चतुर्भुज गठबंधन- चीनी भस्मासुर का सही जवाब
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

चतुर्भुज गठबंधन- चीनी भस्मासुर का सही जवाब

by
Nov 27, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 27 Nov 2017 10:11:56

पिछले दिनों फिलिपींस की राजधानी मनीला भले थोड़े-से दिनों के लिए ही सही, लेकिन कई कारणों से अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गई। मौका था आसियान बिरादरी की 50वीं सालगिरह का। इसके बहाने उन्हीं दिनों वहां 12वां पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन भी हुआ जिसमें आसियान बिरादरी के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई गैर आसियान देशों के 18 राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इनके अलावा भारत, अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ, चीन, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राष्ट्र के साथ आसियान रिश्तों की अलग-अलग सालगिरह से जुड़े शिखर सम्मेलनों का भी यह मौका था। भारत-आसियान संबंधों की भी यह 25वीं सालगिरह थी।
एशिया-प्रशांत से भारत-प्रशांत
लेकिन जिस एक घटना ने दुनियाभर के राजनीतिक और सामरिक विश्लेषकों को चौंकाया, वह था इन शिखर सम्मेलनों के हाशिए पर होने वाली एक ऐसी छोटी-सी बैठक जिसमें चार गैर-आसियान देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। ये देश थे भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया। इस बैठक की तिथि का चुनाव भी काफी अर्थवान था। 10 से 14 नवंबर तक चलने वाले पांच दिवसीय आयोजन के ठीक तीसरे दिन हुई इस बैठक में इन चार देशों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि 'इंडो-पैसिफिक' (भारत-प्रशांत) क्षेत्र को एक मुक्त, समृद्ध और आपस में जुड़े क्षेत्र का रूप दिया जाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में पड़ने वाले सभी देशों के साझे और दूरगामी हित सधें और जो पूरी दुनिया के लिए भी हितकारी हो। यह पहला ऐसा बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच था जहां हिंद महासागर और प्रशांत महासागर वाले साझा क्षेत्र की पहचान पर परंपरा से चले आ रहे नाम 'एशिया-पैसिफिक' (एशिया-प्रशांत) की बजाए भारत-प्रशांत नाम का ठप्पा लगाया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति दी गई। इस क्षेत्र में भारत की बदलती हुई पहचान और भूमिका का यह एक शुभ संकेत है। हालांकि ऊपर से देखने पर यह बयान एक आदर्शवादी कूटनीतिक लफ्फाजी जैसा लगता है, लेकिन इस बैठक से जुड़े चार देशों की साझी ताकत और उनके बयान ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की पूरी बिरादरी की आंखों में आशा और उत्साह की एक ऐसी चमक पैदा कर दी जिसके लिए यह इलाका पिछले कई वर्षों से तरस रहा था। चीन की दादागीरी से बुरी तरह त्रस्त इन देशों को किसी ऐसे दोस्ताना मंच की जरूरत लगातार सता रही थी जो आर्थिक, राजनीतिक और सैनिक ताकत के सभी मोर्चों पर चीन को टक्कर देने की क्षमता रखता हो।
चतुर्भुज गठबंधन का पुनर्जन्म
हालांकि कहने को अमेरिका, भाारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया में से कोई भी देश न तो आसियान बिरादरी का सदस्य है और न उस इलाके का है। लेकिन आसियान की 50वीं वर्षगांठ और पूर्वी एशियाई देशों के आयोजनों के ठीक बीचोबीच इन चार देशों ने इस बैठक का आयोजन करके दुनिया को सीधा संदेश दे दिया कि 2007-08 में शुरू हुए जिस क्वाड मंच (चार देशों का रक्षा चतुर्भुज) को चीन की दादागीरी के कारण मृत मान लिया गया था, वह न केवल जिंदा है, बल्कि नए उत्साह और नए इरादे के साथ फिर से उठ खड़ा हुआ है। इस बैठक के बाद आने वाले संकेतों से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया अब एक ऐसा साझा आर्थिक, राजनीतिक और सैनिक संगठन बनाने पर सहमत हो चुके हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागीरी