सोशल मीडिया: हमारी दिमागी कुरूपता का नतीजा है यह सोच
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सोशल मीडिया: हमारी दिमागी कुरूपता का नतीजा है यह सोच

by
Oct 2, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Oct 2017 11:56:11

हम और आपने यह कैसे स्वीकार कर लिया कि 25 देशों का मजहब इस्लाम होगा और वे शरीया पर चलेंगे? आपका अंतर्मन इसे कैसे स्वीकार करता है, जबकि आप भारत में पले-बढ़े होते हैं? आप इस असुंतलन का समर्थन कैसे कर सकते हैं, इसका विरोध क्यों नहीं करते

आप अभी जो देख रहे हैं, उसे इस रूप में हम तक पहुंचाने की कोशिश हमारे पुरखों ने की थी। अब जो कोशिश हम और आप कर रहे हैं, वैसी ही दुनिया भावी पीढ़ी को मिलेगी। यह हमने बनाया है कि कुछ मनुष्यों का समूह अगर एक खुदा को मानता है और दूसरा समूह दूसरे को तो ये दो अलग-अलग समूह गिने जाएंगे। बड़ा समूह दूसरे को हर तरह से प्रताड़ित करेगा। कैसे एक खुदा को मनवाने के लिए इतने खून-खराबे किए गए। यह आपको पता है? कैसे अपने आधिपत्य के लिए अल्पसंख्यकों को दबाया या समूल नष्ट कर दिया गया। ईसाइयों ने किया… यहूदियों ने किया…  और मुसलमानों ने किया।
पचास के करीब मुस्लिम बहुल देश हैं जिनमें छह इस्लामिक स्टेट व 19 इस्लामिक राष्ट्र हैं। ये किसने बनाए? सोचकर बताइए कि आप कैसे इसका समर्थन करते हैं कि 25 देशों में इस्लाम के सिवा और किसी पंथ को तरजीह न दी जाए? क्या आपके मन में कभी यह बात आती है कि ये सब खत्म होना चाहिए? कैसे कोई राष्ट्र इस्लामिक और ईसाई हो सकता है जब तक कि वहां दूसरे पंथ को मानने वाला व्यक्ति मौजूद है? मगर यह हुआ, अल्पसंख्यक या तो देश छोड़कर भागे या आपके मजहब को अपनाया। इस्लाम में सुर्खाब के पंख लगे थे जो देखते ही लोग दंडवत हो जाते थे? दमन, जलालत, युद्ध, लालच, धोखा आदि को हथियार बनाकर मजहबी सिपाही अपना काम करते रहे और हम अल्लाह की वाह-वाह करते रहे। परेशानी यह है कि आपको अपने कभी गलत नहीं लगते हैं और दूसरे जालिम। विरोध तो दूर, आपकी आवाज भी नहीं निकलती है। यह सोच हमारी दिमागी कुरूपता का नतीजा है। इस्लामिक देशों में किसे दुर्गा पूजा का जुलूस निकालने की स्वतंत्रता मिलती है? जहां होता भी है वहां बहुत दबकर और डर कर। समाज को हमने मिलकर कुरूप बना दिया है। रोहिंग्या उसी का नतीजा है। इसलिए मैंने कसम खाई है कि मैं और मेरे बच्चे कभी मक्का या हज पर नहीं जाएंगे। तभी जाएंगे, जब सऊदी अरब पूरी कौम और मानवता के लिए मक्का के रास्ते खोलेगा। ऐसे खुदा से मेरा व मेरे बच्चों का कोई वास्ता नहीं जो सिर्फ अरबों और खास समूह का हो। जिस दिन दुनिया के हर शख्स के लिए मक्का के दरवाजे खुलेंगे, उसी दिन वह हम सबका ‘अल्लाह’ बनेगा, भले इसमें मेरी कई पुश्तें लग जाएं। आप करेंगे ऐसा विरोध?      (ताबिश सिद्दिकी की फेसबुक वॉल से)

