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यूरोप और अमेरिका ही नहीं, कनाडा में भी ईसाई आबादी का प्रतिशत तेजी से गिरता जा रहा है। युवा चर्च से दूरी बना रहे हैं। कैथोलिकों की संख्या में गिरावट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। सर्वेक्षण संस्थाएं हतप्रभ हैं
मोरेश्वर जोशी
कनाडा में पिछले चार दशक में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक समुदायों का अनुपात तेजी से कम हो रहा था, कैथोलिक 47 प्रतिशत से 39 प्रतिशत और प्रोटेस्टेंट 41 प्रतिशत से 27 प्रतिशत पर आए थे। उसी अनुपात में कनाडा में अन्य मतों के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। 1881 में जहां उनका प्रतिशत 4 था वहीं 2011 में यह 11 हो गया था। हालांकि किसी भी मत से असंबंधित लोगों की संख्या में जो वृद्धि हुई है, वह महत्वपूर्ण है। 1971 से 2011 के दौरान ऐसे लोगों की संख्या 4 प्रतिशत से 24 प्रतिशत तक गई थी। चूंकि कनाडा अमेरिका महाद्वीप में अमेरिका के बाद सबसे बड़ा देश है, इसलिए उस देश की हर बात का कनाडा पर एक असर होता है।
पिछले कुछ दिनों में कनाडा में घटित घटनाएं ‘ईसाइयत से दूर होने की बाढ़’ के संबंध में महत्वपूर्ण हैं। टोरंटो शहर में लोगों के दबाव के कारण ईसाई संगीत महोत्सव पर पाबंदी लगानी पड़ी। वहां के रायलसन विश्वविद्यालय में ईसाई बच्चों को तरजीह देने के मामने में प्रो. लाइफ क्लब ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उसे रोका। कनाडा की ट्रिनिटी वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के कान्वेंट पर ओंटारियो सुपीरयर न्यायालय ने आदेश देकर बंधन लगाए। ‘क्रिश्चियन वीक’ साप्ताहिक में इस विषय में लिखते हुए श्रीमती टेरेसा मायर्क्रेनॉल्ड कहती हैं, ‘उक्त घटनाएं केवल प्रातिनिधिक हैं। इस तरह की घटनाएं पग-पग पर हो रही हैं।’ आज भी वहां की सरकार, प्रमुख संस्थाएं और संचार माध्यम ईसाइयत के पक्ष में हैं। लेकिन इससे सचाई लंबे समय तक छुपी नहीं रहेगी। कनाडा के ईसाई चर्च के एक पदाधिकारी डॉन रुदरफोर्ड कहते हैं,‘‘इस तरह की घटनाएं भूचाल की तरह घट रही हंै। हैरानी की बात है कि इन घटनाओं से हमारी पीढ़ी अनजान है।’’ इसमें ध्यान देने लायक बात यह है कि रुदरफोर्ड ब्रिटिश कोलंबिया के विक्टोरिया इलाके में रहते हंै, जो वहां का एक महत्वपूर्ण शहर माना जाता है। रुदरफोर्ड का अगला निरीक्षण यह है कि वर्ष 1950 में कनाडा में चर्च प्रार्थना में नियमित रूप से भाग लेने वालों की संख्या 70 प्रतिशत थी जो अब 15 प्रतिशत है। पहले ईसाई मत की शिक्षा स्थान-स्थान पर महसूस होती थी। लेकिन आज हालत यह है कि यह ईसाइयों की तादाद बेहद घट गई है।
यूरोप, उत्तरी अमेरिका और आॅस्ट्रेलिया में 2011 में औसतन 25 प्रतिशत से कुछ कम लोगों ने ईसाई मत छोड़कर खुद को नास्तिक घोषित किया था। लेकिन बाद में लोगों के तेजी से ईसाइयत से पलायन का माहौल बना। इसलिए कुछ स्थानों में वे अल्पसंख्यक हैं, लेकिन कुछ स्थानों में उनकी बराबर की स्थिति है। इसमें स्मरणीय मुद्दा यह है कि सुनामी, ‘सीस्मिक शिफ्ट’ जैसे शब्द वहां की ईसाई पत्रिकाओं और प्रमुख दैनिकों ने प्रयुक्त किए हैं। कनाडा में नेशनल हाउसहोल्ड सर्वे नामक संस्था के सर्वेक्षण में यह बात उभरी थी। हालांकि, वहां के एक मिशनरी प्रचारक स्टीफन बेदर्ड का मत अलग है। उनका कहना है कि इस सारे मामले का आरंभ अमेरिका में 9/11 की आतंकी हमले के बाद हुआ है। फादर स्टिफन बेदर्ड कहते हैं कि उसके बाद लोगों की धारणा बनी कि पंथ खतरनाक होता है।
इस बारे में न्यायालय में बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं। वहां के सामान्य जीवन में भी ईसाई मत को लेकर आलोचनात्मक एवं शत्रुता की भावना वाली घटनाएं बढ़ी हंै। इसलिए हालात और बिगड़ रहे हंै। कनाडा में ईसाइयत में हो रही इस गिरावट के बारे में दुनिया की अग्रणी सर्वेक्षण अध्ययन संस्था ‘पियू’ की रिपोर्ट में काफी कुछ मिलता है। कनाडा के राष्टÑगीत पर गौर करें तो उसमें कहा गया है कि ‘‘हम अपने देश को संपन्न रखने के लिए एक हाथ में सलीब और एक हाथ में तलवार लेकर खड़े हैं।’’ यह राष्ट्रगान उस देश में कई दशकों से गाया जा रहा है, फिर भी आज स्थिति उलट है। वहां ईसाइयत में उतार आया है, ऐसा पियू ने इस विषय पर लिखते हुए कहा है। यह वाक्य कनाडा के लिहाज से जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत की दृष्टि से और कई सदियोंं तक यूरोपीय देशों के अधीन रहे 150 देशों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
पिछले 500 वर्षों का दुनिया का इतिहास बताता है कि यूरोपीय मिशनरी एक हाथ में ईसाई प्रचार के लिए सलीब और दूसरे हाथ में तलवार लेकर केवल कनाडा में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में गए। वहां जाकर उन्होंने क्या-क्या किया, यह स्पष्ट है। गोवा में कन्वर्जन के लिए इन्क्विजीशन्स किए गए। यानी ईसाइयत को स्वीकार न करने वाले लोगों को सार्वजनिक रूप से क्रूरता के साथ मारना। ब्रिटेन के राष्ट्रमंडल कहे जाने वाले गुट में आज 72 देशों का समावेश है। इसमें भारतीय उपमहाद्वीप, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और आॅस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश शामिल हंै। इसमें ब्राजील, अफ्रीका के पांच-छह मध्यम आकार वाले देश भी शामिल हैं। स्पेन के साम्राज्य में मुख्य रूप से दो तिहाई अमेरिका था। फ्रेंच साम्राज्य में मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देश, उत्तरी अमेरिका के कुछ देश, मैडागास्कर और दक्षिण पूर्व के कुछ देशों सहित एशिया के कुछ देशों का समावेश था। इतालवी साम्राज्य में अफ्रीकी देश अधिक थे। हाथों में तलवार लेकर 300 से 500 साल तक यहां की अर्थव्यवस्था में कितनी भयंकर लूट की गई होगी, उसका अनुमान लगाया जा सकता है।
बहरहाल, पश्चिमी कनाडा के बड़े हिस्से में पंथ से असंबद्ध लोगों की संख्या 44 प्रतिशत तक जा चुकी है, वहीं अटलांटिक कनाडा में यही संख्या 16 प्रतिशत है। अमेरिका में यह संख्या अपेक्षाकृत कम है। कनाडा में चर्च से दूरी बनाने वालों में बड़ी संख्या में युवा हैं।
अमेरिका, यूरोप, आॅस्ट्रेलिया के अलावा दुनिया के बाकी हिस्सों में ईसाई मिशनरी अधिक आक्रामक हैं। वे वहां कन्वर्जन तो कर ही रहे हैं, साथ ही वहां की आतंकवादी कार्रवाइयों को नियंत्रित करना, राजनीति में प्रभाव गुट और दबाव गुट बनाना आदि पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ल्ल
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