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पश्चिम बंगाल के बंग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में बढ़ रही ह ै बंग्लादेश ी कट्टरपंथी तत्वों की आवाजाही
बासुदेब पाल
कुछ दिन बाद बंग्लादेश में चुनाव होने हैं। ऐसे में यहां का प्रशासन जिहादी गुटों और उसमें शामिल कट्टरपंथी तत्वों को देश से खदेड़ने या पकड़ने के प्रयास में लगा हुआ है। बंग्लादेश की बीजीबी और आरएबी की सक्रियता से ऐसे तत्व वहां से भाग कर पश्चिम बंगाल के मालदा को अपना ठिकाना बना रहे हैं। दरअसल मालदा की सीमा बंग्लादेश के चांपाइ नबावगंज जिले से सटी है।
कुछ दिन पहले यहीं पर जिहादियों के साथ बीजीबी और आरएबी के बीच गोलीबारी हुई थी। मीडिया रपटों की मानें तो इसमें तीन जिहादी मारे गये और बाकी भाग जाने में सफल रहे। ये सभी जमात के लोग थे। खबरों की मानें तो ये भागे हुए जिहादी भारत की सीमा में चले गए हैं। ऐसे में सीमा सुरक्षा बल की ओर से जिन जिलों की सीमा बंग्लादेश से लगी है, उन सभी को रेड एलर्ट जारी किया गया।
इस सबके बाद भी पिछले 28 नवंबर की रात को मालदा और मुर्शिदाबाद में कट्टरपंथियों ने सीमा पर लगे कंटीले तारों को काटने की कोशिश की तो सुरक्षाबलों ने उन पर गोलियां बरसार्इं। हालांकि सीमा सुरक्षा बल ऐसी किसी भी घटना से इनकार कर रहा है। लेकिन सीमावर्ती गांव के लोगों का कहना कि बंग्लादेश के सुरक्षाबलों से बचने के लिए जिहादी गुट भारत में आने के लिए सीमा पर लगी बाड़ काटने की कोशिश में हैं। ऐसे में सीमा पर तनावपूर्ण माहौल है।
यहां एक बात और गौर करने वाली है कि मालदा और बंग्लादेश की सीमा 172 किलोमीटर लम्बी है। इसमें 50 किलोमीटर की सीमा खुली है। इस सीमा में कई नदियों की जल सीमा है। लेकिन मालदा के उन्नयन प्रखंड की सीमा जिहादी और असामाजिक तत्व, पशु तस्करी और जाली मुद्रा की तस्करी के लिए सबसे सरल है, जहां से वे बड़ी आसानी के साथ अपना काम करते हैं। समय-समय पर विभिन्न खुफिया एजेंसी इसको लेकर सचेत करती रहती हैं।
इस प्रखंड से बंग्लादेश के तलकूप्पी, मानाकासा, अलकूनी गांवों की दूरी केवल आधा किलोमीटर ही है। इन बंगलादेशी गांवों से ढाका 400 किमी. की दूरी पर है। राजधानी शहर ढाका से दूरी और दुर्गम स्थान पर जमात-ए-इस्लामी सहित विभिन्न जिहादी गुटों ने अपने आधार शिविर इन्हीं गांवों में बनाए हैं। मीडिया रपटों की मानें तो खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस जमात-ए-इस्लामी को भरपूर सहयोग दे रहा है। तो दूसरी ओर जाली मुद्रा का कारोबार भी इनको धन मुहैया कराता है। बंगलादेश के विभिन्न स्रोतों से पता चला है कि पांच जाली मुद्राओं में से तीन मुद्रा आईएसआई द्वारा चलाई जाती हैं। सभी जिहादी गुट बंंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। जब इस बात की भनक हसीना सरकार को हुई तब जाकर जिहादी गुटों के खिलाफ अभियान चलाया गया, वह भी अचानक।
उल्लेखनीय है कि ऐसे जिहादी तत्वों को भारत के अंदर से भी मदद के प्रयास किए गए, इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सीमाक्षेत्र पर उनके लोग हर तरह से उनकी मदद करते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की मानें तो जिन-जिन गांवों से बंग्लादेश की सीमा सटी है, वहां चौकसी के नाम पर खास इंतजाम नहीं है। कभी भी यहां कोई आ-जा सकता है। यहां से तस्कर एवं अन्य असामाजिक गाहे-बगाहे तत्व आते-जाते हैं। हाल ही में कई आतंकी भी पकड़े गए हैं।
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