‘मुसलमान तो पैदाइशी मासूम होता है!’
बहानों को किनारे रखकर दो मिनट के लिए सोचिए, आखिर दुनियाभर में मुसलमानों के प्रति अविश्वास क्यों पनप रहा है? एक अल्पसंख्यक समाज के नजरिये से अपने मिजाज में लचीलापन लाइए और हो सके तो बेसिक शिक्षा के ढांचे को मजहबी नुक्ते-नजर से मुक्त रखिए। लेकिन हस्ब-आदत कुछ लोगों ने जबरदस्त रायता फैलाया। पोस्ट पर सबसे बढ़िया कमेंट यह आया कि तुम इनसान की शक्ल में छुपे शैतान हो। मैंने आईने में गोश्त फाड़ने वाले अपने नुकीले दांत देखे। ड्रैकुला जैसे तो नहीं थे, फिर भी मैंने उस शख्स की सलाहियत का लोहा माना… उत्तम!
इस बात से मुझे आमिर से शाहरुख और ताजे-ताजे ट्रोलियाये गए उपराष्ट्रपति की याद हो आई कि भारत में असहिष्णुता वाकई बहुत बढ़ गई है। यहां विपरीत विचारधारा का तो कोई सम्मान ही नहीं है। फिर भी बढ़ी हुई असहिष्णुता के रूप में किसी मुस्लिम छुहारे के खिलाफ ‘भगवा भक्तों’ की उग्र प्रतिक्रिया को ही परिभाषित किया जा सकता है। बाकि ये ग्रीन कम्युनिटी वाले कभी शामी को ट्रोलियाते हैं, कभी इरफान, सना शेख, बिहार व मध्यप्रदेश के मुस्लिम भाजपा नेताओं को तो कभी इसी मंच पर औरतों, लड़कियों को अपशब्द कहते हैं। कभी मुझ जैसों के खिलाफ हल्ला बोल रैली का आयोजन करते हैं। यह भले उसी स्तर पर हो, पर इसे असहिष्णुता के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि मुस्लिम तो पैदाइशी मासूम होता है! वह कभी गलत नहीं कर सकता और अपनी मासूमियत के चलते ही कभी अमेरिकियों की साजिश का शिकार हो जाता है, कभी यहूदियों और अन्य की। जब वह गलती करता ही नहीं तो उससे किसी आत्मावलोकन की उम्मीद बेमानी है। सब टॉफी छीन कर उसे रुला देते हैं। जब वह टॉफी पाने की कोशिश करता है तो उसे आततायी ठहरा दिया जाता है… हाऊ रूड! आभासी दुनिया में सामने वाले की कार्रवाई से सुरक्षित रहने की सुविधा का फायदा उठाते-उठाते, तड़पती भावनाएं कुपोषित व बेहद कमजोर हो चली हैं, जो निरंतर वेंटिलेटर पर लेटी रहती हैं। ‘आस्था बेगम’ पर जरा-सा सवाल उठते ही वेंटिलेटर पर टिकी भावनाओं की सांसें उखड़ने लगती हैं। सांसें दुरुस्त करने को ही ट्रोलिंग का सहारा लिया जाता है। वरना यह भी सच है कि छेड़े न जाने की सूरत में लोग सुई की तरह सीधे रहते हैं… हाऊ क्यूट! इसकी स्वीकारोक्ति भी सुबह टॉयलेट जाने जितनी जरूरी है। असहिष्णु तो हम जैसे कलमची भी हुए हैं। नई सरकार में जो लोगों को घेर-घेर कर पकड़ते हैं, डंडे चलाकर अपनी पोस्ट पर लाते हैं और उनसे पोस्ट पढ़वाते हैं। जबरदस्ती न करें तो वे हम जैसों की पोस्ट पर थूकना भी गवारा न करें। प्रभु हमें इस पाप के लिए क्षमा करें!     (अश्फाक अहमद की फेसबुक वॉल से)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies