संयुक्त राष्ट्र महासभा :शैतान का नामकरण
July 23, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

संयुक्त राष्ट्र महासभा :शैतान का नामकरण

by
Oct 2, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Oct 2017 11:56:11

 

पाकिस्तान के साथ दिक्कत यह है कि वहां का शासन दिखावे के लिए भले सरकार चला रही हो, पर कायदा-कानून उस सेना का चलता है जो आतंकवादी सरगनाओं के हाथों में हाथ डाले है। भारत की ओर से उसे ‘टेररिस्तान’ नाम दिया जाना उसकी असलियत उजागर करता है

सुधेन्दु ओझा
संयुक्त राष्टÑ महासभा में 23 सितंबर का दिन लंबे वक्त तक याद रखा जाएगा। वजह? इसी दिन दुनिया के सामने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न सिर्फ पाकिस्तान को उसकी आतंकी हरकतों के लिए फटकार लगाई बल्कि ताकीद की कि आतंक और आतंकवादियों को पोसने के बजाय वह अपने यहां गरीबी दूर करने की चिंता करे। भारत के विकास और विश्व शांति के प्रयासों का हल्का-सा खाका खींचते हुए श्रीमती स्वराज ने उस चीन को भी आड़े हाथों लिया जो परोक्ष रूप से पाकिस्तान को पुचकारता रहा है और आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्टÑ द्वारा सूचीबद्ध कराने से बचाता आ रहा है। संयुक्त राष्टÑ के मंच से भारत ने पाकिस्तान की असलियत दुनिया के सामने रखी।

हमारे देश में जो भी सरकारें आईं सबने विकास का काम किया। हमने आईआईटी, एम्स और आईआईएम खोले, लेकिन पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को खड़ा किया और खुद आतंक का निर्यात करने वाला राष्ट्र बन गया।
-सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री, भारत

  दरअसल, इस्लामी आतंकियों को पनाह देने और आतंकवाद पर अपनी दोहरी नीतियों के चलते विश्व की प्रमुख शक्तियों के निशाने पर आए पाकिस्तान में इन आलोचनाओं को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं गया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने अमेरिका की दक्षिण एशिया संबंधी नीति के विरोध में अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का दुस्साहस किया। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान में ‘विदेश मंत्रालय’ को एस्टेब्लिश्मेंट (सेना) द्वारा हांका जाता है। इसी एस्टेब्लिश्मेंट ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने पूरे कार्यकाल में विदेश मंत्री नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया था। आतंकवाद को अपने सामरिक हित में उपयोग करने वाली पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान में अपनी ‘सामरिक गहराई’ बनाए रखने की योजना के तहत अमेरिका की नीतियों की अवहेलना तथा उसे असफल करने में हक्कानी तथा बचे-खुचे तालिबानियों का भरपूर उपयोग किया। पाकिस्तान को लगता है कि अफगानिस्तान में शांति उसके हित में नहीं है। वह अमेरिका को अपना सामरिक केंद्र बना देगा। इस अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाएं पाकिस्तान, ईरान सहित रूस और चीन की गतिविधियों पर निगाह रख सकेंगी। पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क तथा तालिबानी, जिनके संगठन को पाकिस्तान का पूरा समर्थन हासिल है, अमेरिका की दूरगामी योजना में कांटे हैं। इन्हीं सब चिंताओं की वजह से पाकिस्तान-रूस संबंधों में भी कुछ हरकत नजर आ रही है। पाकिस्तानी सेना का शायद यह मानना था कि अमेरिका के विरोध में उसे रूस और और चीन से समर्थन हासिल हो जाएगा, किन्तु ब्रिक्स में जारी साझा घोषणापत्र में इन देशों सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान को एक करारा तमाचा जड़ दिया।

