|
कैलाश सत्यार्थी दुनियाभर में बच्चों के प्रति बढत्Þो अपराध और शोषण के खिलाफ जनजागरण अभियान छेड़े हुए हैं। इस दृष्टि से भारत यात्रा का आयोजन नए संदर्भों में महत्वपूर्ण है
पाञ्चजन्य ब्यूरो
बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) के खिलाफ जन-जागरूकता लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी देशव्यापी भारत यात्रा पर निकले हैं। 11 सितंबर, 2017 को कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द शिला स्मारक से शुरू हुई इस यात्रा का समापन 16 अक्तूबर, 2017 को दिल्ली में होगा। बच्चों के सवाल को लेकर यह देश का सबसे बड़ा अभियान है। 22 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा 11,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। कन्याकुमारी से शुरू हुई मुख्य यात्रा के समानांतर छह और यात्राएं चलेंगी, जो बीच-बीच में मुख्य यात्रा में मिलती जाएंगी। ये समानांतर यात्राएं श्रीनगर, गुवाहाटी, चेन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता और अमदाबाद से शुरू होंगी। ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ के उद्देश्य से शुरू हुई इस यात्रा के जरिए एक करोड़ लोगों, खासकर युवाओं से सीधे संपर्क का लक्ष्य रखा गया है। इन लोगों को बाल हिंसा रोकने के लिए शपथ भी दिलाई जाएगी।
‘‘वर्तमान में समाज में अज्ञान, अभाव व अनाचार के कारण हम बालक आयु के समाज घटकों के जीवन में कई समस्याओं को सब देख रहे हैं। बालकों के प्रति अपने कर्तव्य, बालकों के लिए बनी व्यवस्थाएं तथा बालकों के लिए अनुकरण से उपयुक्त बनने वाली पुरानी पीढ़ी का उदाहरणस्वरूप आचरण, इन तीनों विषयों में राष्ट्रव्यापी जागरण की आवश्यकता है। हम सब के परिचित नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के द्वारा उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारत यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। वर्तमान आवश्यकता की पूर्ति करने वाले इस उपक्रम का स्वागत व समर्थन करते हुए मैं उपर्युक्त उद्देश्यों में यात्रा के संपूर्ण सफल होने की शुभकामना व विश्वास व्यक्त करता हूं।’’
-मोहनराव भागवत
सरसंघ चालक
‘‘मानव समाज के लिए बाल दुर्व्यापार एक भयंकर सुनियोजित अपराध है। यह अपराध मनुष्य के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। वैश्विक मानचित्र पर दक्षिण एशिया इस दुर्व्यापार के लिए सबसे संवेदनशील जोन है। लेकिन भारत सरकार इस अपराध को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा आयोजित भारत यात्रा बाल दुर्व्यापार और अन्य सामाजिक बुराइयों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। बाल दुर्व्यापार पर रोक लगाने के लिए जन-जागरूकता अभियान बहुत महत्वपूर्ण है। जन जागरूकता अभियान के जरिए लोगों को बाल दुर्व्यापार और असुरक्षित पलायन के खतरनाक पहलुओं को बारे में पता चल पाएगा। मैं इस प्रयास के लिए श्री सत्यार्थी को शुभकामना देता हूं और भारत यात्रा की सफलता की कामना करता हूं।’’
-नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री
हर घंटे आठ बच्चे लापता हो रहे हैं और दो के साथ बलात्कार हो रहा है। जब एक भी बच्चा खतरे में होता है तो भारत खतरे में होता है। भारत यात्रा का उद्देश्य भारत को हमारे बच्चों के लिए एक बार फिर से सुरक्षित राष्ट्र बनाना है। यह एक निर्णायक लड़ाई होगी। एक ऐसी लड़ाई जो भारतीय अंतरात्मा की नैतिकता को दोबारा से हासिल करेगी।
— कैलाश सत्यार्थी
