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25 जून, 2017
आवरण कथा ‘शुभ संयोग’ से यह बात स्पष्ट हुई है कि योग और आयुर्वेद सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हुए हैं, बल्कि इनका व्याप विश्वस्तर तक जा पहुंचा है। कुछ समय के लिए इसमें ठिठकन आई थी और लोग इससे दूर हुए थे। लेकिन फिर से देश ही नहीं विश्व के लोग योग और आयुर्वेद की ओर उन्मुख हो रहे हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
—डॉ. गिरीश दत्त शर्मा, संगरिया (राज.)
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रस्तुत अनूठी सामग्री ने कई नई चीजों से परिचित कराया। यह सत्य है कि योग करने से सिर्फ निरोगी ही नहीं रहा जा सकता बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा को भी साधा जा सकता है। छोटे-छोटे व्यवधान, विकार और तनाव जिनका हम सभी अनुभव करते रहते हैं उनसे योग के जरिए बड़ी ही आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आज की पीढ़ी को इसकी बहुुत आवश्यकता है।
—अर्चना दलवी, इंदौर (म.प्र.)
योग को विश्व पटल पर मान्यता और अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार किया जाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बड़ी सफलता है। योग के जरिए भारत की प्राचीन पद्धति पूरे विश्व में स्थापित हुई है। तो वहीं आयुर्वेद के प्रति भी अब रुझान बढ़ा है। इससे न केवल सभी लाभ उठा रहे हैं बल्कि अपना स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। यह हर भारतीय के लिए हर्ष की बात है। लेकिन फिर भी कुछ लोग हैं जो योग और आयुर्वेद से चिढ़े हुए हैं और उसे एक धर्म की विरासत मानकर अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं। जबकि ऐसे लोग खुद अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग करते हैं और आयुर्वेद का सेवन भी करते हैं।
—मनोहर मंजुल, प.निमाड Þ(म.प्र.)
चहुंदिश पानी
पानी-पानी सब तरफ, है वर्षा का जोर
नाले-नदियां सब चढ़े, कोई ओर न छोर।
कोई ओर न छोर, बाढ़ ने खेत डुबाये
टूटी खटिया के चहुंदिश पानी लहराये।
कह ‘प्रशांत’ सावन-भादों देते हैं राहत
पर गरीब से पूछो, जिसकी आती आफत॥
— ‘प्रशांत’
योग सिर्फ व्यायाम नहीं है। यह राष्ट्र निर्माण का सूत्र है। इसके पीछे पूरा विज्ञान और जीवन शैली अन्तर्निहित है। प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर योग करना एक साधना है। इससे शरीर, मन और आत्मा तीनों स्वस्थ रहते हैं। नियमित योग करने से जहां विचारों की शुद्धता बनी रहती है वहीं बीमारियां भी भाग जाती हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्हें योग से 18 घंटे लगातार काम करने की शक्ति मिलती है, ऐसा उन्होंने खुद स्वीकारा किया है।
—कृष्ण वोहरा, सिरसा (हरियाणा)
मूल्यों के संवाहक
आवरण कथा ‘समरसता के संत (4 जून, 2017)’ से साफ हुआ है कि हमारे समाज में अब तक जितने भी संत-महात्मा हुए हैं, सभी ने समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। बात चाहे गुरु नानक देव की हो, स्वामी विवेकानंद, रैदास,संत कबीर या तुलसी दास ने अपने कार्यों के जरिए समाज को जागरूक किया और सही पथ पर चलने की शिक्षा दी। इसलिए जो लोग संतों में भी भेद करते हैं वे गलत हैं और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
—हरीशचन्द्र धानुक, लखनऊ (उ.प्र.)
इनसे सीखो!
‘बब्बन मियां-गाय और गंगा के भक्त (18 जून, 2017)’ रपट अच्छी लगी। जब देश में गाय को लेकर आएदिन उत्पात होता हो ऐसे में बब्बन मियां जैसे लोग सद्भावना का न केवल संदेश देते हैं बल्कि गाय की उपयोगिता को लेकर ध्यान आकृष्ट करते हैं। समाज को ऐसे लोगों से सीख लेनी चाहिए और ऐसी ही राह पर चलना चाहिए।
—राकेश भारद्वाज, रोहिणी (नई दिल्ली)
कौन हैं इस हुड़दंग के पीछे?
