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चाहे सेकुलर नेता हों, पत्रकार हों या बुद्धिजीवी, इन सबने ‘लव जिहाद’, अभियानों को छिपाने का पाप किया है। अब जब सर्वोच्च न्यायालय ने लव जिहाद के एक मामले के संदर्भ में इसकी जांच राष्टÑीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) को करने को कहा है तो वे सब सेकुलर सकते में हैं। देश को, खासकर हिन्दुओं को यह पता होना चाहिए कि लव जिहाद एक सोची-समझी साजिश है, जिसका एकमात्र उद्देश्य है जनसांख्यिक परिवर्तन करना। इसे ‘दिल का मामला’ बताने वाले गलत साबित हो रहे हैं
ज्ञानेन्द्र बरतरिया
‘‘क्या आपको पता है, केरल में जन्म लेने वाले प्रति 100 बच्चों में से लगभग 42 बच्चे मुस्लिम होते हैं, जबकि राज्य में मुस्लिम जनसंख्या 26.56 प्रतिशत है। यहां मुसलमानों से दुगुनी से अधिक, 54.73 प्रतिशत जनसंख्या वाले हिन्दू समुदाय के भी लगभग 42 ही बच्चे जन्म लेते हैं। अगर जनसंख्या वृद्धि के यही आंकड़े बरकरार रहते हैं, तो केरल में मुस्लिम जनसंख्या में भारी वृद्धि होगी।’’
ये शब्द केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक टी.पी. सेनकुमार के हैं। कांग्रेस की केरल इकाई ने सेनकुमार के तर्क को यह कह कर रद्द कर दिया था कि ‘वे राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित हैं।’ शानदार तर्क है, आगे बहस की कोई गुंजाइश ही नहीं बची।
लेकिन कांग्रेस पार्टी के इस ‘महान’ तर्क के पूरे पांच साल पहले, उन्हीं के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने 25 जून, 2012 को राज्य विधानसभा को सूचित किया था कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2006 से 2,667 युवतियां इस्लाम में कन्वर्ट की जा चुकी हैं।
वापस बच्चों के जन्म वाली बात पर लौटें। राज्य में 26.56 प्रतिशत जनसंख्या वाले मुस्लिम समुदाय की युवतियां लगभग 42 प्रतिशत बच्चों को जन्म दे रही हैं। उधर राज्य में 54.73 प्रतिशत जनसंख्या वाले हिंदू समुदाय की युवतियां भी लगभग 42 प्रतिशत बच्चों को ही जन्म दे रही हैं। तीसरे, चौथे और पांचवें बच्चे को जन्म देने की दर भी हिन्दुओं की तुलना में मुसलमानों में क्रमश: चार गुना, 11 गुना और दस गुना ज्यादा है। माने जैसे कि केरल में, चौथे बच्चे को जन्म देने वाली माताओं में अगर एक हिन्दू हो, तो 11 मुस्लिम होती हैं। जनसांख्यिक आंकड़ों का नाजुक और पतनशील संतुलन। और कल्पना कीजिए, ऐसी स्थिति में ही, गर्भ धारण करने की आयु वाली कुछ हिन्दू युवतियां मुसलमान बन जाएं। फिर जनसंख्या के इस नाजुक और पतनशील संतुलन का क्या होगा?