खुद को पीड़ित दिखाने की चाल
पिछले दिनों पाकिस्तान के राजनैतिक गलियारों में इस बात को लेकर काफी गहमा-गहमी रही कि वहां के तदर्थ प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्या बोलें। वहां के कई राजनैतिक दल तो चाहते थे कि प्रधानमंत्री अमेरिका की यात्रा रद्द कर दें, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें मुलाकात का समय न देकर पाकिस्तान का अपमान किया है। दूसरे, उन्हें इस बात से ऐतराज था कि (पाकिस्तानी हितों को अनदेखा करते हुए) ट्रंप ने अफगानिस्तान में भारत से अपनी उपस्थिति बढ़ाने का अनुरोध किया था। किन्तु, सेना का सोचना था कि इस अवसर का उपयोग एक बार फिर भारत को कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय जगत में नीचा दिखाने के लिए किया जाए और बड़े गुपचुप तरीके से अफगानिस्तान में अमेरिकी नीतियों की असफलता का ठीकरा भी अमेरिका के सिर पर फोड़ा जाए। अमेरिका में एक रेडियो साक्षात्कार में जब अब्बासी से पूछा गया कि ‘‘पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भारत की क्या भूमिका देखता है?’’ तो उन्होने बड़बोलेपन में  कहा, ‘‘जीरो।’’

 क्या बोले अब्बासी
लगता है, भारतीय एजेंसियों को इस बात की पूरी जानकारी पहले से थी कि पाकिस्तानी तदर्थ प्रधानमंत्री अब्बासी इस अंतरराष्ट्रीय मंच से क्या बोलने वाले हैं। अत: र्इंट का जवाब पत्थर पहले से ही तैयार रखा गया था। अब्बासी ने कहा कि ‘‘विश्व समुदाय को कश्मीर समस्या का हल निकालना चाहिए। भारतीय सेना भारत शासित कश्मीर की जनता पर पैलेटगन का इस्तेमाल कर रही है, इसका शिकार हजारों कश्मीरी और बच्चे हो रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि वे ‘‘भारत के साथ कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने के लिए तैयार हैं। लेकिन इससे पहले भारत को पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों को मदद रोकनी होगी।’’ अपने 20 मिनट लंबे भाषण में अब्बासी ने भारत सरकार से कश्मीर में हुए ‘हमलों’ की जांच करवाने की मांग की।
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और मानवाधिकार आयोग के उच्चायुक्त को भारत प्रशासित कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।’’ उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘मैं बता देना चाहता हूं, अगर भारत की तरफ से एलओसी पार करने की कोशिशें की गर्इं या   छद्म युद्ध किया गया तो पाकिस्तान भी इसका भरपूर जवाब देगा।’’

झूठ पर झूठ
भारत पर अपना गुबार निकालने के बाद अमेरिकी भूमि पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अमेरिका को भी कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हुए कहा कि ‘‘पाकिस्तान किसी के लिए बलि का बकरा बनने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान लगातार चरमपंथ के खिलाफ लड़ रहा है और चरमपंथ से सबसे अधिक त्रस्त उनका ही देश है।’’ अब्बासी ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में शांति चाहने वालों में पाकिस्तान सबसे पहला देश है, लेकिन इसके लिए हम अफगान की लड़ाई अपनी जमीन पर नहीं लड़ने देंगे।’’ उन्होंने म्यांमार में चल रही हिंसा पर कहा कि म्यांमार में रोहिंग्या  मुसलमानों का सामूहिक नरसंहार किया जा रहा है और इसके खिलाफ उचित कदम भी नहीं उठाए जा रहे।

भारत का कड़ा जवाब
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब्बासी के अनर्गल आरोपों का जवाब देने के लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी प्रतिनिधि इनम गंभीर को उतारा। सुश्री गंभीर ने कश्मीर में अत्याचार का झूठा आरोप लगाने वाले पाकिस्तान को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव इनम ने कहा, ‘‘अब तक पाकिस्तान के सभी पड़ोसी तथ्यों को तोड़-मरोड़ने, धूर्तता, बेईमानी तथा छल-कपट पर आधारित कहानियां तैयार करने की उसकी चालों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं और परेशान हैं। लादेन की रक्षा करने वाला और मुल्ला उमर को शरण देने वाला देश खुद को आतंकवाद से पीड़ित बता रहा है। पाकिस्तान के झूठ, प्रपंच और धोखे से पड़ोसी अच्छी तरह से परिचित हैं, इससे सच नहीं बदल जाता। पाकिस्तान ‘टेररिस्तान’ बन चुका है, दुनियाभर में पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद का निर्यात होता है। पाकिस्तान की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाफिज सईद के जिस संगठन लश्कर ए तैयबा को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन करार दिया है वह पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टी बन कर उभर रहा है।’’
इनम ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान की आतंक विरोधी मुहिम का मकसद केवल आतंकी नेताओं को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करवाना है। उन्हें राजनीति में लाकर संरक्षण देकर आतंकवाद को किसी तरह मुख्यधारा में लाना और उन्हें बढ़ावा देना है। पाकिस्तान को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। पाकिस्तान सीमा पार से चाहे आतंकवाद को जितना बढ़ावा दे, हालात नहीं  बदलने वाले।’’

