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मुस्लिम वोट बैंक को पूरी तरह रिझाने में जुटीं ममता बनर्जी राज्य की हिन्दू जनता के प्रति खुलेआम दुर्भावना दर्शा रहीं। इससे हिन्दू समाज को कट्टरवादी तत्वों के हाथों निरंतर अपमानित होने को मजबूर
जिष्णु बसु
सन् उन्नीस सौ बाइस में बांग्ला क्रांतिकारी भाषा के महाकवि काजी नजरूल इस्लाम ने ‘धूमकेतु’ पत्रिका में दुर्गा पूजा के पहले एक कविता लिखी थी। कविता का शीर्षक था ‘आनंदमयीयर अगमो’। माता दुर्गा (आनंदमयी) के स्वागत में लिखी इस कविता के चलते एक भावुक माहौल बना। नजरूल ‘धूमकेतु’ के संपादक भी थे। इसी कविता के कारण ब्रिटिश सरकार ने तुरंत ‘धूमकेतु’ पत्रिका पर प्रतिबंध लगा दिया और वर्तमान बांग्लादेश के कुमीला से नजरूल को गिरफ्तार कर लिया। नजरूल ने कविता में मां दुर्गा की भारतमाता से तुलना की थी। नजरूल की कविता का भावार्थ था कि ‘आप कितने दिन मूर्ति के रूप में रहोगी मां? बर्बर, अत्याचारी असुर स्वर्ग पर कब्जा जमाने के लिए आतुर हैं। वे देवतुल्य व्यक्तियों पर अत्याचार कर रहे हैं।’’ इसके पहले बंकिमचंद्र चटर्जी ने आनंदमठ उपन्यास में वंदेमातरम् की रचना की थी। इसमें भी माता अंबा का सजीव रूप प्रस्तुत किया गया— ‘तुम ही दुर्गा दशप्रहरण धारिणीम्।’ स्वतंत्रता संग्राम की उर्वर भूमि बंगाल में शुरू से ही मां दुर्गा का पूरी भव्यता और उत्साह के साथ पूजन किया जाता रहा है। इसमें हिन्दू बंकिम और मुसलमान नजरूल में कोई भेद नहीं रहता।
लेकिन अब इसी बंगाल में मां दुर्गा के पूजन-विसर्जन पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। हाल ही में ममता सरकार ने फरमान सुनाया कि दुर्गा विसर्जन हिन्दू पंचांग के अनुसार नहीं किया जाएगा। पहले तो यह कहा गया कि दुर्गा विसर्जन 30 सितंबर को विजयादशमी के दिन शाम 6 बजे से पहले ही करना पड़ेगा, क्योंकि दूसरे दिन मुहर्रम है जिसकी तैयारियां उसी दिन शाम से शुरू हो जाएंगी। पिछले साल भी मुहर्रम विजयादशमी के अगले दिन था। तब भी ममता सरकार ने ऐसा ही आदेश दिया था। तब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता सरकार को फटकार लगाई थी। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा था,‘‘हिंदुओं के मौलिक अधिकार की कीमत पर अल्पसंख्यकों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता।’’ इस बार भी के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति निशिता मैत्रा ने इसी संदर्भ का संज्ञान लेते हुए टिप्पणी की,‘‘अगर मुंबई पुलिस गणेश चतुर्थी का विसर्जन और मुहर्रम एक साथ नियंत्रण कर सकती है तो कलकत्ता पुलिस क्यों नहीं?’’ ममता सरकार के आदेश को पलटते हुए न्यायालय ने 21 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि श्रद्धालु मोहर्रम के दिन भी दुर्गा पूजा और मूर्ति विसर्जन कर सकते हैं।
बंगाली समाज में दुर्गा पूजा के अनुष्ठानों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। लेकिन वर्तमान सरकार वोट बैंक के लालच में उस परंपरा को तहस-नहस करने में लगी हुई है।
महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार
जिस राज्य की मुख्यमंत्री महिला हो, मां दुर्गा लोगों की आस्था का केंद्र हों, उसी राज्य में हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं और ममता बनर्जी खामोश रहती हैं। पिछले कुछ सालों में राज्य में लगभग हर महीने महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं अनुसूचित एवं वंचित समाज से हैं। इस समाज की लड़कियों के साथ बलात्कार किया जाता है और जिन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए, वे छुट्टा घूमते नजर आते हैं। यह किसी एक जगह की घटना हो, ऐसा नहीं है। राज्य के लगभग हर जिले में यही हाल है। यकीकन वंचित समाज और जनजातीय समाज के लिए कानून हैं लेकिन मामलों को न्यायालय तक पहुंचने से पहले ही किसी न किसी प्रकार दवाब डालकर रफा-दफा करा दिया जाता है। यह बात गत 9 जुलाई की है, जब रायगंज के बस प्रतीक्षालय के पास जनजातीय समाज की चार लड़कियों का बलात्कार किया गया, जिसमें दो लड़कियां नाबालिग थीं। यह दुराचार ‘नाइटेंगल’ होटल में किया गया, जिसे तृणमूल के एक स्थानीय नेता संरक्षण प्राप्त है। होटल में कुछ गुंडों ने पहले लड़कियों को जबरदस्ती बुलाया और फिर बलात्कार किया। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि वही तृणमूल नेता ‘सेक्स रैकेट’ चलाता है, जिसमें उसके साथ कई तृणमूल पदाधिकारी और स्थानीय कार्यकर्ता शामिल हैं। मामले ने जब तूल पकड़ा तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। लेकिन इसके बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहे हंै और प्रशासन को ठेंगा दिखाते हंै। अब उत्तर दिनाजपुर आदिवासी समन्वय समिति (यूडीएएससी) उन लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रही है।
न्याय की आस
पिछले साल नादिया जिले के हंसखली गांव में दुर्गा पूजा के दौरान वंचित समाज की एक सत्रह वर्षीया पर मो. रज्जाक नाम के लड़के ने एसिड बल्ब से हमला किया था क्योंकि उसने उसके अशिष्ट प्रस्ताव को नकार दिया था। उस लड़की की कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में मौत हो गई। लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इससे अपराधियों की हिम्मत और बढ़ती जा रही है।
दक्षिण 24 परगना जिले में 2013 में ऐसी ही एक घटना घटी थी। गोसावा सुंदरवन की रहने वाली रूपा मंडल से, जो कि नाबालिग थी, तृणमूल समर्थित जिहादी तत्वों ने सामूहिक बलात्कार किया। मामला गोसावा पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ। लेकिन किसी भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया, उलटे वह उन्हें संरक्षण देती नजर आई। इसका परिणाम यह हुआ कि आरोपी लगातार पीड़ित परिवार को मामला वापस लेने की धमकी दे
रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ मातृशक्ति की जागरूकता हाल के दिनों में उल्लेखनीय रूप से सामने आई है। स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 125वीं वर्षगांठ का स्मरण करते हुए राज्य में अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। इनमें महिलाएं अत्याचारी ताकतों के खिलाफ लड़ने का आह्वान कर रही हैं। राज्य के प्रत्येक जिले में हजारों महिलाएं रैलियों में भाग ले रही हैं। इसी वर्ष भगिनी निवेदिता की भी 150वीं जयंती है। लेकिन तृणमूल के नेताओं को यह सब खटक रहा है। पिछले दिनों नादिया जिले के हरिन घाटा ब्लॉक में राष्ट्र सेविका समिति ने एक परिचर्य वर्ग का आयोजन किया था। कार्यक्रम जिले की कार्यवाहिका शोमा डे ने अपने एक आवास पर आयोजित किया था जिसे तृणमूल के गुंडों ने अपना निशाना बनाया। हरिनघाटा नगरपालिका के अध्यक्ष राजीव दलाल ने नशे की हालत में कार्यक्रम में आकर पहले तो व्यवस्था भंग की, फिर उसके साथियों ने हमला करना शुरू किया।
गुंडों ने इस दौरान कई महिलाओं से छेड़छाड़ की और शोमा डे के पिता संजीव की बेरहमी से पिटाई की। तृणमूल गुंडे यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने कार्यक्रम स्थल से सबको बाहर निकाल दिया। इस दौरान जिले के पुलिस अधीक्षक से जब राष्ट्र सेविका समिति की पदाधिकारियों ने बात की तो उन्होंने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया। बहरहाल ममता सरकार मुस्लिमों को खुश करने के लिए जिस राह चल रही है, वह राज्य और देश के लिए खतरनाक है। उनकी इस राजनीतिक चाल से जहां मुसलमानों और कट्टरपंथियों को शह मिल रही है वहीं प्रताड़ित हिन्दू समाज में रोष बढ़ रहा है। ल्ल
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