‘लव जिहाद’ का यह एक पहलू है। यह जनसंख्या के संतुलन को पहले नाजुक, फिर पतनशील बनाने में और अंतत: एकतरफा कर देने में एक कारक होता है। 1971 की जनगणना में केरल में मुस्लिम जनसंख्या 19.5 प्रतिशत थी, जो 1981 की जनगणना में 22 प्रतिशत हो गई।
टी.पी. सेनकुमार की चिंता में यह कन्वर्जन पक्ष शामिल नहीं था। वे जनसंख्या के बदल रहे स्वरूप की बात कर रहे थे। लव जिहाद उसका सिर्फ एक पहलू है। अगर आप ब्रिटेन में बात करें, तो वहां इसी स्थिति को यौन जिहाद कहकर पुकारा जा रहा है। दरअसल, इसके निशाने पर स्कूल और कॉलेज जाने की उम्र वाली लड़कियां होती हैं, जो अपने शरीर में आ रहे हार्मोन परिवर्तनों के कारण ‘सच्चे प्यार’ का आसानी से शिकार हो जाती हैं।
पिनराई विजयन सरकार द्वारा पद से हटाए जाने (और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फिर पद पर रखे जाने) से पहले सेनकुमार ने डीजीपी की अपनी हैसियत से, लव जिहाद के दो मामलों की जांच की थी। जाहिर तौर पर, केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर।
केरल में पुलिस ने लव जिहाद से जुड़े मात्र 123 मामलों को दर्ज किया था। केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों को मिली सूचना के अनुसार देश भर में ऐसी 4,000 युवतियां थीं, जिन्हें लव जिहाद के तरीके से इस्लाम में कन्वर्ट किया गया था और फिर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों ने उन्हें जिहादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार केरल में प्रतिदिन 8 लड़कियां संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो रही हैं।
अक्तूबर, 2009 में कर्नाटक सरकार ने लव जिहाद का प्रतिकार करने का फैसला किया था, जो ‘एक गंभीर मामला’ नजर आ रहा था। इस घोषणा के एक सप्ताह बाद सरकार ने अपराध शाखा सीआईडी को स्थिति की इस दृष्टिकोण से जांच करने का आदेश दिया था कि क्या इन लड़कियों को कन्वर्ट करने के लिए कोई सुसंगठित प्रयास चल रहा है, और यदि हां, तो इसके लिए पैसों की व्यवस्था कौन कर रहा है। इसी प्रकार की जांच केरल सरकार ने भी करवाई थी। 2006 से 2009 के बीच, महज तीन वर्ष में केरल में घटी लव जिहाद की घटनाओं का जिलेवार विवरण चौंकाने वाला है। (देखें बॉक्स)।
कन्वर्ट की गई 2,876 लड़कियों में से 705 के मामले ही दर्ज किए गए। ऐसा ही एक लव जिहादी था कासरगोड का जहांगीर रज्जाक जो पकड़े जाने तक 42 लड़कियों को अपने जाल में फंसा चुका था। उसका संबंध सेक्स रैकेट्स से भी था और आतंकवादी संगठनों से भी। पत्तनमथिट्टा के एक ‘शाहजहां’ ने मात्र एक पंचायत क्षेत्र- मल्लपुझा से छह लड़कियों को अपने जाल में फंसाया था।
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘लव जिहाद- थ्रेट टू हिन्दू धर्म एंड रेमेडीज’(लेखक- रमेश हनुमंत शिन्दे और मोहना अज्जु गौडा) में विस्तार से बताया गया है कि लव जिहाद किस प्रकार काम करता है। पुस्तिका के आरंभ में ही कहा गया है कि भारत में सक्रिय मुस्लिम संगठनों को लव जिहाद का अभियान चलाने के लिए खाड़ी देशों से भारी मात्रा में धन भेजा जाता है। गैर-मुस्लिम लड़कियों को बहला-फुसलाकर और धमकाकर इस्लाम कबूल करवाने के लिए भारी इनाम दिया जाता है।
लव जिहाद का अभियान चलाने में शामिल मुस्लिम युवकों को ‘इस्लाम की खिदमत’ करने के ऐवज में रोजाना 200 रुपए जेब खर्च दिया जाता है। महाराष्ट्र की संभाजीनगर और औरंगाबाद के प्रभावशाली उलेमा गैर-मुस्लिम लड़कियों को लव जिहाद में फंसाने और इस्लाम में कन्वर्ट कराने के लिए नकद इनाम देने का फतवा जारी कर चुके हैं। जेब खर्च 200 रुपए रोजाना और काम हो जाने पर एक लाख से लेकर दो लाख रुपए। मुस्लिम यूथ फोरम नाम के एक मुस्लिम संगठन ने तो हिन्दू लड़कियों को श्रेणीबद्ध भी किया है कि किस श्रेणी की लड़की को फंसा लेने पर कितना इनाम दिया जाएगा। इस श्रेणीकरण और संबंधित माल-ए-लव जिहाद का विवरण साथ में दिए गए बॉक्स में देख सकते हैं।
बॉक्स को देखकर यह अनुमान लगाना सरल है कि किस जाति की लड़की को फंसाना कितना सरल या कठिन माना गया है। लेकिन गहराई से देखें, तो इसका एक और पहलू सामने आता है। सबसे ज्यादा इनाम उन क्षेत्रों में लव जिहाद चलाकर कन्वर्जन करवाने पर रखा गया है, जिनकी सीमा पाकिस्तान से मिलती है।
सऊदी अरब में एक संगठन चलता है- इंडियन फ्रैटरनिटी फोरम। इस कथित संगठन ने आजतक वहां जानवरों जैसा जीवन रहे भारतीय मजदूरों की भलाई के लिए कोई काम किया हो, ऐसा कोई दावा भी कोई नहीं करता। लेकिन यह संगठन भारत में लव जिहाद अभियान के लिए चंदा एकत्र करके भारत भेजने का काम जरूर करता है। लड़कियों की कच्ची उम्र, भावनात्मक तौर पर कच्ची समझ, आर्थिक प्रलोभन और खास तौर पर महंगे मोबाइल और कपड़े सरीखे ‘उपहारों’ का ‘एहसान’ उन्हें आंखें खोलकर हकीकत को समझने से बचा लेता है। कई लड़कियों को शराब और तंबाकू की लत डाली गई और फिर इस ‘अपराध बोध’ के सहारे उनका शोषण तेज किया गया। इन सबसे ये हिन्दू लड़कियां इतनी मजबूर बना दी गर्इं कि वे सब कुछ जानते समझते हुए भी दूसरी हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के झांसे में आने के लिए उकसाने का काम करने लगीं।
जानकारों का कहना है कि महंगे मोबाइल फोन और नई मोटरसाइकिलें इस लव जिहाद अभियान में सबसे अहम हथियार साबित हुई हैं। पुस्तक के अनुसार मुस्लिम युवक मुस्लिम मोबाइल फोन विक्रेताओं से गैर-मुस्लिम लड़कियों के नंबर प्राप्त कर लेते हैं। नंबर मिलने के बाद उस पर संदेश भेजना शुरू हो जाता है। इसके अगले चरण में मुस्लिम लड़कियां उस निशाना बनाई गई हिन्दू लड़की को संदेश भेजने वाले मुसलमान से मिलवाने का काम करती हैं। इन आरंभिक चरणों में मुस्लिम युवक स्वयं का हिन्दू नामों से परिचय करवाते हैं, और हिन्दू तौर-तरीके अपनाने का स्वांग करते हैं। मलयालम दैनिक जन्मभूमि की संपादक सुश्री लीला मेनन ने लव जिहाद के जाल में फंसकर अंतत: आत्महत्या करने वाली लड़कियों के घरों का दौरा करते हुए इस पहलू पर गौर किया इन सभी मामलों में लड़कियों के पास मंहगे मोबाइल फोन थे। लीला मेनन ने केरल भर में मंहगे मोबाइल फोनों को लव जिहाद का सबसे अहम औजार करार दिया है।
लव जिहाद का शिकार न केवल केरल है, न केवल भारत और न केवल हिन्दू लड़कियां। पाकिस्तानी आवारा लड़कों से शुरू हुए इस जहर को विश्व के हर सभ्य देश में सभ्य समुदायों तक फैलाया जा चुका है। केरल में आर्चबिशप काउंसिल ने ईसाई लड़कियों को मुसलमान बनाने की कोशिशों को टालने के लिए बाकायदा दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं। अब सोशल वेबसाइट्स और वैवाहिक वेबसाइट्स का इस्तेमाल भी शिकार ढूंढने में किया जा रहा है।
समस्या सिर्फ शादी करने, कन्वर्ट कराने और जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने की नहीं है। समस्या के दो पहलू और हैं। एक यह कि इन कन्वर्टेड लड़कियों के समानता के वे सारे अधिकार समाप्त हो जाते हैं, जो हिन्दू रहते हुए उन्हें उपलब्ध थे। भले ही कन्वर्जन कथित तौर पर सिर्फ ‘निकाह’ के लिए करवाया जा रहा हो, भले ही इसके लिए लड़की ने रजामंदी जताई हो, सच यह है कि उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं होती कि उसके किस अधिकार की क्या हैसियत रह जानी है। और दूसरे यह कि इसके बाद इन कन्वर्टेड लड़कियों का इस्तेमाल या बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री के तौर पर या आतंकवाद में किया जाता है। इससे आतंकवादी संगठनों को अपने मूल कैडर में से किसी आत्मघाती को भी खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है, और वह अपनी ताकत में जरा भी कमी लाए बिना लड़ाई जारी रख लेता है।
इसमें ‘निकाह’ सबसे अहम कड़ी है। अंतर पांथिक शादी होती है, हो सकती है। लेकिन उसके लिए भिन्न तरीके हैं। शादी रजिस्ट्रेशन से भी हो सकती है, जिसमें कन्वर्जन जरूरी नहीं होता है। लेकिन लव जिहाद निकाह पर जोर देता है। अब, रोमन कैथोलिक पंथ की ही तरह, निकाह भी सिर्फ शरियत के मुताबिक और सिर्फ तब हो सकता है, जब लड़का और लड़की दोनों मुसलमान हों। इसे लव जिहाद की शिकार हिन्दू लड़की सिर्फ मुस्लिम रीति-रिवाजों के तहत हुई शादी समझती रहती है, और इसके लिए जैसे ही सहमति देती है, वैसे ही उसका जीवन शरीयत कानूनों के तहत आ जाता है, जिसके बारे में उसे कम से कम तब जरा भी पता नहीं होता है। यह बात तो उसे शादी के भी काफी बाद में पता चलती है कि जिसे वह अपना प्रेमी समझ रही थी, वह पहले से कितनी बार शादी-शुदा है और पहले से उसके कितने बच्चे हैं। लड़की को कन्वर्ट कराने के लिए रचे गए यह सारे प्रपंच लव जिहाद का सारा कच्चा चिट्ठा खोलने के लिए काफी हैं।
जानकारों की राय में सारा कच्चा चिट्ठा अपने आप में जरा भी गैर इस्लामी नहीं है। जानकारों का कहना है कि कुरान शरीफ में अल-तकिया का सिद्धांत है, जिसमें मुसलमानों को जरूरत पड़ने पर काफिरों को मूर्ख बनाने और धोखा देने की और अपना मजहब उजागर न करने की अनुमति दी गई है। मुस्लिम लड़के, लव जिहाद के दौरान इसी अल-तकिया सिद्धांत के तहत मंदिर भी चले जाते हैं, हाथ में कलावा भी बांध लेते हैं, तिलक लगा लेते हैं, और प्रसाद भी खा लेते हैं। इनसे इनकार सिर्फ निकाह के चंद रात बाद किया जाता है।
केरल की तरह यूरोप में भी लव जिहाद का अभियान बहुत संगठित ढंग से चल रहा है। यूरोप में वहां की स्थानीय निवासी, कम उम्र की लड़कियों के शोषण के कुछ बहुत चर्चित रहे मामले रहे हैं।
यह तथ्य कि इन सारे ही कांडों में लगभग शत प्रतिशत पाकिस्तानी लड़के शामिल थे, इस संदेह को जन्म देता है कि क्या कोई व्यक्ति या संगठन इस पूरे अभियान का संचालन कर रहा था ? अगर ऐसा नहीं था, तो यह कैसे संभव है कि राह चलते चंद आवारा लड़कों को मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाने, मुस्लिम कट्टरता बढ़ाने, स्थानीय जनसंख्या से टकराव मोल लेने और यूरोप में आतंकवाद के लिए लोग तैयार करने की बात सूझ गई हो?
मलयाला मनोरमा केरल का एक प्रतिष्ठित प्रकाशन है। 2012 के 31 अगस्त के मलयालाा मनोरमा के अंक में एक विस्तृत रपट प्रकाशित हुई, जिसमें बताया गया कि किस प्रकार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी गिरोह लव जिहाद का प्रयोग भारत में भी आतंकवादी ढांचा खड़ा करने में कर रहे हैं। रपट में साफ कहा गया है कि यह गिरोह गैर-मुस्लिम समुदायों की कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियों को अपने कार्यक्रमों में चारे की तरह इस्तेमाल करने की योजना बनाता है, उनकी मदद करता है और उसके लिए पैसों की व्यवस्था करता है। रपट ने इन कन्वर्टेड लड़कियों को ‘लव बम’ करार दिया है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जिस लव जिहाद की जांच के आदेश दिए हैं, क्या वह जांच इस प्रकाशित सार्वजनिक रपट का
संज्ञान लेगी?
‘लव बम’ तैयार करने की प्रक्रिया ‘लव जिहाद’ से थोड़ी भिन्न है। मलयालम मनोरमा की रपट के अनुसार आतंकवादी संगठन केरल के मुस्लिम लड़कों को कॉलेज की लड़कियां फंसाने के लिए नौकरी पर रखते हैं। इसके लिए सुंदर नाक-नक्श वाले लड़के चुने जाते हैं और फिर उन्हें कारें, मोटरसाइकिलें, सबसे महंगे कपड़े और मोबाइल खरीदने के लिए पैसे दिए जाते हैं और साथ ही ढेर सा पैसा नकद दिया जाता है। उनका काम होता है, अपना शिकार तलाशना, उसे फंसाना, और विदेश में भव्य जीवन जीने के लिए घर छोड़कर भागने के लिए प्रेरित करना।
कई दिनों तक प्रेम का नाटक चलाने के बाद, जब लड़की को लड़के पर भरोसा हो जाता है, तब वह घर से भाग निकलती है। इसके बाद एक नोटरी वकील के सामने ‘शादी’ का ‘रजिस्ट्रेशन’ करवाया जाता है, और फिर लड़की को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। लड़की को समझा दिया जाता है कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि उसके माता-पिता कहीं उसे खोज न लें। लड़की को भारी मुस्लिम घनत्व वाले इलाकों में रखा जाता है। बाहर की दुनिया से उसका कोई संपर्क नहीं होने दिया जाता है, और इस दौरान आतंकवाद, जिहाद और इस्लाम की जीत के पक्ष में तमाम वीडियो दिखाकर उसका ब्रेनवॉश किया जाता है। हालांकि लड़कियों के गायब होने की तमाम पुलिस रपटें इस संबंध में थीं, जिन पर पुलिस ने लड़की के बालिग होने का हवाला देकर कभी कोई कार्रवाई
नहीं की।
याद कीजिए एक छोटा सा तथ्य-‘सरकारी आंकड़ों के अनुसार केरल में प्रतिदिन 8 लड़कियां संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो रही हैं।’
आज हालत यह है कि, सेकुलर दलों की शह पर कट्टरवादी मजहबी तत्वों के हौसले बढ़े दिखते हैं। केरल के अलावा भारत के अन्य प्रदेशों में भी अनेक गुट सक्रिय हैं जो हिन्दू लड़कियों के शिक्षा संस्थानों के इर्द-गिर्द अपने गुर्गे तैनात करके उन्हें अपने जाल में फांसने के लिए छोड़े रखते हैं। यही वक्त है जब ऐसे तत्वों के प्रति सावधान रहते हुए उनके मंसूबों को समझा जाए और समाज के हित में एकजुट होकर इस चलन का विरोध किया जाए। ल्ल
सर्वोच्च न्यायालय का दखल
केरल में लव जिहाद के तेजी से बढ़ते मामलों पर संज्ञान लेते हुए गत 16 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने राष्टÑीय जांच एजेंसी (एनआईए) को लव जिहाद की तहकीकात करने के आदेश दिए हैं। इस जांच की निगरानी के लिए न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. रविन्द्रन को नियुक्त किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कदम एनआईए के उस खुलासे के बाद उठाया है, जिसमें कहा गया था कि हिन्दू लड़कियों को कन्वर्ट करके मुस्लिम युवकों से उनकी शादी कराए जाने का एक चलन देखने में आया है। इस संदर्भ में केरल पुलिस को एन.आई.ए. को सभी प्रकार की सहायता देने को कहा गया है।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब केरल के सफीनजहां के वकील द्वारा इस संबंध में एनआईए की पड़ताल के विरोध को सर्वोच्च न्यायालय ने गंभीरता से संज्ञान में
लिया था।
जहां ने दिसंबर, 2016 में एक हिंदू युवती से निकाह किया था। उसके निकाह को केरल उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि यह देश की महिलाओं की स्वतंत्रता का अपमान है। उच्च न्यायालय ने इसे लव जिहाद की मिसाल बताते हुए राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की पड़ताल करने को कहा था।
2006 से 2009 के बीच केरल में घटीं लव जिहाद की घटनाएं
क्र. जिले का नाम घटनाओं दर्ज किए मुक्त कराई गईं
की संख्या गए मामले लड़कियों की संख्या
1 तिरुअनंतपुरम 216 26 6
2 कोल्लम 98 34 7
3 अलपुझा 78 22 6
4 पत्तनमथिट्टा 87 36 11
5 इडुक्की 156 18 9
6 कोट्टायम 116 46 13
7 एर्नाकुलम 228 52 26
8 त्रिशूर 102 41 19
9 पलक्कड़ 111 19 9
10 मल्लपुरम 412 88 31
11 कोझिकोड 364 92 29
12 कन्नूर 312 106 27
13 कासरगोड 586 123 68
झांसे में उलझाओ पैसा पाओ
जाति/ क्षेत्र इनाम
सिख लड़की रु. 7,00000
पंजाबी हिन्दू लड़की रु. 6,00000
गुजराती ब्राह्मण लड़की रु. 6,00000
ब्राह्मण लड़की रु. 5,00000
क्षत्रिय लड़की रु. 4,50,000
कच्छ की गुजराती लड़की रु. 3,00000
जैन/मारवाड़ी लड़की रु. 3,00000
पिछड़ी जाति की/ वनवासी रु. 2,00000
बौद्ध लड़की रु. 1,50,000
केरल में जन्म लेने वाले प्रति 100 बच्चों में से लगभग 42 बच्चे मुस्लिम होते हैं, जबकि राज्य में मुस्लिम जनसंख्या 26.56 प्रतिशत है। राज्य में मुसलमानों से दुगुनी से अधिक, 54.73 प्रतिशत जनसंख्या वाले हिन्दू समुदाय के भी लगभग 42 ही बच्चे जन्म लेते हैं। अगर जनसंख्या वृद्धि के यही आंकड़े बरकरार रहते हैं, तो केरल में मुस्लिम जनसंख्या में भारी वृद्धि होगी।
— टी.पी. सेनकुमार, पूर्व पुलिस महानिदेशक, केरल
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