सुषमा स्वराज का पलटवार  
इनम गंभीर के तीखे प्रहार का जवाब पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तैयार कर पाता कि  भारतीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिए अपने संबोधन में पाकिस्तान को वह सब सुनाया जिसे आज तक इस मंच से कभी नहीं कहा गया था।  उन्होंने कहा कि भारत की लड़ाई गरीबी के विरुद्ध है जबकि पाकिस्तान पिछले 70 साल से भारत के विरुद्ध लड़ रहा है। पाकिस्तान पर उनका हमला क्षण दर क्षण तीखा और व्यंग्यात्मक होता चला गया। उन्होंने बिना लाग-लपेट के कहा कि जो देश हैवानियत की हदें पार कर सैकड़ों बेगुनाहों की हत्या करता है वह हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाता है! प्रधानमंत्री मोदी ने शांति की पहल की,  लेकिन पाकिस्तान को शांति रास नहीं आती। उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन कहानी बदरंग किसने की?  इसका जवाब पाकिस्तान को देना है।
दोनों देशों को अस्तित्व में आए 70 साल हो गए हैं। कभी पाकिस्तान ने सोचा कि भारत की पहचान दुनिया में आईटी ताकत के रूप में बनी और वह दहशतगर्द देश के रूप में जाना जाता है। हमारे देश में जो भी सरकारें आर्इं, सबने विकास का काम किया। हमने आईआईटी, एम्स और आईआईएम खोले, लेकिन पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को खड़ा किया और खुद आतंक का निर्यात करने वाला राष्ट्र बन गया। वह यह भी कहने से नहीं चूकीं कि पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री बनकर रह गया है।  भारतीय विदेश मंत्री इतने पर ही नहीं रुकीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पाकिस्तानियों से कहना चाहूंगी कि जो पैसे आतंकवाद पर खर्च करते हो उसे लोगों की तरक्की पर खर्च करो। ऐसा करना दुनिया और पाकिस्तान दोनों के ही हक में होगा।’’ उन्होंने परोक्ष रूप से चीन को सुनाया कि भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है लेकिन दुनिया के कई देश अपना निजी हित देखकर ही आतंकवाद पर बोलते हैं। हमें आतंकवाद की परिभाषा तय करनी होगी। अब हमें अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के खांचे से बाहर निकलना होगा। अंत में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से प्रश्न किया कि अगर सुरक्षा परिषद में ही आतंकवादियों की सूची पर मतभेद उभरकर सामने आएगा तो आतंकवाद के खिलाफ  हमारी प्रतिबद्धता किस हद तक रहेगी?

मलीहा ने कराई पाकिस्तान की फजीहत
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जबरदस्त हमले के बाद पाकिस्तान ने जवाब देने के लिए झूठ का सहारा लिया। जवाब देने के अपने अधिकार के तहत पाकिस्तान ने अपनी स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी को बुलाया। उन्होंने कश्मीर में कथित ज्यादतियों का दावा करते हुए एक तस्वीर दिखाई, जिसका भारत से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। छर्रों से घायल एक फिलिस्तीनी लड़की की तस्वीर दिखाते हुए लोधी ने कहा था कि यह भारत के लोकतंत्र की असली तस्वीर है। इस तस्वीर में एक लड़की का चेहरा बुरी तरह घायल नजर आ रहा था। लोधी ने आरोप लगाया कि भारतीय सुरक्षाबलों की पैलेटगन की वजह से लड़की की यह हालत हुई थी। दरअसल, मलीहा लोधी जो तस्वीर लहरा रही थीं वह हीदी लिवाइन नाम की फोटो जर्नलिस्ट द्वारा खींची गई थी। उनकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, फोटो गाजा शहर के शिफा अस्पताल में 22 जुलाई, 2014 को ली गई थी। जानकारी के मुताबिक,  इस्रायल के हवाई हमले में एक परिवार के    कई लोग मारे गए। पीड़ित लड़की इस हमले में बच गई थी।