भारत यात्रा बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ एक तीन वर्षीय अभियान की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य इसके प्रति जागरूकता फैलाना और इन मामलों की रिपोर्टिंग को बढ़ाना है। इसके साथ ही पीड़ित बच्चों की चिकित्सा और क्षतिपूर्ति के प्रति संस्थागत प्रक्रिया को और मजबूत बनाना भी इसका लक्ष्य है। वहीं अदालती सुनवाई के दौरान पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बाल यौन शोषण के मामलों में दोषियों को तय समय-सीमा में सजा दिलवाना भी अभियान के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है। भारत यात्रा के पहले चरण में दक्षिण भारत में जन जागरण अभियान चल रहा है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को पार कर यात्रा महाराष्ट्र का रुख करने वाली है। श्री सत्यार्थी के साथ यात्रा में करीब 250 लोग शामिल हैं। इनमें 50 से ज्यादा पीड़ित बच्चे हैं। यात्रा को अपार जनसमर्थन मिल रहा है। जगह-जगह बड़ी जनसभाएं हो रही हैं। स्थानीय स्कूल और कॉलेजों के छात्र रैली निकाल रहे हैं और सभाएं कर रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक भी हो रहे हैं।
कैलाश सत्यार्थी समाज में व्यापक परिवर्तन लाने वाले स्वामी विवेकानंद और स्वामी दयानंद से बहुत प्रभावित हैं। दोनों का उनके जीवन पर गहरा असर है। इसीलिए जब उन्होंने बच्चों के सवाल को लेकर भारत यात्रा की योजना बनाई तो इसका शुभारंभ कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक से ही करने की ठानी। दिन भी 11 सितंबर इसलिए चुना क्योंकि इस दिन स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो भाषण की वर्षगांठ होती है। विवेकानंद शिला स्मारक से यात्रा के शुभारंभ पर श्री सत्यार्थी ने भावुक होकर कहा, ‘‘कन्याकुमारी के लिए मेरे दिल में विशेष स्थान है। बाल मजदूरी की समाप्ति के लिए 1994 में की गई मेरी पिछली भारत यात्रा और 2001 की शिक्षा यात्रा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।’’ इस अवसर पर कन्याकुमारी से केंद्रीय वित्त और जहाजरानी राज्यमंत्री श्री पो. राधाकृष्णन भी मौजूद थे।
विवेकानंद शिला स्मारक से हरी झंडी दिखा कर रवाना की गई भारत यात्रा फुटबॉल ग्राउंड में आकर एक विशाल जनसभा में तब्दील हो गई, जिसमें 10,000 से ज्यादा स्कूली बच्चों, कॉलेज छात्रों और युवाओं ने हिस्सा लिया। जनसभा से पहले श्री सत्यार्थी समुद्रतट से हजारों बच्चों और युवाओं के साथ करीब एक किलोमीटर तक मार्च करते हुए फुटबॉल ग्राउंड पहुंचे थे। मंच पर श्री कैलाश सत्यार्थी और पो. राधाकृष्णन के अलावा हिंदू, मुस्लिम और ईसाई मत के पंथिक गुरु और समाज के प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे। भारत यात्रा के जरिए श्री सत्यार्थी बच्चों के सवाल पर विभिन्न पथों, संप्रदायों, विचारधाराओं और राजनीतिक दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। यात्रा में जगह-जगह पंथिक गुरुओं के अलावा जज, कानूनविद्, शिक्षाविद्, उद्योगपति, कॉर्पोरेट जगत के लोग, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री भी शामिल हो रहे हैं।
जनसभा का उद्घाटन यात्रा में शामिल उन पीड़ित बच्चों ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया, जो अब त्रासदी से उबर कर अपने जीवन को बेहतर बनाने में जुटे हैं। कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री लक्ष्मण और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार भी उपस्थित थे। भारत यात्रा को एबीवीपी और रा.स्व.संघ भी अपना समर्थन दे रहा है। इस अवसर पर श्री आलोक कुमार ने संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का संदेश भी पढ़ा। जबकि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक सेवानिवृत्त रियर एडमिरल श्री राहुल सहरावत ने लोगों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ कर सुनाया।
