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गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने नई दिल्ली के प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में केरल में आएदिन हो रही संघ कार्यकर्ताओं की हत्या पर दुख जताया। दरअसल पिछले दिनों केरल में कुछ कम्युनिस्ट गुंडों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बस्ती कार्यवाह एस़ एल़ राजेश (34) की निर्मम हत्याकर दी थी। स्व.राजेश तिरुवनंतपुरम के निकट एडवाकोड के बस्ती कार्यवाह थे। पिछले 12 माह में यह संघ के 13वें कार्यकर्ता की हत्या है। श्री होसबाले ने कहा कि माकपा की हत्या की राजनीति का लंबा इतिहास है। वर्ष 1969 में पहली बार केरल में संघ के कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी। जब मार्क्सवादी नेताओं को लगा कि राष्ट्रीयता से परिपूर्ण इस संगठन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, तब से अब तक लगभग 300 स्वयंसेवकों की माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा हत्या की जा चुकी हैं। कम्युनिस्टों के बीच इसे 'कन्नूर मॉडल' का नाम दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आपातकाल (1975-77) के बाद जब कम्युनिस्ट कार्यकर्ता बड़ी संख्या में संघ की ओर आ रहे थे, उस समय इन हत्या में कई गुना वृद्धि हुई।
इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंसा और हत्या का यह दौर केवल संघ बनाम माकपा नहीं है, जैसा कि कई बुद्धिजीवियों ने प्रदर्शित करने का प्रयास किया है, बल्कि यह संघर्ष माकपा बनाम सभी अन्य है। जो कोई भी माकपा के अत्याचारों और अन्याय के खिलाफ खड़ा होने का प्रयास करता है, फिर भले ही वह माकपा का कार्यकर्ता क्यों न हो, उसे हिंसा का शिकार होना पड़ता है। संघ के खिलाफ इतनी हिंसा होने के बाद भी हमने हमेशा बातचीत से मामला सुलझाने का प्रयास किया, हम अब तक तीन बार ऐसा प्रयास कर चुके हैं। हर बार इसकी प्रतिक्रिया में या तो किसी स्वयंसेवक की निर्मम हत्या कर दी जाती है या हमारा उपहास किया उड़ाया है।
दुख की बात यह है कि केरल पुलिस भी मार्क्सवादी यूनियन की तरह काम करती है। ऐसे किसी भी मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करने दी जा रही है। केरल में कम्युनिस्टों के प्रभुत्व के मूल में 'पार्टी गांव' हैं। ये वे गांव हैं जहां माकपा का एकछत्र आधिपत्य है। कोई अन्य राजनीतिक दल यहां अपनी कोई गतिविधि नहीं चला सकता है यहां तक कि चुनावों में प्रचार करना भी संभव नहीं हो पाता। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन स्वयं कन्नूर से हैं तथा उन पर राजनीतिक हत्याओं का आरोप है। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने राज्य में कमान संभाली है, तब से यह हिंसक राजनीति चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई है। केरल में माकपा के राज्य सचिव के़ बालाकृष्णन भी कन्नूर से हैं और ऐसे आपराधिक तत्वों को प्रश्रय दे रहे हैं जो कन्नूर से बाहर निकलकर तिरुवनंतपुरम में जा पहुंचे हैं और अब पूरे राज्य में हिंसा फैला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे ऐसे स्वयंसेवकों पर हमला किया जा रहा है जो अत्यंत सामान्य परिवारों व पिछड़ी जातियों से हैं। यह केवल संघ पर ही हमला नहीं है बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन और देश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। सभी संबंधित पक्षों, केंद्र सरकार, मीडिया, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा राजनीतिक दलों को गंभीरता से इस विषय को लेना चाहिए और उपयुक्त कार्रवाई कर संविधान के दायरे में रहते हुए 'ईश्वर के देश' को असहिष्णु कम्युनिस्ट व इस्लामिक विचारधाराओं से बचाना चाहिए। -प्रतिनिधि
असहिष्णुता गंभीर चिंता का विषय
नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 9 अगस्त को केरल में एस.एल. राजेश की हत्या एवं उत्पीड़न के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, कलाकारों, दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय एवं अन्य क्षेत्रों से आने वाले सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया। इस दौरान प्रमुख रूप से उपस्थित भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री विनय सहस्रबुद्धे ने उपस्थित लोगों से कहा कि केरल सरकार अपने लोगों की सुरक्षा नहीं कर पा रही। वह अपने संवैधानिक और नैतिक दायित्वों को निभाने में विफल रही है। इस तरह की बढ़ती असहिष्णुता गंभीर चिंता का विषय है। शांति और सुरक्षा अनिवार्य है। ऐसी हत्याओं से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने में अस्थिरता पैदा होगी। गौरतलब है कि केरल में पिछले 12 महीने में 13 राजनीतिक हत्या हो चुकी हैं। मारे गए चार व्यक्ति दलित समुदाय के हैं। उन सभी लोगों को बर्बरतापूर्वक मार दिया गया क्योंकि वे राष्ट्रभावी थे। प्रदर्शन में विभिन्न क्षेत्रों के अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
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