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मुरादाबाद के अरविंद गोयल सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उन लोगों का सहारा बन रहे हैं जो वास्तव में जरूरतमंद हैं। वे गरीब बच्चों की शिक्षा से लकर वृद्धाश्रमों का संचालन करके अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं
नाम : अरविंद कुमार गोयल (65 वर्ष)
व्यवसाय : चेयरमैन, एआर एजुकेशनल ट्रस्ट
प्रेरणा : समाज से पाया, वापस लौटाया
अविस्मरणीय क्षण : जब राष्ट्रपति ने सम्मानित किया
व्यवस्था बदलने के लिए केवल सरकार या तंत्र को ही नहीं बल्कि सभी को मिलकर काम करना होगा।
मनोज वर्मा
गरीबी, लाचारी और बेबसी। इन्हीं में पिस रही है मासूमों की जिंदगी। कुछ ढाबों पर हाथ घिस रहे हैं तो कुछ ईंट भट्ठों पर भविष्य के सपने जला रहे हैं। कुछ घरों में बंधुआ मजदूर बन बैठे हैं। खुद की और परिवार की दो वक्त की रोटी के लिए जूझते इन मासूमों का पढ़-लिखकर कुछ बनने का अरमान था, लेकिन चाह कर भी पढ़ लिख नहीं पा रहे थे। ऐसे अंधेरे में जब उजाले की छोटी सी लौ कहीं दिखती है तो उम्मीदों का दीया खुद-ब-खुद जल उठता है। ऐसा ही एक शिक्षा का दीया उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जल रहा है जहां के 36 गांवों में न केवल हर दिन गरीब बच्चों की पाठशाला लगती है बल्कि उसी में सेवा,सहयोग और देश प्रेम का पाठ भी पढ़ाया जाता है। बचपन संवारने की इस सचाई का एक सिरा डिडोरा गांव में मिलता है। यहां के पंचायत भवन में शाम को एक नायाब स्कूल खुल जाता है। 60-70 बच्चे अपने बस्ते के साथ स्कूल में पहुंच जाते हैं और शुरू हो जाती है अक्षर ज्ञान की कक्षा। गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की इस अलख से मुरादाबाद सहित उत्तर प्रदेश के कई गांवों और परिवारों की तस्वीर बदल रही है। सैकड़ों वृद्ध आश्रमों, महिला आश्रमोें, अनाथालयों, योग केन्द्रों,अस्पतालों और गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
इस तस्वीर को बदलने वाला चेहरा हैं एमआईटी के संस्थापक अरविंद गोयल। लेकिन गोयल न तो कहीं अपना नाम लिखवाते हैं और न ही अपने सेवा कार्यों के बारे में किसी को खास कुछ बताते हैं। सेवा के लिए वे कभी भी तैयार रहते हैं। तब जबकि श्री गोयल स्कूल, विकलांग केंद्र, वृद्धाश्रम के साथ-साथ अनेक स्कूल-कालेजों के ट्रस्टी हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के 36 गांवों को गोद लेकर वे उन्हें आदर्श गांव बनाने की दिशा में भी जुटे हैं।
ए.आर.एजुकेशनल ट्रस्ट ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के सपने को साकार करने की दिशा में भी काम कर रहा है। निजी तौर पर अरविंद ने अनेक गांवों को गोद लेकर खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया है। इसके शुरुआती चरण में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद क्षेत्र में 36 गांवों को गोद लेकर खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का काम किया जा चुका है। सिकंदरपुर, डिडोरी, शाह आलमपुर, चौधरीपुर, डिडोरा, मजरा खदाना, रसूलपुर, उत्तमपुर बहलोलपुर और अन्य कई गांवों में साफ-सफाई और स्वच्छता प्राथमिकता है। इन गांवों के प्रत्येक घर में शौचालय है। अब यहां की महिलाओं को यह चिंता नहीं सताती कि सूरज उगने से पहले जंगल में शौच के लिए जाना है। शिक्षाविद् गोयल के नेतृत्व में ए.आर.एजुकेशनल ट्रस्ट की स्थापना इस दर्शन को प्रतिबिंबित करती है कि एक अकेला व्यक्ति भी सेवा के जरिए व्यवस्था परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अशिक्षा और गरीबी विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं और यह एक चिन्ता का विषय है। इन्हीं चिंताओं के मद्देनजर उन्होंने पिछले दो दशकों से समाजसेवी, शिक्षाविद्, दानकर्ता और मानवीयता प्रहरी के रूप में गरीबों की सहायता के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। असल में श्री गोयल का विश्वास है कि उन्होंने शैक्षिक संस्थाओं से जिन संसाधनों को अर्जित किया है उसे समाज को लौटा दिया जाना चाहिए ताकि समाज का शैक्षणिक विकास हो और गरीबी के कारण कोई भी अशिक्षित न रहने पाए। सेवा के इन कार्यों के बारे में श्री गोयल हमेशा यही कहते हैं कि वह तो जरिया मात्र है, करने वाला तो ईश्वर है। व्यवस्था बदलने के लिए केवल सरकार या तंत्र को ही नहीं बल्कि सभी को मिलकर काम करना होगा।
गोयल क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के कैंसर अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर गए थे। इस मौके पर सचिन ने अपना विश्व कप का बल्ला उन्हें देते हुए कहा, ‘‘आप ने दुनिया के सामने समाजसेवा की सच्ची नजीर पेश की है।’’ इतना ही नहीं थाइलैंड सरकार ने गोयल को ग्लोबल लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित कर चुके हैं। तो वहीं पूर्व राष्टÑपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी गोयल को उनके सेवा कार्य के लिए सम्मानित किया है। फिल्म जगत की तमाम हस्तियां जैसे-अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और सलमान खान न सिर्फ गोयल को समय-समय पर सम्मानित कर चुके हैं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्टÑपति प्रतिभा देवी पाटिल व प्रणव मुखर्जी ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
जाहिर है दूसरों की जिंदगी के कैनवस को सेवा के इंद्रधनुषी रंग से सजाने वाले श्री गोयल बड़ी खामोशी से अपना काम कर रहे हैं।
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