फुटबॉल ग्राउंड की जनसभा को संबोधित करते हुए श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘‘बच्चों के साथ बलात्कार और यौन शोषण जैसी अनैतिकता अब महामारी का रूप ले चुकी है। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। हमारी चुप्पी से बच्चों के खिलाफ और अधिक हिंसा हो रही है। हमें चुप्पी तोड़नी होगी। चुप्पी बनाकर रखना हिंसा को बढ़ावा देना है। अपराध को समर्थन देना है। इसलिए, यह भारत यात्रा बलात्कार, बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार के खिलाफ एक खुली जंग की शुरूआत है।’’
केंद्रीय वित्त एवं जहाजरानी राज्यमंत्री श्री पो. राधाकृष्णन ने कहा कि बच्चों के प्रति बढ़ती यौन हिंसा गंभीर चिंता का विषय है। इससे हम सब को मिलकर लड़ना होगा। कन्याकुमारी से सासंद के रूप में उन्होंने यात्रा का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘आज का दिन हम सभी के लिए बेहद खास है, क्योंकि बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए श्री सत्यार्थी ने कन्याकुमारी को चुना है। इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं।’’
बच्चों के सवाल को लेकर यह श्री सत्यार्थी की कोई पहली यात्रा नहीं है। इससे पहले भी वे ऐसी यात्राएं निकाल चुके हैं। सभी यात्राओं के परिणाम सुखद रहे और जनजागरूकता के साथ-साथ सरकारों पर बच्चों के हक में नीतियां बनाने का जन दबाव भी बना। बाल मजदूरी की समाप्ति के लिए लोक जागरण पैदा करने के साथ ही मजबूत कानूनों व सरकारी योजनाओं की मांगों को लेकर श्री सत्यार्थी ने 1998 में बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा का आयोजन किया था। इसके अलावा उन्होंने जो यात्राएं निकालीं, उसमें 1993 में बिहार से दिल्ली तक की पदयात्रा, 1994 में कन्याकुमारी से दिल्ली तक की भारत यात्रा, 1995 में कोलकाता से काठमांडू तक की शिक्षा यात्रा और 2007 में बाल व्यापार विरोधी दक्षिण एशियाई यात्रा आदि प्रमुख हैं। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने में कैलाश सत्यार्थी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। संविधान में संशोधन करके शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने की मांग करते हुए उन्होंने 2001 में कन्याकुमारी से कश्मीर होते हुए दिल्ली तक की 20 राज्यों की 15,000 किलोमीटर लंबी जन-जागरण यात्रा आयोजित की थी। यात्रा की समाप्ति पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रतिपक्ष के नेताओं ने श्री कैलाश सत्यार्थी से मुलाकत कर उनकी मांगों को गंभीरता से लिया। नतीजतन शिक्षा का अधिकार कानून अस्तित्व में आया। जबकि बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा के परिणामस्वरूप ही बाल अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने दुनियाभर में खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए ‘कनवेंशन-182’ पारित किया था। 1998 में छह माह तक चली बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा 80,000 किलोमीटर की दूरी तय कर 103 देशों से होकर गुजरी थी। तब इस यात्रा में भारत के राष्ट्रपति के.आर. नारायणन सहित 70 से अधिक देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, सम्राट-साम्राज्ञियों आदि ने भाग लिया था।
इस यात्रा में दुनियाभर के तकरीबन 72 लाख से अधिक बच्चों, महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लिया। यात्रा के परिणामस्वरूप दुनियाभर के कई देशों में बाल अधिकारों को लेकर न केवल जन-जागरूकता आई बल्कि बच्चों के हक में ढेर सारे कानून भी बने। उम्मीद है, वर्तमान भारत यात्रा से भी समाज की सोच बदलेगी और कानून में परिवर्तन
भी होगा। ल्ल
टिप्पणियाँ