पाकिस्तानी समाचारपत्रों की सुर्खियां
पाकिस्तान द्वारा मलीहा के माध्यम से जो जवाब दिया गया, उससे उनकी पाकिस्तान में भी फजीहत हुई। पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के तीखे प्रहार का उत्तर यदि पाकिस्तानी विदेश विभाग या फिर विदेश मंत्री द्वारा दिया जाता तो उसका महत्व बढ़ जाता। समाचारपत्र का सुझाव था कि यदि श्रीमती स्वराज के आक्रामक प्रहार पर थोड़ी नरम प्रतिक्रिया दी जाती और उसमें कश्मीरी मुद्दे को जाहिर किया जाता तो ज्यादा ठीक रहता। यदि इस स्थिति से सही तरीके से नहीं निबटा गया तो आने वाले समय में पाकिस्तान को और अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना करना पड़ सकता है। आतंकियों को गुपचुप तरीके से राजनीति के रास्ते मुख्यधारा में जोड़ना एक खतरनाक उदाहरण है। संभव है यह आम पाकिस्तानियों की भावनाओं को शांत कर दे परंतु यह भविष्य में पाकिस्तानी हितों के लिए घातक भी सिद्ध होगा। शायद आज पाकिस्तान पर यह अंतरराष्टÑीय दबाव ही है जो वहां की सरकार ने हाफिज सईद के सियासी दल मिल्ली मुस्लिम लीग के पंजीकरण का विरोध करने का  फैसला लिया है। पाकिस्तान की सलामती का रास्ता यही है कि वह अपने यहां आतंक को पनाह देना बंद करे अन्यथा दुनिया का सभ्य समाज उसकी हरकतों पर तो नजर रख ही रहा है।   

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Kanwar Yatra

कांवड़ मेला: 4 करोड़ से ज्यादा शिवभक्तों की उमड़ी भीड़, मेले के बाद भी नहीं थम रहा आस्था का सैलाब

आज का इतिहास

“तारीख बोल उठी”, जानिये 23 जुलाई का इतिहास: आज ही के दिन गूंजी थी “आकाशवाणी”

मौलाना छांगुर

भदोही: मुस्लिम पत्नी और ‘छांगुर गैंग’ ने इस्लाम कबूलने का बनाया दबाव, चाकू की नोंक पर पढ़वाया कलमा

बाल गंगाधर तिलक

लोकमान्य तिलक जयंती पर विशेष : स्वराज के संघर्ष ने बनाया ‘लोकमान्य’

मां जगरानी देवी और चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद की मां की दुखभरी कहानीः मूर्ति तक न लगने दी कांग्रेस ने

सुबह खाली पेट आंवला जूस पीने के फायदे

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Kanwar Yatra

कांवड़ मेला: 4 करोड़ से ज्यादा शिवभक्तों की उमड़ी भीड़, मेले के बाद भी नहीं थम रहा आस्था का सैलाब

आज का इतिहास

“तारीख बोल उठी”, जानिये 23 जुलाई का इतिहास: आज ही के दिन गूंजी थी “आकाशवाणी”

मौलाना छांगुर

भदोही: मुस्लिम पत्नी और ‘छांगुर गैंग’ ने इस्लाम कबूलने का बनाया दबाव, चाकू की नोंक पर पढ़वाया कलमा

बाल गंगाधर तिलक

लोकमान्य तिलक जयंती पर विशेष : स्वराज के संघर्ष ने बनाया ‘लोकमान्य’

मां जगरानी देवी और चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद की मां की दुखभरी कहानीः मूर्ति तक न लगने दी कांग्रेस ने

सुबह खाली पेट आंवला जूस पीने के फायदे

स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक द्वारा घोषित शोध छात्रवृत्तियाँ 2025

सावरकर स्मारक की पहल : क्रांतिकारी आंदोलन पर रिसर्च के लिए 3 शोधकर्ताओं को मिली प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति

अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू की गिरफ्तारी- कन्वर्जन सिंडिकेट का मास्टरमाइंड

हिंदू से ईसाई बना, फिर मुस्लिम बनकर करने लगा इस्लामिक कन्वर्जन, ‘रहमान चाचा’ का खुला काला चिट्ठा

सीरिया में ड्रूज समुदाय के हजारों लोगों की हत्या की गई है।

सीरिया में हजारों ड्रूज़ लोगों की हत्याएं: मगर क्यों? विमर्श में इतना सन्नाटा क्यों?

शशि थरूर कांग्रेस के लिए जरूरी या मजबूरी..?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies