो सका। चीन के राष्टÑीय नाभिकीय निगम ने पाकिस्तान को 5,000 कस्टम मेड रिंग मैग्नेट्स दिए, जिससे पाकिस्तान यूरेनियम संवर्धन में आत्मनिर्भर बना। चीन ने पाकिस्तान को अपने न्यूक्लियर वरहेड का नक्शा भी उपलब्ध करवाया। स्पष्टत: पाकिस्तान के हाथ में चीनी परमाणु बम ही है।  परमाणु बम गिराने में समर्थ पाकिस्तानी मिसाइल शाहीन-1 और शाहीन-2 वास्तव में चीनी मिसाइल डीएफ-9 और डीएफ-18 ही हैं। 2015 में शाहीन-3 का परीक्षण हुआ है।
1962 में भारत-चीन युद्ध के समय पाकिस्तान ने चीन के प्रति झुकाव दिखाना प्रारंभ किया। 1963 में चीन ने पाकिस्तान के साथ सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए। चीन ने मौके को ताड़ते हुए पाकिस्तान के साथ अपने सीमा विवाद को सुलझा लिया था, जबकि इसके 40 साल बाद अटल सरकार द्वारा सीमा विवाद को सुलझाने के लिए नक्शों के आदान-प्रदान के प्रस्ताव को भी उसने स्वीकार नहीं किया था। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अमेरिका ने पाकिस्तान को सहायता बंद कर दी, क्योंकि अमेरिका की शस्त्र आपूर्ति के साथ शर्त जुड़ी हुई थी कि उन हथियारों का इस्तेमाल भारत के विरुद्ध नहीं होगा। कच्छ के रण में अमेरिकियों ने पाकिस्तान को उन हथियारों को भारत के सुरक्षा बलों के खिलाफ इस्तेमाल करते देखा, और जनरल अयूब मुश्किल में आ गए।
ऐसे समय में चीन आगे आया और तब से पाकिस्तान का स्थायी शस्त्र आपूर्तिकर्ता बन गया। 1966 में चीन द्वारा प्रारंभ की गई शस्त्र आपूर्ति आज बहुत विशाल रूप ले चुकी है। दोनों उच्च तकनीक रक्षा उत्पादन में साझेदार हैं। पाकिस्तान पांचवीं पीढ़ी के चीनी लड़ाकू विमान जे-10बी का प्रथम ग्राहक बना। 150 जे-10बी विमान खरीदकर पाकिस्तान दो नई स्क्वाड्रन तैयार करना चाहता है। सालों से चल रही बातचीत 2017 में कुछ आगे बढ़ी है। बीते दशकों में पाकिस्तान ने चीन से बहुत कुछ हासिल किया है, जैसे – पाकिस्तानी पायलटों को चीन में प्रशिक्षण, उच्च श्रेणी प्रशिक्षण, विमान जेएफ-17 थंडर बोल्ट प्रोजेक्ट, अल-खालिद टैंक, एफ-22 फिग्रेट, एयर बर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, एयरक्राफ्ट और नेवल शिप, नई मिसाइल तकनीक, उड्डयन उद्योग, जहाजरानी आदि।

साझा दुश्मन भारत
1971 में जब भारतीय सेनाओं ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में प्रवेश किया तो चीन ने पाकिस्तान की सहायता हेतु भारत पर दबाव बनाने की नीयत से सिक्किम सीमा पर अपने सैनिकों  को जमा करना शुरू कर दिया था। कारगिल युद्ध के समय चीनी सेना की टुकड़ियां अरुणाचल सीमा पर इकट्ठा हो रही थीं। इतना ही नहीं, 26/11 के मुंबई हमले के बाद जब पाकिस्तान भारत के आक्रमण को लेकर आशंकित था, तब चीन के विचारकों (काउंसिल आॅफ इंटरनेशनल रिलेशंस) की ओर से विचार आया कि भारत यदि पाकिस्तान पर हमला करता है, तो चीनी सेना को अरुणाचल को हस्तगत कर लेना चाहिए।
अगस्त 2008 में अमेरिका ने जब संयुक्त राष्टÑ सुरक्षा परिषद् में लश्कर-ए-तोयबा और उसके मुखौटे जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने अवरोध उत्पन्न किया। आतंकी अजहर मसूद भी चीन की कूटनीतिक ढाल के नीचे सुरक्षित बैठा है। 2016 में भारत ने पाकिस्तान के पास जा रहे अपने हिस्से के जल का उपयोग करने संबंधी बयान मात्र दिया था कि चीन ने तिब्बत से आने
वाली ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का पानी रोक दिया था।  