पर नकेल कसने और इस इलाके के देशों को चीनी दबाव से राहत दिलाने की क्षमता रखता है। असल में इन प्रयासों की शुरुआत 2007 में हुई थी जब दक्षिण चीन सागर, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चीनी नौसेना ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी थीं। तब अमेरिका, भारत, जापान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया ने चीन को परोक्ष चेतावनी देने के लिए बंगाल की खाड़ी में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शुरू किए थे। इसी दौर में अमेरिका की पहल पर अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने 'चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता' (क्वाड्रिलेट्रल डिफेंस डायलॉग यानी क्वाड) की भी शुरुआत की थी। लेकिन इसकी प्रतिक्रिया में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री केविन रड्ड की सरकार को ऐसी बंदर घुड़की दी कि उन्होंने अगले साल इस अभ्यास और क्वाड-डायलॉग, दोनों से ऑस्ट्रेलिया को अलग कर लिया। इसी दबाव के चलते डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी क्वाड से किनारा कर लिया। इस दौर में चीन और जापान के बीच सेंकाकू द्वीप विवाद में अमेरिका के ढुलमुल रवैये ने भी जापान को बहुत मायूस किया। लेकिन गनीमत रही कि चीन की गीदड़ भभकियों से त्रस्त भारत ने अमेरिका के साथ मालाबार नौसेना अभ्यासों को जारी रखा।
इस बीच चीन ने अपनी नौसैनिक गतिविधियों का दायरा देखते-देखते हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर तक बढ़ाया और पाकिस्तान के अलावा बांग्ला देश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव में किसी न किसी बहाने नौसैनिक सुविधाएं प्राप्त करके भारत को घेरने के लिए समुद्र में 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' का फंदा तैयार कर लिया। 2005 से 2010 के बीच सोमालिया के समुद्र में समुद्री डकैतों के आतंक ने भी चीन को इस इलाके में अपने जहाजों की सुरक्षा के नाम पर नौसैनिक जहाज भेजने का बहाना दे दिया। भारत के लिए इस नए चीनी खतरे से निबटना जरूरी हो चुका था। लेकिन चीन की बढ़ती दादागीरी से टक्कर लेने को कोई अकेला देश तैयार नहीं था।
ड्रैगन की दादागीरी
असली बदलाव 2014 में आया जब भारत में भाजपा के सत्ता में आने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने जापान की शिंजो आबे सरकार के साथ सामरिक सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए। चीन की दादागीरी रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में इस संधि ने नई जान भर दी। 2015 में जापान भी भारत-अमेरिकी मालाबार नौसैनिक अभ्यास में शाामिल हो गया और अब ऑस्ट्रेलिया सरकार ने भी इसमें शामिल होने के साफ संकेत दे दिए हैं। मनीला में इन चार देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक से यह स्पष्ट हो गया है कि दस साल के अंतराल के बाद ही सही, लेकिन क्वाड का नया अवतार जन्म ले चुका है।
लेकिन 2007 के बाद पिछले दस साल में चीन का प्रभाव और खुराफाती तेवर, दोनों काफी आगे पहुंच चुके हैं। यही वह दौर था जब चीन ने पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार जताते हुए उसके तट पर बसे वियतनाम, मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान, ब्रुनेई और इंडोनेशिया समेत सभी देशों के विरुद्ध अपने आक्रामक तेवर तेज कर दिए थे। अपने पुराने काल्पनिक इतिहास का हवाला देते हुए चीन इस समुद्र में 'नाइन-डैश' (नौ बिंदु) वाले एक काल्पनिक दायरे और अधिकार क्षेत्र का दावा करता है जो इन देशों के समुद्री तटों के निकट से गुजरते हुए पूरे दक्षिण चीन सागर को अपने दायरे में ले लेता है।
पिछले कुछ साल से चीन अपने तट से सैकड़ों किलोमीटर दूर इन देशों की समुद्री सीमा के कई टापुओं पर कब्जा जमाने के कदम भी उठाने लगा है। चीन ने समुद्री तल से चट्टानों को खोदकर उसे रेत में बदलने और इस रेत से नए कृत्रिम टापू बनाने का एक नया अभियान शुरू किया है। फिलिपींस, मलेशिया, वियतनाम और जापान के तटों के निकट उसने समुद्र में उभरे छोटे-छोटे चट्टानी टापुओं को इतना बड़ा कर लिया है कि वहां अपने विमानों को उतारने के लिए उसने हवाई पट्टियां और ईंधन के डिपो भी बना डाले हैं।
 मार्च 2017 में अमेरिका ने अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरों के आधार पर यह जानकारी दी थी कि दक्षिण चीन सागर में सात स्थानों पर चीन ने 3200 एकड़ वर्गफल के नए टापू विकसित कर लिए हैं। इनमें वियतनाम, ब्रुनेई और फिलिपींस के त्रिकोण के बीच स्थित स्प्राटले द्वीप समूह भी है जो वियतनाम से केवल 270 किमी दूर है। चीनी तट से इसकी दूरी 800 किमी है। यहां और फियरी-क्रॉस-रीफ (चीनी तट से 1190 किमी) में चीन ने ऐसे नकली टापू बना लिए हैं जिन पर उसके लड़ाकू विमान उतर सकते हैं और नया ईंधन लेकर फिर से उड़ान भर सकते हैं। चीन की इन हरकतों ने इस इलाके के देशों में आतंक का एक नया वातावरण पैदा कर दिया है। जुलाई 2016 में हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने चीन की इन हरकतों को पर्यावरण और समुद्री जीवन के लिए खतरनाक बताया था। पिछले साल इस न्यायालय ने चीन के 'नाइन-डैश' दावे को ठुकराते हुए दक्षिण चीन सागर में उसके क्षेत्रीय अधिकार वाले दावों को भी खारिज कर दिया, लेकिन इन दोनों फैसलों का चीन पर कोई असर नहीं हुआ।
अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती
चीन की बढ़ती दादागीरी ने सबसे ज्यादा चिंता अमेरिका के लिए पैदा की है। चीन आज उसी अमेरिका की सर्वोच्चता की चूलें हिलाने पर तुला हुआ है जिसने 1970 वाले दशक में चीन को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में हुक्का-पानी बंद वाली हालत से उठाकर उसे संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बनाया था और उसे वीटो की ताकत दी थी। बाद में इसी अमेरिका और उसके मित्र देशों की पूंजी, टेक्नोलॉजी तथा बाजार के बूते पर आज चीन इतनी बड़ी आर्थिक और सैनिक ताकत बन चुका है कि खुद अमेरिका के लिए चुनौती बन चुका है।
खतरे की आखिरी घंटी इस साल अक्तूबर में चीन के नए सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं कांग्रेस में बजाई। चेयरमैन माओ और देंग शियाओपिंग की तर्ज पर उनकी नई ताजपोशी के बाद जिस तरह से पूरी दुनिया को एक-सड़क और एक-समुद्री-बेल्ट से बांधने की उनकी 'ओबोर' योजना को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान का हिस्सा बनाने की घोषणा की गई, उसने दुनिया में आतंक की नई लहर पैदा कर दी है। शी जिनपिंग के दिमाग की उपज ओबोर योजना का असली लक्ष्य पूरी दुनिया पर चीन का आर्थिक और सैनिक दबदबा कायम करना है।
अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड चीन की इसी दादागीरी का जवाब है। हालांकि क्वाड के गठन की आधिकारिक घोषणा और उसकी विस्तृत रूपरेखा तय करना अभी बाकी है। लेकिन दक्षिण और पूर्वी एशिया के देशों के अलावा फ्रांस जैसे देशों ने इसके प्रति जो उत्साह दिखाना शुरू किया है, वह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए पैदा हो रहे चीनी खतरे के इलाज का एक शुभ संकेत है।  – विजय क्रान्ति 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

Nepal Rasuwagadhi Flood

चीन ने नहीं दी बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत के हिम ताल के टूटने से नेपाल में तबाही

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

Swami Dipankar

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं, कांवड़ में सब भोला, जीवन में सब हिंदू क्यों नहीं: स्वामी दीपांकर की अपील

Maulana chhangur

Maulana Chhangur: 40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपए, सामने आया विदेशी फंडिंग का काला खेल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies