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गत दिनों चित्रकूट में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के जयंती वर्ष पर दीनदयाल परिसर में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मानव जीवन का सभी के साथ एकात्म संबंध स्थापित करना ही एकात्म मानव दर्शन कहलाता है। मानव का सर्वांगीण विचार उसके शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का संकलित विचार है। हमारा जीवन दर्शन परस्पर पूरक है। किसी न किसी के साथ उसका जुड़ाव है। अत: विकास के लिये सहकार और सहयोग का आधार लेना होगा। इसी चिंतन का नाम है एकात्म मानव दर्शन। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कामतानाथ प्रमुखद्वार के श्री मदनगोपाल दास जी महाराज ने कहा कि पं़ दीनदयाल का विचार दर्शन और जीवन हम सबके लिये प्रेरणादायी है। उनके विचार दर्शन पर कार्य करने वाले प्रत्यक्ष युगद्रष्टा कोई थे, तो वे श्रद्धेय नानाजी देशमुख थे।
पं़ दीनदयाल जी के विचारों से संकल्पित नानाजी ने जो कार्य खड़ा किया है, वह हमारे सामने है। नानाजी ने अपने जीवन को प्रभावी आन्दोलन के रूप में समर्पित किया है। जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ योगेश चन्द्र दुबे ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान के सभी प्रकल्पों का अपना-अपना उद्देश्य होगा, लेकिन अंत में सारे उद्देश्य एक जगह आकर मिलते हैं। चित्रकूट में नानाजी ने जो प्रकल्प खड़ा किया, वह अद्वितीय है। समाज के सभी लोगों के लिए नानाजी प्रेरणास्रोत हैं। प्रतिनिधि
पत्रकारिता कार्यशाला सम्पन्न
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जोधपुर महानगर प्रचार विभाग की ओर से पिछले दिनों एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के सभागार में 'नागरिक पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला' का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन वक्ता के रूप में उपस्थित ड़ॉ अभिनव पुरोहित ने किया। इस अवसर पर उन्होंने नागरिक पत्रकारिता कार्यशाला की भूमिका एवं उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकारिता ने समाज को सजग करने का कार्य हमेशा से किया है। लोकतंत्र की खूबी भी यही है कि उसके चारों स्तंभ अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जब अपने दायित्वों से मुकरने लगते हैं, तब जनता की नजर पत्रकारिता की ओर मुड़ना स्वाभाविक है। आजादी के पूर्व पत्रकारों का योगदान अविस्मरणीय रहा है। आजादी के बाद की पत्रकारिता में विचलन देखने को मिलता है। मिशन को लेकर शुरुआत करने वाली पत्रकारिता कब पीत पत्रकारिता में तब्दील हो गई, इसका अंदाजा ही नहीं लगा। जब मुख्यधारा की पत्रकारिता ने अपने दायित्वों से मुंह मोड़ लिया, तब हमारे सामने नागरिक पत्रकारिता का ही एकमात्र सहारा बचा। (विसंकें,जोधपुर)
व्यक्ति निर्माण की प्रथम पाठशाला है विद्यार्थी
''अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विद्यार्थियों की आवाज बनकर प्रत्येक विश्वविद्यालय, महाविद्यालय में खड़ी रहती है। विद्यार्थी परिषद के होने का अर्थ है एक राष्ट्रभावी छात्रों के समूह की उपस्थिति।'' उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी,उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश महामंत्री श्री पंकज सिंह ने कहीं। वे पिछले दिनों लखनऊ के आम्बेडकर विश्वविद्यालय के सभागार में अभाविप के प्रतिभा सम्मान समारोह में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीहरि बोरिकर ने कहा कि विद्यार्थी परिषद व्यक्ति निर्माण की प्रथम पाठशाला है जो समय-समय पर विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व निर्माण एवं मत-पंथ से ऊ पर उठकर सामाजिक समरसता के भाव के माध्यम से समाज एवं सत्ता और व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए एक प्रेरक की भूमिका निभाती आ रही है। विद्यार्थी परिषद छात्रों के बीच देश के महापुरुषों द्वारा किए गए कायोंर् से प्रेरणा लेकर एक भाव पैदा करने का काम करती है। कार्यक्रम के अध्यक्ष केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ड़ॉ. आर.सी. सोबती ने कहा कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के छात्रों को आज संस्कारयुक्त एवं चरित्र निर्माण युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। छात्रों में त्याग, समर्पण के साथ-साथ आत्मविश्वास जगाने की आवश्यकता है।
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