अफगानिस्तान और भारत के मामलों पर दोनों एक साथ हैं। कश्मीर पर पाकिस्तान को चीन का समर्थन है, तो सिक्यिांग, तिब्बत और ताइवान पर पाक उसके साथ है। एक रोचक ऐतिहासिक तथ्य है कि 1971 में पाकिस्तान ने अमेरिका के राष्टÑीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर (जो धुर भारत विरोधी थे) की चीन से बातचीत प्रारंभ करवाने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी, और भारत-पाकिस्तान युद्ध में दोनों देश पाकिस्तान के पक्ष में वातावरण बनाने का प्रयास करते रहे थे, और भारत पर दबाव डालते रहे थे। घटनाओं के क्रम में 1978 में काराकोरम हाईवे खोला गया। 1986 में चीन-पाक परमाणु सहयोग समझौता, 1999  में चीनी सहयोग से 300 मेगावट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र पाकिस्तान के पंजाब में प्रारंभ हुआ। पाकिस्तानी एयरलाइंस दुनिया की पहली गैर-कम्युनिस्ट व्यापारिक एयरलाइन थी, जिसने चीन की ओर
उड़ान भरी।

खुराफाती गठजोड़
भारत में तिब्बती शरणार्थी और दलाई लामा चीन को चुनौती लगते हैं, इसलिए वह कश्मीर पर भारत को असहज करने के प्रयास करता आया है। चीन के एक विश्लेषक का कहना है, ‘‘बीजिंग अपना कश्मीर कार्ड नहीं छोड़ेगा, जब तक चीन अपनी दक्षिणी सीमाओं को लेकर चिंतित है, कश्मीर मामला जिंदा रहेगा।’’
इसलिए कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित अलगाववाद और इतिफदा के सुरों में चीन को संगीत सुनाई देता है। पाकिस्तान कश्मीर को बहुपक्षीय मामला बनाने के लिए दशकों से असफल प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान की बेचैनी को समझते हुए कुछ सालों पहले चीन ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित कर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था। 2010 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम. खजूरिया ने कहा था, ‘‘कश्मीरी अलगाववादी अब कम्युनिस्ट चीन के साथ संबंध बढ़ाने में लगे हैं, क्योंकि उन्हें कश्मीरी अलगाववाद को जिंदा रखने की पाकिस्तान की क्षमता पर भरोसा नहीं है।’’ बात आगे नहीं बढ़ सकी, लेकिन चीन सुइयां चुभोता रहा। चीन ने जुलाई  2010  में भारत और चीन के मध्य संपन्न होने जा रही द्विस्तरीय रक्षावार्ता (जो बीजिंग में होने जा रही थी), के लिए भारतीय सेना की उत्तरी कमान के जनरल बी़ एस. जायसवाल को वीसा देने से यह कहते हुए मना कर दिया था,  कि वे ‘विवादित क्षेत्र’ (जम्मू-कश्मीर) की कमान संभाल रहे हैं। ऐसे ही चीनी दूतावास ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अलग पेपर वीजा जारी कर नए विवाद को जन्म दिया था।   
अगस्त, 2010 में विश्व के अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ कि पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर, जो चीन के सिक्यिांग प्रांत से सटा हुआ है, में हजारों चीनी सैनिक मौजूद हैं। आज यह बात पुष्ट हो चुकी है कि यहां चीन द्वारा 20 बिलियन डॉलर के निर्माण कार्य (रेलवे, बांध, पाइपलाइन, काराकोरम राजमार्ग का विस्तार) किए जा रहे हैं, ताकि चीन की खाड़ी देशों तक सीधी पहुंच हो सके, जबकि इस सड़क से एक ओर अरब सागर (बलूचिस्तान का ग्वादर बंदरगाह) और यूरोप और मध्य एशिया को जोड़कर नया रेशम मार्ग बनाने की चीन की महत्वाकांक्षी योजना है, यही बहुचर्चित ओबीओआर या सीपैक (चाइना पाकिस्तान इकॉनामिक करिडोर) है।