रपट ‘शांत अंचल में किसने भड़काई आग (25 जून,2017)’ उन तथ्यों की ओर ध्यान दिलाती है जो मुख्य धारा के मीडिया ने नहीं बताए। मध्य प्रदेश खेती के मामले में एक प्रगतिशील तथा समृद्ध राज्य है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बराबर किसानों के हित के लिए कार्यरत हैं। इसी का परिणाम है कि वह लंबे समय से राज्य की सत्ता में काबिज हैं। इसी बात से कांग्रेस बौखलाई हुई है। इसी बौखलाहट का परिणाम है कि उसने साजिश के तहत राज्य में किसानों की आड़ लेकर दंगा भड़कवाया। लेकिन सोशल मीडिया की बदौलत उसकी साजिश बेनकाब हुई और पोल-पट्टी खुल गई।
—प्रमोद प्रभाकर, दिलसुखनगर (हैदराबाद)
इस्रायल के पास आने से बढ़ी बेचैनी
भारत-इस्रायल के बीच बढ़ती नजदीकी के चलते चीन सहित कई देश परेशान हैं। यह बिल्कुल बात सही है कि यह समय इस्रायल के साथ खुलकर दोस्ती जताने का है। क्योंकि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने इस्रायल से सदैव दूरी बनाए रखी। यह सब एक समुदाय को खुश करने के लिए किया गया। खैर, देर से ही सही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस खाई को पाटने के लिए इस्रायल को गले लगा उचित कदम उठाया है।
—राममोहन चन्द्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
नरेन्द्र मोदी के अलावा किसी भी प्रधानमंत्री ने इस्रायल जाने का साहसिक कदम नहीं उठाया था। इसके पीछे कई कारण रहे। लेकिन वे यह भूलते रहे कि इस्रायल भारत की हर मुसीबत साथ रहा है और संकट से उबारने में मदद की है। लेकिन इसके बावजूद पिछली सरकारें कभी खुलकर इस्रायल के साथ दोस्ती नहीं जताई पार्इं।
—अनिरुद्ध सक्सेना, मेल से
भारत के प्रधानमंत्री ने इस्रायल की यात्रा करके मित्रता का नया अध्याय गढ़ा है। भारत जहां पाकिस्तान से जूझ रहा है, वहीं इस्रायल फिलिस्तीन से। दोनों की रक्षा संबंधी समस्याएं एक जैसी हैं। वर्तमान में भारत-इस्रायल संबंधों में मजबूती समय की जरूरत थी जिसे प्रधानमंत्री ने समझा और खुलकर दोस्ती जताई। हालांकि इससे चीन और पाकिस्तान बुरी तरह भड़के हुए हैं, पर उनकी परवाह न कर इस दोस्ती को आगे बढ़ाना ही उचित कदम होगा।
—बी.एस.सचदेवा, आईएनए मार्केट (नई दिल्ली)
सही रास्ते पर चलने की दें सीख!
‘अब समझदारी की बात करो मियां (4 जून, 2017)’ रपट कट्टरपंथी नेताओं के बड़बोलेपन के दुष्परिणाम बताती है। हकीकत यह है कि कुछ मुस्लिम नेताओं ने बयानवीर बनकर अपने ही समुदाय का नुकसान किया है। उनके अंदर उन्माद की आग भड़काई और उन्हें जलने के लिए छोड़ दिया। इन मुल्ला-मौलवियों ने कभी अपने समाज के लोगों को सही रास्ते पर चलने की सीख नहीं दी। अगर दी होती तो आज जिस तरह से कश्मीर, बंगाल, केरल जल रहे हैं, वे नहीं जलते। अभी भी समय है कि इन लोगों को खुद की बोली पर लगाम लगानी चाहिए तो दूसरी ओर समाज को भी ऐसे लोगों से सतर्क रहना चाहिए।
—राकेश प्रताप, देहरादून (उत्तराखंड)
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