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''हमारे नीतिशास्त्र में बहुत कुछ है जो आज के कानून निर्माताओं का ज्ञानवर्धन कर सकता है।'' उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहीं। वे गत दिनों हैदराबाद में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के रजत जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समाज को चलाने के लिए कानून की आवश्यकता होती है। लेकिन हमें इस तरह के समाज का निर्माण करना है, जिसका नैतिक स्तर उच्च हो। यह तभी होगा जब शिक्षा में नैतिकता का समावेश होगा। हमारी न्याय व्यवस्था का अपना एक दायरा है और वह कानूनी ढांचे के अंतर्गत है लेकिन कई बार बहुत सी चीजें कानूनी तौर पर तो ठीक होती हैं लेकिन नैतिक रूप से ठीक नहीं होतीं। ल्ल प्रतिनिधि
भारतीय दर्शन का कराया साक्षात्कार
पिछले दिनों शिमला स्थित जिलाधिकारी कार्यालय के निकट स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो के धर्म सम्मेलन में दिये गए व्याख्यान के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विवेकानंद केंद्र और विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विहिप के प्रांत संगठन मंत्री श्री नीरज धनोरिया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व को धर्म के वास्तविक स्वरूप से अवगत करवाया। उनके विचारों ने विश्व के लोगों को न केवल आश्चर्यचकित किया बल्कि भारतीय दर्शन का साक्षात्कार कराया और बताया कि जैसा वे भारत के बारे में सोचते हैं, भारत उससे उलट है। अब वह समय आ गया है जब हम स्वामी विवेकानंद के आदशोंर् पर चलकर विश्व गुरु बन सकते हैं। ल्ल(विसंके, शिमला)
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