चीन की नजर अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर है। आधारभूत ढांचे के निर्माण की भी अफगानिस्तान को बाहरी मदद की भारी जरूरत है। ऐसे में पाकिस्तानी फौज की अहमियत बढ़ जाती है। आईएसआई के पाले हुए तालिबानी और हक्कानी गिरोह के दुर्दांत जिहादी यहां कार्यरत चीन के इंजीनियरों और अन्य चीनियों पर हमला करने से परहेज करते हैं। इसलिए अफगानिस्तान से सटे अपने प्रांत में मुस्लिम उईगर आतंकियों का खतरा होते हुए भी चीन अफगानिस्तान में पाकिस्तान प्रेरित खूनखराबे से आंखें फेरे रहता है।

बीजिंग की सौदेबाजी
2016 में ओबीओआर को लेकर चीन और पाकिस्तान में 45 अरब डॉलर का करार हुआ। पाकिस्तान में तो मानो ईद का जश्न मना, लेकिन जल्दी ही हकीकत सामने आने लगी। कहा जाने लगा है कि चीन-पाकिस्तान की दोस्ती पर्वत से ऊंची और समुद्र से गहरी है, लेकिन चीनियों की जेबें पाताल से भी गहरी हैं। 2018 से ही ओबीओआर पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवथा पर 475 अरब रुपए का बोझ डालने लगेगा। पाकिस्तान को 100 अरब रुपया हर साल इसकी सुरक्षा पर खर्च करना होगा। पावर प्रोजेक्ट, जिन्हें चीन कर्जे के रूप में यहां बना रहा है, वे कोयले से चलेंगे और उनसे मिलने वाली बिजली साढ़े आठ रुपए प्रति यूनिट होगी। सड़कें और दूसरे आधारभूत ढांचे का विकास भी चीन कुल मिलाकर 17 प्रतिशत ब्याज वाले कर्ज के रूप में कर रहा है। कंपनियां, कर्मी और लाभ चीन का होगा, चुकाना पाकिस्तान को है। नेता चुप हैं, पाक फौज खुश है, उसे ग्वादर बंदरगाह मिल गया है, जो भविष्य में नौसैनिक बंदरगाह के रूप में काम  कर सकेगा।
चीन ने पाकिस्तान के बाजार पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। चीन के सब्सिडी प्राप्त दैत्याकार कारखानों से पाकिस्तानी उत्पादनकर्ता खौफ में हैं। चीनी पाकिस्तान में जमीन, फैक्ट्रियां और गोदाम खरीद रहे हैं। पाकिस्तान के लघु उद्योग मार खा रहे हैं। पाकिस्तानी मजदूरों को ग्वादर में भी काम नहीं मिल पा रहा है। चीन से मजदूर भी आयात हो रहे हैं। 71,000 चीनी ओबीओआर के नाम पर पाकिस्तान में बस चुके हैं। कहा जा रहा है कि अब चीनी यहां शादियां करेंगे, असेंबली में जाएंगे, मेयर बनेंगे और पाकिस्तान की पीढ़ियां उनकी गुलामी करेंगी। झोले में मोबाईल रखकर उन्हें चीनी महिलाएं कराची की सड़कों पर बेचती नजर आ रही हैं। पाकिस्तान का पढ़ा-लिखा तबका, बुद्धिजीवी-पत्रकार, सभी का चीन से मोहभंग हो चुका है।
तर्क दिया जा रहा है कि चीन ने श्रीलंका के हम्बन्टोटा में अरबों डॉलर झोंककर बंदरगाह बनाया, वह खर्च भी नहीं निकाल पा रहा है, लेकिन समझौते के मुताबिक श्रीलंका  चीन को यह बंदरगाह 99 साल की लीज पर देने को बाध्य है।  सूद के साथ लागत अदा करनी है, और 80 प्रतिशत व्यापार चीनी कंपनियों को देना है। ओबीओआर भी उसी दिशा में बढ़ता    कदम है।
पाकिस्तानी कूटनीति के जानकारों को भी वह सदमा याद है, जब कारगिल दुस्साहस के समय चीन ने पाकिस्तान को पीछे हटने की सार्वजनिक हिदायत दी थी, और 2016 में जब मोदी सरकार ने पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, तो चीन ने भी चुप्पी साध ली थी। पाकिस्तान में जो लोग सोच सकते हैं उनमें यह अहसास गहरा रहा है कि जिसे वे दोस्ती समझ रहे थे वो सौदेबाजी निकली, जिसमें ज्यादातर चीन ने हासिल किया, कुछ पाकिस्तानी फौज ने हासिल किया, लेकिन आवाम के हाथ कुछ नहीं लगा, न लगने वाला है। 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies