|
क्रिया, तमाम खेल और अभ्यास, इस पूरे कार्यक्रम का अनुभव बहुत बढि़या रहा। यह जीवन की उन सबसे अच्छी चीजों में है जो मुझे मिलीं। इसके बाद मैंने कई लोगों से कहा कि आपको यह करना चाहिए। यहां तक कि अपने बॉस को भी बोला कि जब भी आपको समय मिले, आप इस क्रिया को करें। जीवन में प्रसन्नता के इस कार्यक्रम में हिस्सा लें।
पूरा कार्यक्रम तकनीक के माध्यम से था। गुरुजी स्क्रीन पर हमारे सामने थे। पर वह भाषण से काफी अलग था। हमें अनुभूति हो रही थी कि श्रीश्री हमारे सामने हैं और हम उनसे अपना जुड़ाव बना पा रहे थे। जब वे बोल रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि वे हमारे सामने से हमें ही संबोधित कर रहे हैं। अगर हम नोएडा के बजाय बेंगलुरु वाले स्टेडियम में भी होते तो गुरुजी से काफी दूर बैठे होते और पास में लगे स्क्रीन पर ही उन्हें देख पाते। हालांकि सामने गुरुजी को देखने का अनुभव बिल्कुल ही अनोखा होता है, लेकिन इस कार्यक्रम के माध्यम से भी हम काफी हद तक उनकी मौजूदगी अनुभव कर पा रहे थे।
— कपिल यादव, कंपनी सेक्रेटरी, (हैप्पीनेस प्रोग्राम में प्रतिभागी)
टिप्पणियाँ